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वैद्यनाथ मिश्र 'नागार्जुन' के बारे में

नागार्जुन का वास्तविक नाम वैद्यनाथ मिश्र है। वे शुरूआती दिनों में यात्री उपनाम से भी रचनाएं लिखते रहे हैं। नागार्जुन एक कवि होने के साथ-साथ उपन्यासकार और मैथिली के श्रेष्ठ कवियों में जाने जाते हैं। ये वामपंथी विचारधारा के एक महान कवि हैं। इनकी कविताओं में भारतीय जन-जीवन की विभिन्न छवियां अपना रूप लेकर प्रकट हुई हैं। कविता की विषय-वस्तु के रूप में इन्होंने प्रकृति और भारतीय किसानों के जीवन को, उनकी विभिन्न समस्याओं को, शोषण की अटूट परंपरा को और भारतीय जनता की संघर्ष-शक्ति को अत्यंत सशक्त ढंग से इस्तेमाल किया है। नागार्जुन वास्तव में भारतीय वर्ग-संघर्ष के कवि हैं। नागार्जुन एक घुमंतू व्यक्ति थे। वे कहीं भी टिककर नहीं रहते और अपने काव्य-पाठ और तेज़-तर्रार बातचीत से अनायास ही एक आकर्षक सांस्कृतिक वातावरण का निर्माण कर देते थे। आपात्काल के दौरान नागार्जुन ने जेलयात्रा भी की थी। नागार्जुन हिन्दी और मैथिली के अप्रतिम लेखक और कवि थे. उनका असली नाम वैद्यनाथ मिश्र है परंतु हिन्दी साहित्य में वे बाबा नागार्जुन के नाम से मशहूर रहे हैं. जन्म : १९११ ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन ग्राम तरौनी, जिला दरभंगा में। परंपरागत प्राचीन पद्धति से संस्कृत की शिक्षा। सुविख्यात प्रगतिशील कवि एवं कथाकार। हिन्दी, मैथिली, संस्कृत और बांग्ला में काव्य रचना। मातृभाषा मैथिली में "यात्री" नाम से लेखन। मैथिली काव्य संग्रह "पत्रहीन नग्न गाछ" के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित। छः से अधिक उपन्यास, एक दर्जन कविता संग्रह, दो खण्ड काव्य, दो मैथिली;(हिन्दी में भी अनूदित) कविता संग्रह, एक मैथिली उपन्यास, एक संस्कृत काव्य "धर्मलोक शतकम" तथा संस्कृत से कुछ अनूदित कृतियों के रचयिता। उनके मुख्य कविता-संग्रह हैं: सतरंगे पंखों वाली, हज़ार-हज़ार बाहों वाली इत्यादि। उनकी चुनी हुई रचनाएं दो भागों में प्रकाशित हुई

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वैद्यनाथ मिश्र 'नागार्जुन' की पुस्तकें

वैद्यनाथ मिश्र नागार्जुन की प्रतिनिधि कविताएँ

वैद्यनाथ मिश्र नागार्जुन की प्रतिनिधि कविताएँ

वैद्यनाथ मिश्र नागार्जुन की प्रतिनिधि कविताएँ का संकलन।

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वैद्यनाथ मिश्र नागार्जुन की प्रतिनिधि कविताएँ

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वैद्यनाथ मिश्र नागार्जुन की प्रतिनिधि कविताएँ का संकलन।

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खिचड़ी विप्लव देखा हमने

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नागार्जुन के काव्य संग्रह खिचड़ी विप्लव देखा हमने का संकलन।

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पुरानी जूतियों का कोरस

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नागार्जुन के काव्य संग्रह पुरानी जूतियों का कोरस का संकलन।

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हज़ार-हज़ार बाहों वाली

हज़ार-हज़ार बाहों वाली

नागार्जुन द्वारा रचित हज़ार-हज़ार बाहों वाली का काव्य संकलन।

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हज़ार-हज़ार बाहों वाली

हज़ार-हज़ार बाहों वाली

नागार्जुन द्वारा रचित हज़ार-हज़ार बाहों वाली का काव्य संकलन।

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वैद्यनाथ मिश्र 'नागार्जुन' के लेख

भगतसिंह / नागार्जुन

26 अप्रैल 2023
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अच्छा किया तुमने भगतसिंह, गुजर गये तुम्हारी शहादत के वर्ष पचास मगर बहुजन समाज की अब तक पूरी हुई न आस तुमने कितना भला चाहा था तुमने किनका संग-साथ निबाहा था क्या वे यही लोग थे— गद्दार, जनद्वेषी

भारतेन्दु / नागार्जुन

26 अप्रैल 2023
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सरल स्वभाव सदैव, सुधीजन संकटमोचन व्यंग्य बाण के धनी, रूढ़ि-राच्छसी निसूदन अपने युग की कला और संस्कृति के लोचन फूँक गए हो पुतले-पुतले में नव-जीवन हो गए जन्म के सौ बरस, तउ अंततः नवीन हो ! सुरपुरवास

इतनी जल्दी भूल गया ? / नागार्जुन

26 अप्रैल 2023
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कैसे यह सब तू इतनी जल्दी भूल गया ? ज़ालिम, क्यो मुझसे पहले तू ही झूल गया ? आ, देख तो जा, तेरा यह अग्रज रोता है ! यम के फंदों में इतना क्या सचमुच आकर्षण होता है कैसे यह सब तू इतनी जल्दी भूल गया ?

लो, देखो अपना चमत्कार ! / नागार्जुन

26 अप्रैल 2023
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अब तक भी हम हैं अस्त-व्यस्त मुदित-मुख निगड़ित चरण-हस्त उठ-उठकर भीतर से कण्ठों में टकराता है हृदयोद्गार आरती न सकते हैं उतार युग को मुखरित करने वाले शब्दों के अनुपम शिल्पकार ! हे प्रेमचन्द यह भू

तीस साल के बाद... / नागार्जुन

26 अप्रैल 2023
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शासक बदले, झंडा बदला, तीस साल के बाद नेहरू-शास्त्री और इन्दिरा हमें रहेंगे याद जनता बदली, नेता बदले तीस साल के बाद बदला समर, विजेता बदले तीस साल के बाद कोटि-कोटि मतपत्र बन गए जादू वाले बाण मू

हरिजन गाथा / नागार्जुन

26 अप्रैल 2023
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(एक) ऐसा तो कभी नहीं हुआ था ! महसूस करने लगीं वे एक अनोखी बेचैनी एक अपूर्व आकुलता उनकी गर्भकुक्षियों के अन्दर बार-बार उठने लगी टीसें लगाने लगे दौड़ उनके भ्रूण अंदर ही अंदर ऐसा तो कभी नहीं ह

देवरस-दानवरस / नागार्जुन

26 अप्रैल 2023
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देवरस-दानवरस पी लेगा मानव रस होंगे सब विकृत-विरस क्या षटरस, क्या नवरस होंगे सब विजित-विवश क्या तो तीव्र क्या तो ठस देवरस- दानवरस पी लेगा मानव रस सर्वग्रास-सर्वत्रास होगा अब इतिहास फैलाएगा

हाय अलीगढ़ / नागार्जुन

26 अप्रैल 2023
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हाय, अलीगढ़! हाय, अलीगढ़! बोल, बोल, तू ये कैसे दंगे हैं हाय, अलीगढ़! हाय, अलीगढ़! शान्ति चाहते, सभी रहम के भिखमंगे हैं सच बतलाऊँ? मुझको तो लगता है, प्यारे, हुए इकट्ठे इत्तिफ़ाक से, सारे हो नंग

ख़ूब सज रहे / नागार्जुन

26 अप्रैल 2023
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ख़ूब सज रहे आगे-आगे पंडे सरों पर लिए गैस के हंडे बड़े-बड़े रथ, बड़ी गाड़ियाँ, बड़े-बड़े हैं झंडे बाँहों में ताबीज़ें चमकीं, चमके काले गंडे सौ-सौ ग्राम वज़न है, कछुओं ने डाले हैं अण्डे बढ़े आ रहे,

धोखे में डाल सकते हैं / नागार्जुन

26 अप्रैल 2023
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हम कुछ नहीं हैं कुछ नहीं हैं हम हाँ, हम ढोंगी हैं प्रथम श्रेणी के आत्मवंचक... पर-प्रतारक... बगुला-धर्मी यानी धोखेबाज़ जी हाँ, हम धोखेबाज़ हैं जी हाँ, हम ठग हैं... झुट्ठे हैं न अहिंसा में हमारा

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