गोरखपुर में भाजपा को हराना ठीक वैसा है जैसे 'गामा पहलवान' को उनके घर के अखाड़े में पटखनी दे दी हो।
योगी तो यूपी में एकछत्र राज कर रहे हैं, गोरखपुर में योगी की मर्ज़ी के खिलाफ पत्ता भी नहीं हिलता, जहां ख़ुद योगी तीन लाख वोट से जीते थे । उस योगी के गढ़ में बुआ-बबुआ ने उन्हें मुँह के बल चारों खाने चित्त कर दिया..! कइसे ..? हद यह कि जिस वार्ड में गोरक्ष पीठ है वहां गिनती के 43 वोट मिले बीजेपी को। पार्टी इस मतदान केंद्र पर 1732 वोट से हारी है।
ये दोनों सीटें मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की खाली की गयी सीटें हैं। यहाँ भाजपा साल भर की उपलब्धियों का ढोल पीट रहे थे और फिर भी पार्टी हार गई।
ये हार मामूली हार नहीं है क्योंकि..
ये वो उत्तर प्रदेश है जिसमें लोक सभा चुनाव में बीजपी 80 में से 73 सीटें जीती थी।
ये वो उत्तर प्रदेश है जहां अभी 370 दिन यानि सिर्फ साल भर पहले विधानसभा चुनाव में इसी बीजपी को साढ़े तीन सौ से ज्यादा सीटें देकर जनता ने छप्परफाड़ दिया था।
ये वो उत्तर प्रदेश है जहां आप राम मंदिर बस कल-परसो बन ही जाने वाला है ।
ये वो उत्तर प्रदेश है जहां से बनारस के नुमाइंदे ख़ुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं।
इस करारी हार से विपक्ष को यह समझ लेना चाहिए कि मोदी, योगी को हराना मुमकिन है ..! जब गोरखपुर में योगी का कमंडल उल्टा जा सकता है.. तो कहीं भी.. कभी भी इन्हें शिकस्त दी जा सकती है। विपक्ष को जरूरत है तो बस 2019 के चुनाव में एक प्रबल चेहरे की |