यह पुस्तक मेरे द्वारा लिखी गयी कविता, गज़लों एवं शेरों का सग्रह है!
निःशुल्क
इस पुस्तक में मेरे कुछ सामाजिक ,राजनीतिक, शिक्षा एवं स्वास्थ्य से जुड़े कुछ ख़्याल है!
रिश्ते पक्के हुआ करते थे कच्चे आशियानों में! अब ये टूट जाते हैं संगमरमर लगे मकानों में! दौलत तो यहाँ से वहाँ एक रोज उड़ जाएगी उड़ती है रेत जैसे भयंकर तूफानों में! ये चमकते बदन राख के ढेर से ज्याद
मरुस्थल सी तपती कोई वीरान धरा हूँ मैं! कभी रफ़्ता रफ़्ता चलती शरद हवा हूँ मैं! कल्पनाओं की तरह बनता बिगड़ता हूँ ऱोज अब तुम्हें क्या बताऊँ की क्या हूँ मैं! तुमने तो सोचा था कि अधूरा ही रह
मौतत्रासदी बनकर आती है किसी आशियाने के लिए! मृत्यु सिर्फ़ मृत्यु होती है कोई बेगाने के लिए! कौवा जाता है कौवे के यहाँ दुःख बाँटने को आदमी जाता है किसी मौत पर दिखाने के लिए! ख़ुदा का क
नभ को छूती आपकी हर इक बात है! ज़रा बताओ तो किनसे ताल्लुकात है! मैं तो सिर्फ मिट्टी हूँ आपके पैरों की आप बताइये,भला आपकी क्या बिसात है! फ़कीर के यहाँ नंगे पाँव ही आना होगा क्या हुआ जो आप
इस मकान में अब बाक़ी बचा भी क्या है। साझी तमन्नाएँ जल गई धुँआ ही धुँआ है! मेरे बालों ने तेरे काँपते हाथ महसूस किये लगता है आज फिर तुमने तस्वीर को छुआ है! दीया तो यूँ ही बदनाम हो गया बुझ कर
वक़्त लगता है जितना किसी घर में घर बनाने में उतना कहाँ लगता है घर से निकाले जाने में! किसी के रोने पर आपकी मुस्कान नागवार गुज़री बाक़ी मुझे तो कोई एतराज़ नही यूँ मुस्कुराने में! एक वक़