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जिंदगी

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चार दिन की ज़िन्दगी में, तीन दिन अब ख्वाब हैं,ख्वाब में बीते  दिनों  की, यादों  के  असबाब  हैं।यादों की बस्ती मे कुछ गलियां हैं दिन, कुछ रात सी,दिन  कुहासे  से 

एक अलग ही जुगलबंदी है इनकी, जिंदगी हो या किताब ,पहल दोनों में जरूरी है, पन्ने सम्भाल कर पलटना ,जिंदगी है जनाब, किताब फिर भी नयी मिल जायेगी, पर जिंदगी न मिलेगी दुबारा, चोट के

बादल गरजते है, तभी तो वर्षा होती हैं, वैसे ही, जब बारिश के बूंदों की तकरार सूर्य से होती हैं, तभी तो इन्द्रधनुष बनता है, बस तो, हमारी जिंदगी का सफ़र भी कुछ ऐसा ही है,&nbs

यादगार सफर है जिंदगी का, हमें अहसास दिलाता है हर खुशी का। कभी खुशी और कभी पल गम के, कभी किस्से कमजोरी के कभी दम के।। मां के गर्भ से सफर, शुरू किया हमने। जन्म पर खुशियां थी, सबको हंसाया था हमने। घर के

उसकी दुआ लगने में कुछ वक्त लगेगा,सितारों को हक में आने में वक्त लगेगा,क‌ई सारे मसले हैं मुझे जिंदगी तुझसे,उन्हें सुलझाने में कुछ वक्त लगेगा,जाने किधर गया वो खुशगवार सा वक्त,अब उस वक्त को लाने में कुछ

हर दिन इक किताब का नया अध्याय है जिंदगी हर नये‌ पुराने हालातों का हिसाब है जिंदगी कभी बंद पन्नें तो कभी खुले पन्नों का जवाब है जिन्दगी खुशी के पल गमों का दर्द हौंसलों की उड़ान है जिंदगी अपनों‌ से ज

जिंदगी में वही शख्स सफल बन पाया है जिसने बचपन में खुद को धूप में तपाया है.....

"प्रश्नचिन्ह" आज यह ज़िन्दगी इतनी सस्ती क्यों हो गई मौत के आगे ज़िन्दगी क्यों हिम्मत हार गई सुदूर आकाश में जो चमकता सितारा था यकायक उसकी चमक मिट्टी में मिल गई लाखों ललचाते थे,जिसका मकाम पाने को उ

ये जब शरीर पर हो तो कराह देते जो सबको सुनाई देती है।मरहम अपना काम करता ,वैद अपना।घाव पे खुरंट लगता और एक समय बाद निकल जाता।आत्मा के घाव भरने की गति जरा धीमी होती है।हो भी क्यों ना वो शाश्वत जो ठहरी।पर

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कुछ पल जिन्दगी

लम्हा लम्हा ढलती जा रही

ये ज़िन्दगी रेत की तरह

फिसलती जा रही</

मुझसे दोस्ती यूँ लम्बी निभाओगे क्या ,
मैं नादान

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दुःख सीहसीन तोकोई दिलरुबा हीनहीं,हर लम्हा रहे जोजेहन मेंअसल महबूबा भीवही,लाख चाहूं किनिकल जाएजिंदगी सेमेरी,बेशर्म लिपटी हैकलेजे सेकि जाती हीनहीं,कहती है, कमबख्तबिफर केअजब नाज से,दुःख हूं, रिश्ता नहीं,मौत तकपीछा छोड़ूंगी नहीं,मै हीलोरी, गज़ल भी मैं,फातिहा पढ़ूंगी मैं ही.

self confidence kaise badhaye नमस्कार दोस्तो rajmini. Com पर आपका स्वागत है|आज हम बात करने जा रहे है - आत्मविश्वास के बारे मे अगर आप आत्मविश्वासी नही हो तो आपजिंदगी मे कुछ भी नहीं कर सकते । आप हार मानकरबेठ जाओगे और अपनी

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चलो फिर शुरू करते हैजो पन्ने बेरंग हो गयेउनको नया रंग देते हैटूट कर जो बिखरी है जिंदगीउसको फिर जोड़ते हैजो छूट गए है उन्हें भूलबाकि को साथ ले आगे बढ़ते हैइस जिंदगी में बहुत से रंग हैंहर रंग को फिर से जीते हैजब तक जिंदगी है तब तकइस जिंदगी को खुलकर जीते हैचलो फिर जिंदगी जीते हैचलो फिर शुरू करते है....-अ

जितना जिंदगी को समझना चाहाजिंदगी उतनी उलझती ही गईजब से जिंदगी को जीना शुरू कियाजिंदगी की उलझनें खत्म होती चली गई-अश्विनी कुमार मिश्रा

बेवजह न उलझो।बेवजह न उलझो मेरी जान, अभी जिंदगी जीना है..कल को किसने देखा मेरी जान, बियर विसकी रम पीना है।करवटे बहुत बदल लिए मेरी जान, अभी जी भर के सोना है।बेवजह न उलझो मेरी जान, अभी जिंदगी जीना है..कौन क्या लेके जाएगा? सब यही पड़ा रह जायेगा।ये खुशियों के दिन है, ख़ुशियों में जियो, गम में क्यो जीना है?

जल्दी आना-लघुकथापत्नी ने आफिस जाते पति से कहा - " घर जल्दी आ जाना !" हमेशा की भाँति पति - " हाँ, अवश्य" कहकर मुसकुराता हुआ ऑफिस के लिए निकल गया ! सदैव की भाँती पत्नी, पति के घर लौटने का इंतजार करने लगी और पति के साथ आने वाली शाम के सुहाने सपने बुनने लगी ! आदतन पति दोस्तों के साथ

जिंदगी तू कितनी हसीन हैकभी मीठी तो कभी नमकीन हैपल में हँसाती तो कभी पल में रूलाती कभी खुशी तो कभी गमजिंदगी तू कितनी हसीन हैकभी अपनो के साथ चलती तो कभी अपनो के बिना चलतीकभी साथ ना दे कोईतो तू साया बन के साथ खड़ी रहतीहर गुजरते पल के साथ तू नए अनुभव करवातीअच्छी है या बुरी जैसी भी है जिंदगी तू कितनी हसीन

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