एपिलेप्सी या मिर्गी एक ऐसी अवस्था है जिसमें व्यक्ति को अचानक से झटके आते हैं और फिर कुछ समय तक उसका शरीर निष्क्रिय हो जाता है जिसे हम बेहोशी का हालात भी कहते है। मिर्गी मस्तिष्क में असंतुलित इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी के कारण होता है। ज्यादातर मिर्गी बचपन में शुरु होती है और अगर इसका इलाज समय से नहीं करने पर उसके लक्षण बार-बार रोगी के सामने आने लगते हैं। मगर कुछ मौकों पर स्ट्रोक के कारण भी बुजुर्गों में मिर्गी के लक्षण दिखने लगते हैं। मिर्गी के झटके ज्यादा आते हैं या कम आते है, यह इस बात से तय करता है कि असामान्य इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी से मस्तिष्क का कितना हिस्सा प्रभावित है।
मिर्गी के शिकार सभी बच्चों में से लगभग दो-तिहाई बच्चे किशोरावस्था तक अपने दौरे को खत्म कर देते हैं। लेकिन माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चे को एक स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखने और नियमित चिकित्सा व्यवस्था को बनाए रखने में मदद करें।10 में से 6 व्यक्तियों में मिरगी के कारणों की खोज संभव नहीं होती है, हालांकि इसके लिए जीन का प्रभाव भी जिम्मेदार होता है। मस्तिष्क से जुड़ी किसी भी बीमारी या मस्तिष्क को किसी भी प्रकार की टूट-फूट की स्थिति में भी बार-बार मिर्गी के दौरे भी आने लगते हैं।
मिर्गी आने के कारण
मिर्गी के कई प्रकार होते हैं जो कई अलग-अलग कारणों से हो सकते हैं। उदाहरण के लिए- कभी-कभी आघात के कारण मस्तिष्क की क्षति, जैसे जन्म के समय मस्तिष्क को ऑक्सीजन की कमी या गंभीर मस्तिष्क संक्रमण, मिर्गी का कारण बन सकता है।
बच्चे जो समय से पहले पैदा हुए हैं या बहुत मुश्किल से जन्म लेते हैं, उनमें मस्तिष्क की चोटें हो सकती हैं। जो जीवन के पहले हफ्तों के दौरान मिर्गी दौरे का कारण बनती हैं। हालांकि कभी-कभी बाल मिर्गी दौरे का कारण अज्ञात है।
मिर्गी के लक्षण
जिन लोगों को मिरगी की शिकायत है उनमें नींद की कमी या ठीक समय पर भोजन नहीं करने से भी इसके दौरे बढ़ सकते हैं। इसके अलावा जो लोग शराब का अधिक सेवन करते हैं उन्हें भी मिरगी के दौरे आने की शिकायत बढ़ सकती है। तेजी से लाइट का चमकना या कम्प्यूटर और टीवी की स्क्रीन से भी व्यक्ति को समस्या हो सकती है। अगर किसी व्यक्ति को हाल ही में मिरगी होना पाया गया है तो उसके लिए ये कदम फायदेमंद हो सकते हैं-
· अगर आप मिर्गी के दौरे के दौरान पांच मिनट से अधिक समय तक बेहोश रहते है।
· मिर्गी रुकने के बाद श्वास या चेतना वापस नहीं आती है।
· एक दौरे के बाद तुरंत दूसरा दौरा पड़ना
· बहुत तेज बुखार
· आप गर्मी की थकावट का अनुभव कर रहे हैं।
मिर्गी के दौरे के बचाव
· उन चीजों से बचकर रहे जिनके कारण आपको पिछली बार दौरा आया था। जैसे लाइट की तेज चमक या कम्प्यूटर स्क्रीन पर ज्यादा देर बैठना।
· खुद को सहज रखने का अभ्यास करें क्योंकि तनाव के कारण भी मिरगी का दौरा आ सकता है।
· नियमित अंतराल में कुछ न कुछ खाते रहें। खाना कभी भी न छोड़ें।
· अल्कोहल के सेवन से पूरी तरह बचने की कोशिश करें।
· किसी भी तरह दवाई लेने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें।
· जब भी स्विमिंग या ड्राइविंग करें तो ध्यान रहे कि आपके साथ कोई हो।
· आपकी नौकरी का स्वभाव अपने डॉक्टर को जरूर बताएं ताकि वे बचाव बता सकें।
· अगर संतान के बारे में सोच रहे हैं तो पहले डॉक्टर से जरूर सलाह लें।
मिर्गी बीमारी दौरे पड़ने पर क्या करें?
· मिरगी प्रभावित व्यक्ति को दौरा आने पर उसे रोकने की कोशिश न करें अन्यथा वह आपको चोटिल भी कर सकता है।
· दौरा आने पर खाने या पीने के लिए कुछ नहीं दें। एक घूंट पानी भी दौरे के दौरान गले में अटक सकता है।
· दौरा आने पर मुंह में कुछ भी रखने से बचना चाहिए। दौरे के दौरान लोग अपनी जीभ को भीतर लेते हैं लेकिन उसके मुंह में कुछ भी रखने का प्रयास न करें।
· दौरे के बाद व्यक्ति कुछ देर के लिए अचेत हो सकता है और ऐसा लगता है कि इस दौरान वह श्वास नहीं ले रहा है मगर ऐसे में उसे कार्डियो पल्मोनरी रेस्पिरेशन की कोशिश कभी न करें।
मिर्गी का उपचार
मिरगी के 3 में से 1 मरीज को एक झटका आने के बाद दूसरा 2 वर्ष के अंतराल में कभी आता है। तुरंत दौरा आने की आशंका पहले सप्ताह में ज्यादा होती है। हालांकि ज्यादातर मरीजों में इसका निदान संभव है। अनुमान है कि 10 में से 7 लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें 10 वर्ष में कभी दौरा पलटकर नहीं आता। मिरगी का इलाज किया जा सकता है और इसके लिए आप किसी अच्छे डॉक्टर से सलाह ले। डॉक्टर कुछ जांच परीक्षण करकें आपका इलाज शुरु कर देते है। घरेलू पद्धतियों से मिरगी का इलाज करना खतरनाक हो सकता है। जिस किसी व्यक्ति को एक ही बार दौरा आया है उसे किसी भी तरह के इलाज की जरूरत नहीं है।