हर बार सच्चाई की सफाई देना जरुरी नहीं.
कभी कभी सही वक्त सब कुछ
साफ कर देता है
अपने आप ही.
सूरज को ढकने
की कोशिश करता है
बादल हर कभी, लेकिन उसे रोशनी देने
से रोक सका है
क्या वो कभी.
शिल्पा रोंघे
17 दिसम्बर 2019
हर बार सच्चाई की सफाई देना जरुरी नहीं.
कभी कभी सही वक्त सब कुछ
साफ कर देता है
अपने आप ही.
सूरज को ढकने
की कोशिश करता है
बादल हर कभी, लेकिन उसे रोशनी देने
से रोक सका है
क्या वो कभी.
शिल्पा रोंघे
11 फ़ॉलोअर्स
पत्रकार, लेखक, ब्लॉगर, कवि,
विभिन्न न्यूज चैनल में सबएडिटर के तौर पर काम करने का अनुभव और वेबमीडिया में फीचर लेखक के तौर काम किया है । फ्रीलांस लेखक के तौर पर कार्यरत । विभिन्न समाचार पत्र और पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हुआ है । मास्टर्स इन जर्नलिज़्म ( एमसीआरपीवी )
पत्रकार, लेखक, ब्लॉगर, कवि,
विभिन्न न्यूज चैनल में सबएडिटर के तौर पर काम करने का अनुभव और वेबमीडिया में फीचर लेखक के तौर काम किया है । फ्रीलांस लेखक के तौर पर कार्यरत । विभिन्न समाचार पत्र और पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हुआ है । मास्टर्स इन जर्नलिज़्म ( एमसीआरपीवी )