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आज़ादी का अमृत महोत्सव

4 अगस्त 2022

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  “अंधेरे  घर  का  उजाला  थावो 

जो देश की ख़ातिर सरहद पर शहीद हुआ

अपनी माँ की बाँहों को तरसता छोड़ आया वो

फ़र्ज़ निभाते धरती माँ को जीवन समर्पित किया।।


यू तो प्यार तुमसे भी बहुत हैं ये कह कर 

अपनी मंगेतर को वो तन्हा छोड़ गया

माँ बाप सब रहे सलामत ये तो हर बेटा चाहेगा

देश रहे मेरा सलामत ये सिर्फ़ फ़ौजी ही सोच पाएगा॥


सिर्फ़ एक ही घर नही हैं इनका

पूरा देश के सपूत हैं ये।

अगर तेरा क़र्ज़ ना उतार पाऊँ मातृभूमि।

तो कोई मोल नही मेरे इस जीवन का॥

है चाहत कुछ कर गुजरने की इस मिट्टी के लिए।


देश मेरा रहे सलामत यहीं दुआ हर बार हैं

जिसमें खेले-कूदे, पले- बढ़े  है  हम॥

नाज़ है इस पवित्र मातृभूमि पर जन्म लिया हमने।

जान हथेली पर लेकर क़ुर्बानी के लिए सदैव तैयार है हम



अपनी इस आज़ादी को बरक़रार रखने की सौगंध ली हैं

करोड़ों ने दी कुर्बानी इस पर,उसे यूँ ही ना जाने देंगे हम

आज़ादी का अमृत महोत्सव आया हैं बड़े तप के बाद

इस देश के वीर सपूतों को सबका अभिनंदन



अंधेरे  घर  का  उजाला  थावो 

जो देश की ख़ातिर सरहद पर शहीद हुआ

अपनी माँ की बाँहों को तरसता छोड़ आया वो

फ़र्ज़ निभाते धरती माँ को जीवन समर्पित किया।।



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रचनाएँ
प्यार की दास्ताँ
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इश्क़,प्यार ,मोहब्बत नाम तो बहुत हैं मगर सबका मतलब एक ही हैं। धर्म जाति में बटा इंसान क्या प्यार की परिभाषा समझ पाता हैं । मेरे हिसाब से या यूँ कहें की मेरी अभी तक की समझ के हिसाब से जीवन में एक ना एक बार प्यार वाले रास्ते से ज़रूर गुजरता हैं ।

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