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युगेश कुमार की पुस्तकें

युगेश कुमार के लेख

बातें कुछ अनकही सी...........: अवसाद

30 अप्रैल 2019
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"अवसाद" एक ऐसा शब्द जिससे हम सब वाकिफ़ हैं।बस वाकिफ़ नहीं है तो उसके होने से।एक बच्चा जब अपनी माँ-बाप की इच्छाओं के तले दबता है तो न ही इच्छाएँ रह जाती हैं ना ही बचपना।क्योंकि बचपना दुबक जाता है इन बड़ी मंज़िलों के भार तले जो उसे कुछ खास रास नहीं आते।मंज़िल उसे भी पसंद है पर र

बातें कुछ अनकही सी...........: शनाख़्त मोहब्बत की

23 दिसम्बर 2018
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शनाख़्त नहीं हुई मोहब्बत की हमारी जज़्बात थे,सीने में सैलाब था पर गवाह एक भी नहीं लोगों ने जाना भी,बातें भी की पर समझ कोई न सका समझता भी कैसे अनजान तो हम भी थे एक हलचल सी होती थी जब भी वो गुज़रती थी आहिस्ता आहिस्ता साँसें चलती थी एक अलग सी दुनिया थी जो मैं महसूस करता था मेरी

बातें कुछ अनकही सी...........: एक कविता मेरे नाम

23 दिसम्बर 2018
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बात तब की है जब मैं धरती पर अवतरित हुआ चौकिए मत हमारा नाम ही ऐसा रखा गया युगेश अर्थात युग का ईश्वर अब family ने रख दी हमने seriously ले ली खुद को बाल कृष्ण समझ बैठे खूब मस्ती की पर गोवर्धन उठा नहीं पाए पर पिताजी ने बेंत बराबर उठा ली और कृष्ण को कंस समझ गज़ब धोया मतलब सीधा-

बातें कुछ अनकही सी...........: दिल के किराएदार

23 जुलाई 2018
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बकौल मोहब्बत वो मुझसे पूछता है दिल के मकान के उस कमरे में क्या?अब भी कोई रहता है। थोड़ा समय लगेगा,ध्यान से सुनना बड़ी शिद्दत से बना था वो कमराकच्चा था पर उतना ही सच्चा था उसे भी मालूम था कि उसकीएक एक ईंट जोड़ने में मेरीएक एक धड़कन निकली थी इकरारनामा तो थापर उस पर उसके दस्तख़त

इच्छाएँ मन मझधार रहीं

21 जून 2018
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इच्छाएँ मन मझधार रहीं न इस पार रहीं न उस पार रहीं उम्र बढ़ी जो ज़हमत में नादानी हमसे लाचार रहीं कुछ पाया और कुछ खोया गिनती सारी बेकार रही जेब टटोला तो भरे पाए बस घड़ियाँ भागम-भाग रहीं कदम बढ़े जो आगे तो नज़रें पीछे क्यूँ ताक रहीं एक गुल्लक यादों का छोड़ा था स्मृतियाँ हाहाकार रह

बातें कुछ अनकही सी...........: सवाल कुछ यूँ भी हैं जिंदगानी में

29 मई 2018
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सवाल कुछ यूँ भी हैं जिंदगानी में कि अश्क हैं भी और गिरते भी नहीं। शरीर टूटता है उन कामगार बच्चों का एक आत्मा थी जो टूटी है पर टूटती भी नहीं। उस बच्ची का पुराना खिलौना आज मैंने कचरा चुनने वाली बच्ची के पास देखा पता है खिलौना टूटा है,पर इतना टूटा भी नहीं। ठगे जाते हैं लोग अ

बातें कुछ अनकही सी...........: अहं

8 मई 2018
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धृतराष्ट्र आँखों से अंधा पुत्र दुर्योधन अहं से अंधा थाउसकी नज़रों से देखा केशव ने चारों ओर मैं ही मैं था|1| जब भीम बड़े बलशाली सेबूढ़े वानर की पूँछ न उठ पाईबड़ी सरलता से प्रभु नेअहं को राह तब दिखलाई|2| जैसे सुख और माया मेंधूमिल होती एक रेखा हैवैसे मनुज और मंज़िल के बीचमैंन

बातें कुछ अनकही सी...........: सिसकी

19 अप्रैल 2018
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सिसकी जो निकली तो जान निकल गयीहैरत तो तब हुई जब बच्ची बच्ची नहींहिन्दू और मुसलमान निकल गयीकठुआ हो या उन्नावया कोई और जगहमाँ को तकलीफ तब हुईजब बच्ची घर से परेशान निकल गयीकहीं दुबक के बैठी थी वेदनावेदना का चोला ओढ़े जबराजनीति बेशुमार निकल गयीनिर्भया के आँसू अभी सूखे नहीं थेइ

Black buck और भाई

7 अप्रैल 2018
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Black buck को धराशायी कर फिल्हाल भाईजान धराशायी हो गए कुछ खुश हो गए तो भाई के fans रूष्ट हो गए आखिर भाई ने इतनों का भला किया हिरण की आत्मा ने पुकार लगाई तो साले मैंने किसका बुरा किया सुना 20 साल हो गए अब तो उसके पुनर्जन्म की बात होगी अरे!आपने फिल्में नहीं देखी उसे इंसाफ म

भगत सिंह

26 मार्च 2018
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आँखों में खून मेरे चढ़ आया था शैलाब हृदय में आया था जब लाशों के चीथड़ों में जलियावाला बाग़ उजड़ा पाया था। जब चीख उठी बेबस धरती सौ कूख लिए हर एक अर्थी बचपन में बचपना छोड़ आया मैं इंक़लाब घर ले आया। बाप-चाचा थे गजब अनूठे निज घर देशभक्ति अंकुर फूटे बचपन में ही छोड़ क्रीड़ा मैं निकला

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