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संस्कृति

hindi articles, stories and books related to Sanskriti


गुजरती जिन्दगी के सारे लम्हेखूबसूरत ना हो सके तो क्या हुआ... कुछ यादगार लम्हों को हीजिन्दगी की सफलता समझो...-दिनेश कुमार कीर

बाबुल की बुलबुल उड़ जायेगीबाबुल के आंगन मे गुड्डे - गुड़ियों से खेल खेलने वाली। बाबुल के आंगन व गुवाड़ की खुशी औरों की खुशियाँ बन जायेगी। बचपन की प्यारी सखी - सहेलियों से एक दिन दूर हो जाएगी

हाँ, मैंने गांव को इतने करीब से जिया है, खेतों में पीले सरसों के फूलों को सौंधी खुशबु के साथ खिलते देखा, सर्दी मे कोहरे की सफेद चादर की धुंध से लोगों की छिपत हुए देखा,हाँ, मैंने गांव को इतने

नववर्ष के स्वागत मे, नई खुशी, नई उमंगे लाएंगे, हो नया सवेरा सभी के जीवन में, निराशा के अंधेरों को, मिलकर दूर भगाएंगे, नए-नए सपने, नए अरमान ले, नए-नए ख़्वाब बुनेंगे, 

अन्धकार पर प्रकाश की विजयएक गाँव में एक डकैत रहता था जो हमेशा डकैती करता था उसका एक बेटा था जो पढ़ाई - लिखाई करता था और बहुत प्रखर बुद्धि का था,पढ़ाई, पूरी करने के बाद काम करने की तलाश करने के लिए निक

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चार कौशल जरूरी है । निकालेंगे डर जेहन से, गाएंगे गीत हसी खुशी का कहानी सुनना भी जरूरी है ।   चार कौशल जरूरी है । परवरिश के बाद होगी, जून में पहली प्रवेश क्या नाम हैं तुम्हारा ये

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जब तितली पंख फैलाती सुंदर रंग दिखाती है ।           जब भँवरे मन्डराते सुन्दर तान सुनाते है । मोर नाचते पंख फैलाते सबरंगी माहौल बनाते हैं । जब बच्चे गीत सुनाते वो दिन क्या कहलाते है । जब

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ज्ञान और लौ एक साथ जलते हैं । शिक्षक और दीप एक साथ चलते हैं । अँधेरा,तो लौ की एक किरण काफी है । गुरु का एक इशारा गुमराह का साथी है। दीवाली में गांव शहर जगमग करते हैं । शिक्षक भी तो प्रका

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✍✍✍✍✍✍✍✍ रहेगा न कोई तेरे वतन में जीएगा न कोई तेरे चमन में कैसा सुना शहर है जालिम अब तो दिया जला ध्यान का।🕯। बहुत दिन बीत गये सफर में रात दिन एक कर गए श्रम में निवाला तो एक कौर का

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जमीं की तरफ नजर पैदल चलते हुए पीठ पर बैग लिये तितलियों के पीछे भागते पक्षियों को भागाते हुए आ रहे है हसते मुस्कुराते हुए बीच में रुककर पेन व चाकलेट लेकर पेन्ट की जेब में रखकर दोस्त

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ये अजुबा है दुनिया का, इसे संजोकर रखना । इसकी नीव से होगी इमारत खड़ी जो लड़ेगी भावी शैतान से इन पर लोगो की आखें लगेगी जरा इसे टटोलकर रखना । ये अजुबा है दुनिया का,इसे संजोकर रखना । इस

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आँखो में चमक चेहरे पे रौनक़ आ गया । बच्चे उछल-कूद करने लगे लो दिसम्बर आ गया । ये रोज का पढना और पढ़ाना , टीचर की वही नसीहत व आशियाना , मन बोझिल बड़ी देर से राह का ताकना, आखिरकार बिन पायल के झ

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आज विजया दशमी है विजया । पुरातन कथा है,सनातन प्रथा है । पापो का नाश है,पुण्य का वास है । धनुष बाण ढोल नगांडे रंग रसिया । आज विजया दशमी है विजया ।1 अपना सारा धूल धक्कड़ झड़ा दे। रुप यौवन का गिर

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उछल कूद रहे है बच्चे तीन चार दिन से पहले । कारण क्या पता है दोस्तो तीन चार दिन से पहले ।। नाराज थे एक टीचर पे बच्चे इस साल के पहले । एक्सट्रा क्लास जो ले लिये थे तीन चार दिन से पहले ।। रिवीज

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बच्चे होते अपने,बच्चे होते अपने सच होते हो जैसे सपने । बस्ते से लदे,सावधान से सधे सोम से शुक्र तक गम्भीर शनि को जैसे चेहरा खिले आते है शाला अरमान लेकर होमवर्क का फरमान लेकर छुट्टी होने पर

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हस्ती का शोर तो है मगर, एतबार क्या,दुनिया तमाशाई, हर कुंदजेहन यहां अदीब है... जिंदगी के रंगमंच की रवायत ही देखिए,दीद अंधेरे में, उजाले अदायगी को नसीब है... जवाब भी ढूंढ़ते है सवालों के उस फकीर से,जिसकी कैफियत, उसकी दाढ़ी सी बेतरतीब है... उलझे हुए लोग, चौराहों पर दुकान

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परबतियाअपनीसासकेसाथबिहारसेकुछसालपहलेपलायनकरदेहरादूनआयीऔरअपनीसासकीतरहहीघरोंमेंबर्तन-चौकाकरतीहै।परबतियाकेकुनबेमें,जिसेविकासकेमानकोंकेहिसाबसे‘हाउसहोल्ड’ कहाजाताहै,उसकेसास-ससुरकेअलावाउसकापतिऔरउसकेअपनेएवंसासकेबच्चेहैं।इस‘हाउसहोल्ड’ कीमासिकआयहैतीसहजाररुपये।जीहां,आपनेसहीपढ़ा,तीसहजाररुपये!आप कहेंगे,लेखक-पत्र

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विश्वकी सर्वोत्कृष्ट आदि,अनादिऔर प्राचीनतम संस्कृति है भारतीय संस्कृति यह इस भारत भूमि में रहने वाले हरभारतीय केलिए बड़े गौरव का विषय है परंतु ये बड़े दुख का विषय है कि आज इस पावनपवित्र संस्कृति के ऊपर विदेशी संस्कृतियाँ घात लगाए बैठी हैं और इस संस्कृति की निगलनेका कोई मौका

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🔥⚜🔥⚜🔥⚜🔥⚜🌸⚜🔥⚜️ ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼ 🏹 *अर्जुन के तीर* 🏹🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻 *सतसंग की दिव्यता एवं उससे प्राप्त होने वाले फल को सबने ही माना है ! आज सतसंग करने वाले बहुत कम दिखाई पड़ते है | कुछ लोग तो मात्र दिखाने के लिए ही सतसंग

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