नमस्कार आदरणीय जन,
जयश्रीकृष्ण।।
आइए देखे व समझे श्रीमदभागवतगीता जो को मेरे भाव व समझ के आधार पर।
जयश्रीकृष्ण,जयश्रीकृष्ण,जयश्रीकृष्ण।
विवेचक,
संदीप शर्मा।
लेखन को कोई बहुत पुरातन अनुभव नही है ।पर लिखना भाता है।मन के विचारो का बादल शब्दोके बादल बन फुहार करते है तो रचना बनती है।इसमे भावो की सौधी सी महक नूतन प्राण फूंकती है तो पाठक के ह्रदय मे अपने नेह व स्नेह की पौध अंकुरित करती है।
तब उनकी वाह