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मुकेश रणवा के बारे में

अन-लिमिटेड ज़िंदगी नामक पुस्तक के लेखक मुकेश रणवा जो राजस्थान के सीकर जिले के ग्रामीण अंचल भीराना, लोसल से ताल्लुक रखते हैं आप राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग में कार्यरत लोकसेवक है जिन्होंने विगत 18 सालों में निजी शिक्षण संस्थानों से लेकर राजकीय शिक्षण संस्थानों में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से विद्यार्थी जीवन को करीब से महसूस किया है। आपने सामाजिक ताने-बाने, नवोन्मेषी सोच और शिक्षा व्यवस्था को लेकर सोशल मीडिया हैंडल्स पर विगत कई वर्षो में सैंकड़ों आलेख लिखे हैं उसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए आपने युवा शक्ति के आरम्भिक जीवन के भटकावों और उनसे उपजे परिणामों को लेकर विस्तृत विवेचन किया है साथ ही इन डिस्ट्रक्शन को कम करने के उपाय सुझाए हैं। यह प्रयास किया गया है कि कोई कैसे अपनी जिंदगी की संभावनाओं को लिमिटेड से अन-लिमिटेड कर सके। लेखक का मानना है कि दायरों में सिमटी ज़िंदगी को अन-लिमिटेड ज़िंदगी में तब्दील करने के लिए यह पुस्तक कारगर साबित होगी।

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मुकेश रणवा की पुस्तकें

अन-लिमिटेड ज़िंदगी

अन-लिमिटेड ज़िंदगी

"अनलिमिटेड ज़िंदगी" नामक पुस्तक के जरिए लेखक युवा वर्ग की समस्याओं को संबोधित करते हुए उनके उचित समाधान के उपाय भी सुझाए हैं। लेखक स्वयं शिक्षा विभाग में 18 सालों से शिक्षण कार्य कर रहे हैं ऐसे में विद्यार्थी जीवन को बेहद करीब से महसूस किया है साथ ही

3 पाठक
24 रचनाएँ
1 लोगों ने खरीदा

ईबुक:

₹ 14/-

अन-लिमिटेड ज़िंदगी

अन-लिमिटेड ज़िंदगी

"अनलिमिटेड ज़िंदगी" नामक पुस्तक के जरिए लेखक युवा वर्ग की समस्याओं को संबोधित करते हुए उनके उचित समाधान के उपाय भी सुझाए हैं। लेखक स्वयं शिक्षा विभाग में 18 सालों से शिक्षण कार्य कर रहे हैं ऐसे में विद्यार्थी जीवन को बेहद करीब से महसूस किया है साथ ही

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मुकेश रणवा के लेख

24. संघर्ष विराम संघर्ष नीति

9 मई 2024
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किसी भी काम को लगातार किए जाने पर एक समय बाद उसके प्रति अरूचि पैदा होने लगती है जिसका कारण मानसिक और भावनात्मक रूप से होने वाला विचलन या पूर्वाग्रह हो सकता है या फिर ऊर्जा का घटता स्तर हो सकता है। अरु

23. नये अवसर ढूंढ़ें।

9 मई 2024
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एक ही जीवन की विविधताओं को महसूस करना है या इनमें जीते हुए जीवन को सतरंगी स्वरूप देना है तो आप जीवन में जहां भी है और वहां संतुष्टि के दायरे कम है या फीके हैं तो आपको इस बात का इंतजार नहीं करना चाहिए

22. अनुभवी लोगों का मार्गदर्शन ले।

9 मई 2024
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इस दुनियां में कोई अकेला इंसान सामान्यतः सफ़ल नहीं होता है, सफल होने के लिए उसे किसी दूसरे के सफ़ल-असफल अनुभवों को आधार बनाना होता है। यदि हम किसी सफ़ल व्यक्ति से मार्गदर्शन लेंगे तो पाएंगे कि कैसे उन

21 मल्टी टास्किंग से बचें।

9 मई 2024
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बहुधा लोग सोचते हैं कि वे जितना अधिक एक साथ भिन्न-भिन्न कार्यों को संभालने में सक्षम होगें तो वे उतने ही अधिक होशियार हो जाएगा। वैसे हमारी सामाजिक व्यवस्था भी कुछ ऐसी है कि समाज उन्ही लोगों को अधिक सम

20. प्रथम सोच सिद्धांत पर काम करें।

9 मई 2024
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जब भी कोई समस्या आती है तब ज़्यादातर लोग उस वस्तु के आकार आदि के बारे में सोचते है। अपनी कार्यात्मक आवश्यकता का भूल जाते है। लोग केवल उपमाओं के संदर्भ में ही सोचते है तो उसी दायरे में सिमट कर बातें कर

19. काइजेन नीति जीवन का हिस्सा बने।

9 मई 2024
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जीवन में कोई चमत्कार कभी होता नहीं है और यदि कोई व्यक्ति चमत्कार की आशा करता है तो वह समय और ऊर्जा ही ख़र्च कर रहे है। बाकी होना-जाना कुछ नहीं है। वैसे एक चमत्कार का रास्ता ज़रूर है यदि आप और हम इस रा

18. आइ‌सोलेट हो जाए

9 मई 2024
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हमारी सामाजिक पारिवारिक परिस्थितियां भी कुछ ऐसी होती है कि हमें वो लगातार अपनी ओर बांधे रखती हैं लिहाज़ा हम अपने लक्ष्य की ओर बढ़ नहीं पाते हैं। यदि हमें अपनें लक्ष्य को हासिल करना है तो हर हाल में अप

17. एक्टिव लर्निंग की ओर बढ़ें।

9 मई 2024
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पढ़ना लर्निंग नहीं है, स्कूल कोलेज में एक-एक करके कक्षाओं को पास करते जाना भी लर्निंग नहीं होती है। लर्निंग वह भी नहीं है जो एक बंद कमरे में बैठकर घंटो किताबों का रट्टा मारना हो। लर्निंग वो कुछ है जिस

16.टाइम मेनेजमेंट या माइंड मैनेजमेंट

9 मई 2024
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कहते है समय प्रबंधन समय के संसाधन का अनुकूलन करता है तो वहीं मन प्रबंधन रचनात्मक ऊर्जा के संसाधन को अनुकूलित करता हैएक बार एक आदमी किसी गुरू यानी ज्ञानी व्यक्ति के पास जाकर कहा कि गुरुजी मैं अपने जीवन

15. प्रबल जिज्ञासा हो।

9 मई 2024
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मानव मस्तिष्क अपनी प्राकृतिक प्रवृति के कारण अपनी सनक और आंतरिक संघर्ष को कम करने के लिए जिज्ञासाओं का उत्तर खोजने के लिए सदैव उत्सुक रहता है। मानव की जिज्ञासा ने ही मानव को रचनात्मक और नवोन्मेषी प्रक

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