छोटे छोटे अरमानों के पुरा होते देख,
मैं खुशी ढूंढ़ता हूं।
किसी गरीब की थाली में पकवान देख,
किसी मजदूर को काम के उपरांत,
पूरी मजदूरी मिलने पर उसके पसीने में,
किसी रोते हुए बच्चे के चेहरे पे,आती हुई मुस्कान में,
मैं खुशी ढूंढ़ता हूं।
किसी विद्यार्थी के परीक्षा में सफल होने पर,
उसके माता- पिता के चेहरे पे आए सुकून में,
माता- पिता से मिलने, बरसों बाद बेटा घर आया ,
पोते - पोती से मिलने को आतुर,दादा दादी के दिल में,
मैं खुशी ढूंढ़ता हूं।
किसी के दोस्तों द्वारा मदद मिलने के बाद,
उसके चिंतामुक्त मस्तिष्क में,
अपने छात्रों को ऊंचे मुकाम पर पहुंचते देख,
गुरुओं के गर्व से फूले सीने में,
मैं खुशी ढूंढ़ता हूं।
विजेता कि तरह युद्ध भूमि से लौटते,
किसी अभिनन्दन के स्वागत में,
मैं खुशी ढूंढ़ता हूं।
किसी के छोटे छोटे अरमानों के पुरा होते देख,
मैं खुशी ढूंढ़ता हूं।