shabd-logo

हिन्दीकविता

hindi articles, stories and books related to hindikavita


featured image

बहुत याद आता है..वो गुजरा जमाना...बहुत याद आता है, वो गुजरा जमानावो बीता बचपन, हरकतें बचकानाआपस में लड़ना, फिर रूठना-मनानाचंदा मामा का आना, खाना खिलानासुबह का कलेवा, वो बासी खानाजिसके बिना दिन, लागे सूना-सूना।दादा-दादी के पास, नित होता था सोनानीदिया रानी का आना, चुपके से सुलानापरियों की कहानी का, नित

हे कवि मन, हिंदी की जय बोलजिसने निजभाषा का मान बढ़ायाहिंदी को जन - जन तक पहुँचायाराजभाषा का दर्जा भी दिलवायाहे कवि मन, हिंदी की जय बोल।जो घर-घर में बोली जाती हैजो सबके मन को हरसाती हैसभी जाति धरम को भाती हैहे कवि मन हिंदी की जय बोल।जिसके बावन अक्षर होते हमारेकवि जिससे प्रकृति को चितारेजो जनमानस के भा

मस्त हवाओं का ये झोंका, बेमौसम ही प्यार करे…प्रियतम पास नहीं हैं फिर भी मिलन को बेकरार करेजीवन में बहार नहीं फिर भी प्रणय गीत स्वर नाद करेसजना की कोई खबर नहीं फिर जीना क्यों दुस्वार करेबिन तेरे सजना जीना मुश्किल रग - रग में है ज्वार उठे तेरे ही नाम से मेरी सुबह हुई है तेरे ही नाम से शाम ढले।मस्त हवा

सागर की लहरें...सागर की लहरें किनारे से बार-बार टकरातीचीखती उफान मारती रह-रहकर इतरातीमन की बेचैनी विह्वलता साफ झलकतीसदियों से जीवन की व्यथा रही छिपाती पर किनारे पहुँचते ही शांत सी हो जातीवह अनकही बात बिना कहे लौट जातीअपने स्पर्श से मन आल्हादित कर जातीसंग खेलने के लिए उत्साहित हो उकसातीजैसे ही हाथ बढ़

मैं सड़क …अरे साहबकोरोना महामारी के कारणफुर्सत मिलीआपबीती सुनाने कामौका मिला।सदियों से सेवाव्रतीदिन-रात सजग तैनातसीनें पर सरपट दौड़ती गाड़ियों का अत्याचार।हाँ साहब.. 'अत्याचार'तेजगति से बेतहाशाचीखती - चिल्लातीभागती गाड़ियाँ..।क्षमता से अधिकबोझ लादे…आवश्यकता से अधिकरफ़्तार में भागती गाड़ियाँ...।मेरे चिथड़े

अजी ये क्या हुआ…?होली रास नहीं आयाकोरोना काल जो आयामहामारी साथ वो लायाअपना भी हुआ परायाबीपी धक धक धड़कायाछींक जो जोर से आया…तापमान तन का बढ़ायाऐंठन बदन में लायाथरथर काँपे पूरी कायाछूटे लोभ मोह मायादुश्मन लागे पूरा भायापूरा विश्व थरथराया……नाम दिया महामारीजिससे डरे दुनिया सारीचीन की चाल सभी पे भारीबौखला

featured image

बचपन की यादों आधारित हिंदी कविता अजूबी बचपन आज दिल फिर बच्चा होना चाहता है बचपन की अजूबी कहानियों में खोना चाहता है जीनी जो अलादिन की हर ख्वाहिश मिनटों में पूरी कर देता था,उसे फिर क्या हुक्म मेरे आका कहते देखना चाहता है आज दिल फिर बच्चा होना चाहता हैमोगली जो जंगल में बघ

featured image

जीवन पर प्रेरक हिंदी कविता मृत टहनियाँवो टहनियाँ जो हरे भरे पेड़ोंसे लगे हो कर भीसूखी रह जाती है जिनपे न बौर आती है न पात आती है आज उन मृत टहनियों को उस पेड़ सेअलग कर दिया मैंने… हरे पेड़ से लिपटे हो कर भी वो सूखे जा रही थी और इसी कुंठा में उस पेड़ को ही कीट बन खाए जा रही

कलम शोर मचाती नहींशब्द गुनगुनाते नहींकिताबें पड़ी हैं मगर,किसी से पढ़ी जाती नहीं।लेखक हो मशहूरखर्चा पाते नहींलिखावट से इबादत कीमहक अब आती नहीं।कलम दुनिया बदल देंऐसा अब होता नहींप्रेमचंद लिए नए जूतेइसीलिए रोता नहीं।' सत्य ' स्वयं गुरूर मेंकलम चुभोता नहींअंतः कविता पेश हैकवि का भरोसा नहीं।

featured image

क्या है, नहीं जो मेरे पास, कुछ तो है, जिसकी मुझे है आस, पा कर सब कुछ भी, क्यों है खाली मेरे हाथ, होते हुये भी सब के, क्यों हूँ, अकेली मैं आज,

featured image

मुफलिस को जिंदगी में , जीना भी बता देता है।गुमां ,गुरूर, अकड़ सब, पल भर में झुका देता है ।हों मजबूरियां या चोचले, थोड़ा सा सब्र कर,वक़्त वो मुर्शिद है जो , हर इल्म सिखा देता है।उजाले की ज़रा कीमत तो, तुम उस शख्स से पूछो,चुन -चुन कर जिंदगी के  , अरमान जला देता है।भरी महफिल में करके इल्म , वो हँसने हँसाने

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए