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6. चीख़ता वीराना

28 अप्रैल 2022

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(पिछले भाग में अपने पढ़ा कि कैसे समीर उन मुर्दों से बहादुरी से लड़ता हुआ और जैनी की जान बचाते-बचाते खुद लावा से भरी दरार में गिर जाता है। अब आगे।)

जेनिलिया और जैनी तो जड़ हो गए थे। पर कैप्टन ने वक़्त की नज़ाकत समझते हुए बड़ी तेज़ी से दरार की तरफ छलांग लगाई और दरार के किनारे पर लम्बा लेट गया। उसने दरार के अंदर गिरते समीर के हाथ को पकड़ लिया और पूरा ज़ोर लगा कर उसे ऊपर खींचने लगा। समीर ने दूसरे हाथ से किनारे को पकड़ लिया और ऊपर की तरफ पूरी ताकत से ज़ोर लगाया। लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे कोई शक्तिशाली चीज़ उसे नीचे खींच रही हो। जेनिलिया और जैनी ने आकर समीर और कैप्टन के हाथ को पकड़ा और ऊपर खींचने के लिए पुरजोर कोशिश की। आखिरकार वों सफल हो गए। उन्होंने समीर को ऊपर खींच लिया। अब वों चारों दरार की ढलान पर लेटे थे। समीर बुरी तरह से हांफ रहा  था।
         समीर के हाथ पर गहरी चोट आई थी। उसके हाथ से खून बह रहा था। जेनिलिया ने उसका हाथ देखा और विचलित सी होती हुई बोली "तुम्हें चोट लगी है, इसमें इन्फेक्शन हो सकता है, जल्दी इस घाव को बंद करना होगा, (कैप्टन की तरफ देख कर) ट्रक में दवाइयां वगरह तो हैं ना?" पर कैप्टन समीर के हाथ से बहते गाढ़े लाल खून को बड़े ध्यान से देख रहा था, उसकी बड़ी-बड़ी आंखे पूरी खुली हुई थी जैसे कोई अप्रत्याशित चीज़ देख ली हो। ऐसा लग रहा था जैसे खून पहली बार देखा हो। उसे जैसे जेनिलिया की बात सुनाई ही नही दी। जेनिलिया ने उसका अजीब व्यवहार देखा और फिर दुबारा जोर दे कर बोली "कैप्टन?" कैप्टन एक दम से सहम कर बोला जैसे अभी नींद से जागा हो "हां" जेनिलिया ने पूछा "क्या हुआ? तुम ठीक हो? दवाइयां? हमें फर्स्ट-एड-किट चाहिए।" कैप्टन सामान्य होता हुआ बोला "चलो जल्दी ट्रक में चलो"।
                                             वों ट्रक में थे, जेनिलिया समीर का घाव कॉटन से साफ कर रही थी और उस कॉटन को एक छोटे से प्लास्टिक बैग में रख रही थी जो कैप्टन ने उसे दिया था। उसकी कलाई से काफी खून बह गया था, कॉटन के टूकड़े पूरी तरह से खून में डूबे हुए थे। जब जेनिलिया खून साफ करके पट्टी बांधने में लगी हुई थी तो कैप्टन ने वो प्लास्टिक बैग उठा लिया और बोला "मैं इसे बाहर फेंक देता हूँ नही तो खून की गन्ध से आदमख़ोर और जानवर बार-बार आएंगे।" इतना कह कर वो बैग उठा कर ड्राइविंग सीट की तरफ चला गया। तीनों का ध्यान कैप्टन की तरफ बिल्कुल भी नही था। उसने नजर बचा कर सीट के नीचे एक बॉक्स में उस बैग को रख दिया और वापस उनके पास आ कर बैठ गया।

समीर ने जैनी से पूछा "तुम ठीक हो छोटा मुँह बड़ी जुबान?"

जैनी ने हाँ में सिर हिलाते हुए बोली "तुम्हारी वजह से।"

जेनिलिया ने पट्टी करके समीर की तरफ देखा "तुम्हारा सच में बहुत शुक्रिया समीर, तुमने जैनी की जान बचाई अपनी जान की कीमत पर, थैंक यू।"

"मैं कुछ भी फ्री में नही करता" समीर ने एक दम से कहा। और चारों उसके मुँह की तरफ देखने लगे।

"बताओ मैं क्या कर सकती हूँ तुम्हारे लिए" जेनिलिया ने हिचकिचाहट के साथ पूछा। समीर ने कुछ नही कहा बस अपना हाथ आगे कर दिया। जेनिलिया ने देखा और फिर समीर की तरफ देखा। जैनी ने दोनों के मुँह की तरफ देखा और थप से समीर के हाथ पर अपना हाथ रख दिया फिर जेनिलिया ने भी अपना हाथ रख दिया। कैप्टन ने भी बिना देर किये गठबंधन में सहयोग कर दिया। चारों के चेहरे मुस्कुरा रहे थे पर कैप्टन की नजरें समीर पर टिकी थी और गजब की चमक थी उसकी आँखों में।
               कुछ समय बाद वों चलने को तैयार हुए। चलने से पहले कैप्टन ने कंप्यूटर पर कुछ चेक किया और बोला "गुरुत्वाकर्षण बल काफी गड़बड़ा रहा है, धरती का अक्ष भी काफी अस्थिर है"

"उस दरार के अंदर भी मुझे अपना शरीर काफी भारी लग रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे कोई बड़ी जोर से नीचे खींच रहा हो" समीर ने कहा।

"क्या वजह हो सकती है इसकी?" जेनिलिया ने पूछा।

"लगता है कोई बहुत बड़ी चीज़ सौरमंडल की प्रणाली को डिस्टर्ब कर रही है" कैप्टन ने कंप्यूटर की स्क्रीन को गौर से देखते हुए कहा और फिर कहीँ गुम सा हो कर हल्की सी आवाज़ में बोला ताकि किसी को सुने ना "मग़र है क्या चीज़ वो? हमारे सेंसर्स उसे पकड़ क्यों नही पा रहे हैं"।

"हम इसके बारे में बाद में सोचेंगे फिलहाल यहाँ से निकलना चाहिए" समीर बोला और कैप्टन तुरन्त अपनी सीट पर जा कर बैठ गया। शाम हो गयी थी। सूरज क्षितिज पर था।

ट्रक अब पश्चिम की और बढ़ने लगा। सब पीछे बैठे थे। कैप्टन ने कहा "हमें जल्दी से जल्दी कोई ठिकाना ढूंढना होगा, सूरज ढलने वाला है। रेत दिन में जितनी जल्दी और जितनी ज्यादा गर्म होती है सूरज ढलने के बाद उससे कहीं ज्यादा तेजी से ठंडी होती है। खुले में रहना खतरनाक होगा।"

"हम ट्रक में नही रुक सकते?" जैनी ने पूछा।

"नही बच्ची, हमें ट्रक बन्द करना पड़ेगा नही तो फ्यूल खत्म होगा और इसके शोर से मुर्दे भी आस-पास भटकते रहेंगे। बन्द ट्रक में ऑक्सीजन की कमी हो जाएगी। ये पूरी तरह से बंद है और हवा वेंट्स से तभी तक आती है जब तक दरवाजा बंद और इंजन चालू है।" कैप्टन ने समझाया।

"कोई जगह है तुम्हारे दिमाग में?" जेनिलिया ने पूछा। इस बात पर समीर ने हाथ बढ़ाते हुए कहा "ज़रा मेरा बैग देना"। जैनी ने उसे उसका बैग उठा कर दिया। समीर ने उसमें से एक नक्शा निकाला और गौर से उसका मुआयना किया। काफी देर देखने के बाद बोला "यहाँ से उत्तर-पूर्व में एक जगह है, काफी बड़ा शहर है। पुराने वक़्त का है। मुझे लगता है वो ठीक रहेगा। अब तो वहाँ शायद ही कोई मिलेगा। और वो मुख्य रास्ते से काफी दूर भी है तो वहाँ से कोई गुजरता भी नही होगा। देखो।" समीर ने नक्शा जेनिलिया को थमाया और उसने जा कर कैप्टन को दिखाया, हाथ से उसको वो जगह दिखाई। कैप्टन ने कुछ पल देख कर सहमति में सिर हिलाया और बोला "ठीक है हम वहीँ चलते हैं।" फिर आगे देखता हुआ बोला "दरार भी खत्म हो गयी है, चलो उत्तर का रूख करें" कह कर उसने ट्रक को दायीं तरफ मोड़ दिया।
     
     रात होने को आई थी। ट्रक रेतीले मैदान से होता हुआ एक पुराने शहर में दाखिल हुआ। शहर को देख कर पता चलता था कि दशकों पहले यह जगह जिन्दा थी लेकिन वक़्त और हालात के थपेडों ने इसे झकजोर दिया था। शहर में 100-100 मंजिला इमारतें थीं। लेकिन किसी भी इमारत का पूरा हिस्सा दृश्यमान नही था। किसी इमारत का नीचे का हिस्सा मिट्टी और रेत के पहाड़ में तब्दील हो गया तो किसी पर्वत ने किसी इमारत के ऊपरी हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया। कोई-कोई इमारत तो ऐसी थी कि नीचे और ऊपर का भाग तो दिखता था पर बीच का भाग किसी पहाड़ ने निगल लिया था। बड़े-बड़े पुल अपनी मियाद वक़्त के हाथों बेच चुके थे लेकिन उनके अवशेष उनकी हिम्मत और वक़्त के साथ उनकी भिड़ंत को को बखूबी बयान कर रहे थे। ऐसा कह सकते हैं कि इंसान और क़ुदरत की लड़ाई में कुदरत ने एक बड़ी जीत दर्ज की हो और हर जगह उस जीत के निशान छोड़ दिये हों।
                            ट्रक लगभग 500 मीटर तक अंदर आ चुका था। वो एक लम्बी सड़क थी। और आने-जाने के लिए 4 लेन थीं। वों लोग ऊंचाई पर थे तो शहर का ज्यादातर हिस्सा नजरों के दायरे में आता था।   

"हमें ज्यादा अंदर नही जाना चाहिए, सुबह शहर को पार करेंगे" कैप्टन ने कहा। तीनों उससे सहमत हो गए। वों पास की एक 20-22 मंजिला इमारत के पास गए। उसका सामने का दरवाजा टूटा हुआ था। इस इमारत का दरवाजा जरूर कांच का रहा होगा। जब तबाही आई तो शायद लोगों ने समान लूटने की दृष्टी से इस जगह पर भी हमला किया होगा।
        
उन्होंने ट्रक को बंद कर दिया। वैसे भी उसको बिना कैप्टन के अंगूठे के निशान के चलाया नही जा सकता था। चारों अपना-अपना जरूरी सामान हाथ में थामे उस वीरान इमारत में दाखिल हुए। इमारत के अंदर ज़्यादा तोड़-फोड़ हुई नही थी जैसी की पुरानी बची इमारतों में देखने को मिलती है। इसके दो ही कारण हो सकते हैं, या तो यहाँ तक ज्यादा लोग पहुँच नही पाए या फिर यह जगह जरूर कोई बैंक या स्कूल होगा। क्योंकि उस तबाही के दौर में लोग राशन और दवाइयां तो समेट रहे थे पर ऐसे वक्त पर भला कोई स्कूल की तरफ क्यों भागता और रही बात बैंक की तो जब खरीदने के लिए कुछ नही है, खरीदने की जरूरत भी नही है, और कोई भी पैसे की बदले कुछ देगा नही तो बैंकों को लूटने का भी कोई मतलब नही था।

"हमें थोड़ा ऊपर की तरफ जाना चाहिए, यहाँ नीचे खतरा रहेगा और ठंड भी बहुत है"। समीर ने सुझाव दिया। उसकी बात मान कर सब सामने की सीढ़ियों से उपर जाने के किये आगे बढ़े पर तभी किसी के गुर्राने की आवज़ आई। उनके कदम ठिठक गए।

"ये कोई मुर्दा तो जान नही पड़ता।" जेनिलिया ने धीरे से कहा।

तभी किसी जानवर की एक भयंकर सी चीख़ सुनाई दी। वो इतनी डरावनी थी की जैनी भी डर के मारे चीख दी। ऐसा लगा जैसे इमारत के अंदर ही कोई चीख रहा हो। सब लोग एक दम बाहर आये। तभी ऊपर कोई 15वीं मंजिल का कांच टूटा और एक भयंकर भेड़िये के जितने आकर का जीव सीधा नीचे गिरा। उसका रंग रूप बहुत ख़ौफ़नाक था और उसके गले से भयानक चिंघाड़ निकल रही थी। उसकी तीन आंखे दिख रही थी जो नीले रंग में चमक रही थीं। इतनी ऊपर से गिरने के बाद भी वो एक दम ठीक-ठाक खड़ा हो गया।

"ये क्या बला है?" जेनिलिया ने कापंती हुई आवाज में पूछा।

समीर जैनी को अपने पीछे करता हुआ आगे आया और उस भेड़ियेनूमा जानवर की तरफ रॉड़ करके लड़ने की पोजीशन में खड़ा हो गया। कैप्टन ने उसे सावधान किया "नही समीर रुको" पर तब तक समीर और वो भेड़िया भीड़ चुके थे। लेकिन ये एक गलती ही साबित हुई। समीर को हमला करने का मौका ही नही मिला और उसे भेड़िये ने अपने लम्बे सिर से जोर का झटका मारा और वो सीधा जा कर पीछे खड़े ट्रक में भीड़ा। वो इतनी जोर से लगा कि उसके मुँह से खून बहने लगा। जेनिलिया और जैनी ने उसे सम्भाला। उसके पेट और कमर में शायद ज्यादा चोट आई थी। कैप्टन ये देख कर एक दम से हरकत में आया। वो गुस्से से लाल हुआ औऱ जा कर उस जानवर से भीड़ गया। इस बार समीर वाली हालत उस जानवर की हुई। कैप्टन ने उस जानवर को सिर से पकड़ कर उठा कर पटक दिया। जेनिलिया और जैनी ये देख कर दंग रह गई कि एक 50 साल के आदमी में 30 साल के जवान आदमी से ज्यादा ताकत कैसे है। वो जानवर फिर से उठा तो कैप्टन ने समीर की रॉड़ उठा कर बारी-बारी से उसकी तीनों आंखे फोड़ दी। अब वो जानवर बौखलाए हाथी की तरह चिंघाड़ने लगा और इधर-उधर टकराने लगा। कैप्टन ने उसके सिर पर लगातार 5-6 बार हमला किया और वो जानवर वहीं ढेर हो गया। उसके सिर से नीले रंग का गढ़ा द्रव पदार्थ निकलकर सड़क पर बह रहा था। कैप्टन उसे देख कर खड़ा-खड़ा हांफ रहा था। अब वहां अजीब सी शांति थी। जेनिलिया और जैनी उस जानवर से ज्यादा कैप्टन के व्यवहार पर हैरान थीं। तभी उनको एक शोर सुनाई दिया। कैप्टन मुड़ कर उन तीनों के पास आया।

"लगता है उस जानवर की आवाज़ सुन कर और भी यहां आ रहे हैं" कैप्टन बोला।

"हमें ट्रक में जाना होगा, बन्दूकें तैयार करनीं होंगी" जेनिलिया बोली।

"नहीं, हम यहाँ गोलियां नही चला सकते उससे और भी आ जाएंगे और अगर मुर्दे भी आ गए तो हम यहीं फंस जाएंगे" कैप्टन फ़िक्र से समीर को देखते हुए बोला।

जैनी ने सहमते हुए पूछा "तो अब क्या करें?"  वो चींखों का शोर पास आता जा रहा था।

समीर ने खांसते हुए कहा "हमें अंदर जाना होगा, यहां सड़क पर सेफ नही होगा।"

कैप्टन ने देखा आस पास सूखी लकड़ियां पड़ीं थीं। उसने जेनेलिया से कहा "ये लकड़ियां जितनी ज्यादा हो सके इक्कठी करो, जैनी तुम यहीं समीर के पास रहो।" दोनों ने मिल कर आस पास की इमारतों से खड़की-दरवाजों की लकड़ियां और सूखी झाड़ियां इक्कठी की। कैप्टन ने उन लकड़ियों से उस इमारत और ट्रक के आसपास घेरा बना दिया। फिर ट्रक से फ़्यूल निकाल कर उन पर छिड़क दिया। साथ ही आस-पास खड़ी पुरानी गाड़ियों पर भी तेल छिड़क दिया। अब वों खड़े हो कर उन भयानक शिकारियों का इंतजार करने लगे। थोड़ी देर बाद आस-पास की इमारतों से कूदते-फांदते लगभग 10 जानवर वहाँ आकर खड़े हो गए। वों इतनी भयंकर आवाजें निकाल रहे थे किसी कमजोर दिल वाले कि रूह भी कांप जाएं। कैप्टन ने लाइटर से आग लगानी शुरू की और थोड़ी ही देर में आस-पास आग के 2-3 घेरे बन गए। उस आग की गर्माहट इन चारों को जितना आराम दे रही थी उतना ही उन जानवरों को बेचैन कर रही थी। आग को देख कर वों जानवर ऐसे तड़प रहे थे जैसे उनके के शरीर पर खोलता हुआ तेल डाल दिया हो। धीरे-धीरे वों जानवर पीछे हटने लगे और वापिस लौट गए।
                                    उसके बाद वों चारों भी अंदर चले गए, और तीसरी या चौथी मंजिल के बड़े से हाल में अपना डेरा बना लिया। उस हाल की छत लगभग 15 फिट पर होगी। कैप्टन ने सबको खाने के पैकेट और पानी की बोतलें थमा दी। खाना खा कर कैप्टन बोला "तुम तीनों आराम कर लो, सो जाओ, मैं पहरा देता हूँ।"

इतना कह कर वो सामने की खड़की में बैठ गया। वो खिड़की बहुत बड़ी थी। लगभग 10 फ़ीट चौड़ी और 12 फ़ीट लम्बी वो खड़की चांद की चांदनी को अंदर फेंक रही थी। आसमान हमेशा की तरह साफ़ था। तारे खूबसूरती से टिमटिमा रहे थे। समीर कैप्टन से बहुत कुछ पूछना चाह रहा था जैसे उसमें इतनी ताकत कहाँ से आई?, उसे कैसे पता था कि वों जानवर आग से डरते हैं और आखिर कैप्टन है कौन?, वो आया कहाँ से है? पर अभी उसे सही वक़्त नही लगा इस सबके लिए। उन्होंने अलाव में आग जला ली। समीर वहां लगे बड़े से बिस्तर के बायें किनारे पर पीछे का सहारा लिए बैठा था।
                               समीर ने अपना बैग खोला और उसमें से एक बड़ा सा डिब्बा लिफाफे में लिपटा हुआ उठाया। पहले उस लिफाफे को काफी देर तक देखता रहा। फिर धीरे-धीरे ऊपर के लिफाफे को हटाया और अंदर से एक छोटा सा सन्दूक के जैसा डिब्बा निकाला। अपना बैग एक तरफ रख कर उसने उस डिब्बे को गोद में रखा और उसे लगभग 5 मिनट तक निहारता रहा। उस डिब्बे का बाहरी आवरण मोट चमड़े का था। थोड़ी देर बाद समीर ने उस डिब्बे को बिना खोले, लिफाफे में पैक करके वापिस बैग में रख दिया। उसकी आँखों में हल्की नमी थी। जैनी और जेनिलिया एक सोफे पर बैठी हुई उसे देख रहीं थीं। जैनी आकर बेड पर समीर के पास बैठ गई। उसने अपनी बच्चों वाली मासूमियत के साथ पूछा "अब इसमें से क्या निकलेगा? कबूतर?" समीर उसकी बात पर हंस दिया। उसने अपनी बांह घुमा कर जैनी के इर्दगिर्द घेरा बना लिया।

"ये मेरी माँ का है" समीर ने कहा।

"कहाँ हैं अब वों" जैनी ने पूछा।

"पता नही, वों चली गयी थीं"

"पर कहाँ"

"नही पता ये भी।"

"इसे कभी खोलते नहीं?"

"नहीं। ये उनका है। जिस दिन माँ को ढूढं लूंगा उस दिन उनको वापिस सौंप दूँगा।"

"तुम्हारी माँ कब गयी थी"

"तुम्हारे जितना था मैं। या शायद उससे भी छोटा।"

"उनकी याद आती है?"

"कभी-कभी" समीर ने उलझन के साथ जवाब दिया।

"कभी-कभी?"

"शायद, उससे थोड़ी ज्यादा। (गला साफ करते हुए) जब वों मुझे छोड़ कर गयीं उस वक़्त वों दूसरी बार माँ बनने वालीं थीं। पता नही उनके साथ क्या हुआ होगा? कहाँ होंगी वों?"

"और तुम्हारे पापा?"

"माँ के जाने से 3 महीने पहले ही उनको किसी ने मार दिया था, किसने, मुझे पता नहीं"

जैनी 2 मिनट के लिए चुप रही और फिर बोली "मुझे भी ममा की बहुत याद आती है, जानते हो उनको हमनें अपने हाथों से मारा था" जैनी ने गुम सा होते हुए कहा।

समीर चौंक गया और उसने पहले जैनी को देखा और फिर जेनीलिया की तरफ देखा। जेनिलिया आकर उनके पास बेड पर दाएं किनारे पर बैठ गयी। उसने कहीँ शून्य में झांकते हुए कहा "मैंने मारा था उनको। वों बदल गईं थीं। एक मुर्दे नें उन्हें काट लिया था।" उसकी आवाज भीगी हुई थी।

जैनी ने कहा "ममा ने बदलने के बाद पापा को खा लिया था।"

"कब की बात है ये" कैप्टन ने पूछा।

जेनिलिया बोली "शायद दो साल से थोड़ा ज्यादा। उस वक़्त तक हम अपने घर में थे लेकिन उन दोनों के मरने के बाद जैसे ही राशन खत्म हुआ तो हम सड़क पर आ गए और ज़िंदा रहने के लिए खाना पानी ढूंढने लगे। लोगों की मदद करते या उन्हें डराते और बदले में कुछ खाने-पीने को मांग लेते।" थोड़ी देर की चुप्पी हुई। आग धीरे-धीरे कम हो रही थी। अंधेरे में जेनिलिया के सिसकने की आवाज़ साफ़ सुनाई दे रही थी। उसने रोते हुए बोला "मुझे अफसोस है।" आगे उसका गला भर गया। समीर समझ गया कि वो अपनी माँ के लिए बोल रही है, उसने कहा "नही, तुम्हें अफ़सोस करने की जरूरत नही है। तुमने जो किया सही किया। तुमने जैनी को बचाया। तुमने एक अच्छी बहन बनकर दिखाया है।" जैनी जो कि समीर और जेनिलिया के बीच लेटी थी उसने अपनी बहन को कस के पकड़ लिया और उसके सीने से चिपक गयी। जेनिलिया भी उसके सिर पर हाथ रख कर बालों को सहलाने लगी।
          एक चुप्पी छा गयी थी पूरे हाल में। थोड़ी देर बाद जेनिलिया और जैनी सो गयीं। लेकिन समीर बेचैन था। उसने देखा कैप्टन खड़की में बैठा काफी देर से लगातार ऊपर की और देख रहा है। वो उठा और जा कर कैप्टन के पास बैठ गया।

समीर हल्के से बोला "तुम चाहो तो थोड़ी देर के लिए सो जाओ। मैं हूँ यहाँ।"

कैप्टन जो कि बियर के नशे में था, हल्के से मुस्कुराते हुए बोला "नही, कोई बात नही।"

"मेरे दिमाग में कुछ सवाल हैं कैप्टन"

"सबके होते हैं। किसी को जवाब मिल जाते हैं और किसी की ज़िंदगी सवालों में ही गुजर जाती है"

"तुमने कैसे उस जानवर का सामना किया? और तुम्हें उनके डर के बारे में कैसे पता था?"

कैप्टन आसमान में देखते हुए बोला "तुम्हें बहुत कुछ जानना है दोस्त, मैं नही चाहता था तुम इस तरह जानों सब कुछ। थोड़ा सब्र रखो। मुझे भी कुछ जानना है। कल तक रुक जाओ। उम्मीद है मुझे मेरे सवालों के जवाब मिल जाएंगे कल तक और अगर ऐसा होता है तो मैं तुम्हे भी तुम्हारे सवालों के जवाब दे दूँगा,वादा करता हूं।"

"तुम्हारी पत्नी और बच्ची वाली बात झूठी थी ना?" समीर ने उसकी आँखों में झांकते हुए कहा।

कैप्टन ने कुछ पलों के लिए उसकी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए बोला "सो जाओ दोस्त, तुम्हें आराम की जरूरत है।" ऐसा कह कर कैप्टन उठा और जा कर सोफे पर लेट गया। समीर थोड़ी देर आसमान को देखता रहा। वो स्याह सितारों भरा आसमान खुद में कितने सच और झूठ छिपाये हुए है। थोड़ी देर तक समीर ऐसे ही आसमान को देख कर कुछ सोचता रहा। फिर आ कर अपनी जगह पर लेट गया। वो कैप्टन के सोने का इंतजार करने लगा। 20 मिनट बाद कैप्टन जोर-जोर से खर्राटे मारने लगा, जेनिलिया और जैनी भी गहरी नींद में थे। समीर धीरे से उठा, कैप्टन की जेब से ट्रक की चाबी निकाली। अपने बैग से टोर्च निकली। दबे पांव नीचे आया। आस-पास कोई नही था। ड्राइवर की तरफ से दरवाजा खोल कर अंदर दाखिल हुआ। उसने दरवाजा खुला रखा ताकि हवा आती रहे क्योंकि उसे कैप्टन की बात याद थी कि बन्द दरवाजे में ट्रक का इंजन चलता रहना चाहिए तभी उसके वेंट्स से ऑक्सिजन अंदर आएगी। उसने कैप्टन का सामान खंगालना शुरू किया। उसे कुछ भी ऐसा नही मिला जो पुख्ता जानकारी दे सके। जब हाथ-पैर मार कर वो वापिस जाने लगा तो उसका ध्यान डैशबोर्ड के नीचे फँसाये गए एक घनाभा कार डिब्बे पर गया। समीर ने उसे निकाला। उस डिब्बे पर वैसे ही S का निशान बना हुआ था जैसे उस अंगुठी पर था। लेकिन वो डबल नही सिर्फ एक S था। समीर की दिलचस्पी बढ़ी और वो उस डिब्बे को ले कर वहीं सीट पर बैठ गया। उसने उसे खोलने के लिए ज़ोर लगाया पर वो बड़ी आसानी से खुल गया। उसके अंदर बहुत सारे कागज़ थे। देखने से वें किसी नक्शे जैसे लग रहे थे। ऊपरी दो नक्शे तो समझ आ रहा था कि कहां-कहां के हैं क्योंकि वो भारतीय प्रायद्वीप के थे और बाकी के नक्शे देख कर समीर चकरा गया। बाकी के 4-5 नक्शे अंतरिक्ष के थे। वों सभी नक्शे अलग-अलग समय में धरती की स्थिति को संदर्भित करते थे। उन सब कागजों के नीचे एक आखरी नक्शा देख कर तो समीर के होश उड़ गए। क्योंकि वो नक्शा दक्षिण में उसके पुराने घर का था। जहां वो अपनी माँ के साथ रहता था। समीर खुद से बोला "इसका मतलब ये मुझे इतिफाक से नही बल्कि जानबूझ कर मिला है। इसका कोई कनेक्शन तो जरूर है मुझसे।"

सबसे आखरी में तीन फ़ोटो उल्टे रखे हुए थे। समीर ने पहला उठाया। और ये क्या? ये तो समीर का फोटो था उस वक़्त का जब को 15 साल का था और उसकी माँ उसे छोड़ कर गयी थी। वो फ़ोटो उसके पुराने घर का था और इस फोटो को जाते वक्त उसकी माँ ले गयी थी। लेकिन ये कैप्टन के पास कैसे? उसने दूसरा और तीसरा फ़ोटो भी जल्दी से उठाया और अब समीर के दिमाग ने काम करना लगभग बन्द कर दिया। एक फोटो तो उसकी माँ का था 15 साल पहले का ही और दूसरा फ़ोटो भी उसकी माँ का था लेकिन उसमें उसके साथ कोई और भी खड़ा था। वो कोई और शख्स कैप्टन था। कैप्टन उसकी माँ के पास हाथ में बन्दुक लिए बड़े अदब से खड़ा था। दोनों मुस्कुरा रहे थे। दोंनो फ़ोटो एक ही जगह के थे, शायद कोई हाइटेक लैब थी। उसकी माँ ने भी अजीब सी पोशाक पहन रखी थी। समीर के दिमाग में सवालों का तूफान चल रहा था। उसने सब समान अपनी जगह रखा और सिर्फ वों तीन फ़ोटो अपने पास रखीं।

       ट्रक से उतरकर उसे लोक किया। नीचे उतर कर सड़क पर थोड़ा टहलने लगा। उनकी लगाई गई आग अभी भी हल्की-हल्की सुलग रही थी। गजब की शांति थी सड़क पर, चांद की चांदनी रात को खूबसूरत रूप दे रही थी। समीर का मन कर रहा था कि जोर-जोर से चीख दे इस वीराने में पर उसकी आवाज उसके अन्दर कहीं दफन हो गयी थी। वो चाह रहा था कि कैप्टन का गला दबा कर उससे सच उगलवा लेकिन वो जानता था की वो कामयाब नही होगा क्योंकि वो देख चुका था कैसे कैप्टन ने उस जानवर को धूल चटाई थी। उसकी ताकत के आगे समीर की कोई हस्ती नही थी। पर वो ये भी नही जानता था कि कैप्टन दोस्त है या दुश्मन क्योंकि जब से मिला है तब से उसने कईं बार उसकी और उसके दोस्तों की जान बचाई थी और रात जब उस जानवर ने उस पर हमला किया तो कैप्टन कैसे गुस्से से पागल हो गया था। लेकिन अब ये नक्शे और फोटो? वो फैसला नही कर पा रहा था कि क्या करे और क्या नही। तभी उसे याद आया कि कैप्टन ने उससे कल तक का वक़्त मांगा है। इस बात की उसने खुद को तस्सली दी कि शायद कल कैप्टन उसे सब सच-सच बता दे। ये सोच कर वो वापिस आ गया और आराम से सोने की कोशिश करने लगा।

       अगली सुबह सब नीचे आये। कैप्टन ट्रक को तैयार कर रहा था।

समीर ने पूछा "क्या इसमें वक़्त लगेगा?"

कैप्टन बोला "हां, थोड़ा सा। शायद 20 से 25 मिनट। रात हमने काफी फ्यूल निकाल लिया।"

"ओके, तब तक हम थोड़ा सा टहल लेते हैं और तुम इसे तैयार करो। आओ जेनिलिया, जैनी तुम भी आओ" समीर बोला।

जेनिलिया साथ में चलती हुई बोली "हमें गन ले लेनी चाहिए। वों जानवर..." कैप्टन ने उसकी बाद काट दी और अपने काम में लगा हुआ, बिना उनकी तरफ देखे बोला  "वों दिन में नही आते, ठंड के शिकारी हैं। हां पर मुर्दों से और ज़िंदा इंसानों से बच कर रहना। ज्यादा दूर मत जाना।"

समीर कैप्टन को देख रहा था जबकि वो औजार ले कर अपने काम में व्यस्त था। जेनिलिया कुछ कहने वाली थी पर समीर ने चलने का इशारा किया। कुछ दूर आ कर जेनिलिया बोली "समीर उसे कैसे पता कि...?" समीर बीच में बोल पड़ा "कि वों जानवर क्या करते हैं क्या नही है ना? सुनो और भी बहुत कुछ है जो अजीब है। मेरी तो जिदंगी सर्कस बन गयी है"

"क्या मतलब?" जेनिलिया ने पूछा।

समीर ने उसे सब कुछ बता दिया और उसे वों फ़ोटो भी दिखा दिए। जेनिलिया और जैनी सुन के हैरान रह गयीं।

जेनिलिया उस फ़ोटो को ध्यान से देखते हुए बोली "समीर तुमने एक चीज़ पर ध्यान दिया?"

"क्या?" समीर ने पूछा।

जेनिलिया ने समझाया "देखो तुमने कहा यें दोनों फोटो तुम्हारी माँ की हैं, तब की जब वो तुम्हें छोड़ कर गयीं थी यानी आज से यही कोई 15 साल पहले की। इसमें उनकी उम्र लगभग 40 के आस-पास है जो कि तुम्हें याद भी है कि वों 15 साल पहले ऐसी दिखतीं थीं। है ना?"

"बिल्कुल ठीक" समीर ने सहमति में सिर हिलाते हुए कहा।

जेनिलिया आगे बोली "उस हिसाब से देखो, कैप्टन इस 15 साल पुरानी फ़ोटो में भी बिल्कुल वैसा दिख रहा है जैसा वो आज यानी 15 साल बाद है। मतलब अगर उसकी उम्र आज 50 साल मान लें तो इस फ़ोटो के हिसाब से उसकी उम्र 15 साल पहले भी इतनी ही थी को की मुमकिन नही हो सकता। क्या है ये आदमी?"

जैनी और समीर ये सोच कर हैरान हो गए। एक कंपकपी सी पूरे शरीर में दौड़ गयी तीनों के। उन्होंने कुछ दूरी पर काम करते कैप्टन को देखा। वो ट्रक के साथ बिल्कुल एक आम आदमी की तरह जूझ रहा था। तीनों को रात का उसकी ताकत का नमूना याद आया। उसका अजीब व्यवहार भी उनकी आँखों के आगे आने लगा।

जैनी बोली "इसका मतलब वो भूत है?"

समीर कैप्टन को देखता हुआ बोला "उससे बड़ा सवाल है की अच्छा है या बुरा?"

तीनों कैप्टन को डर और शक की मिलीजुली नजर से देख रहे थे। जबकि कैप्टन अपने काम में मशगूल था।

आखिर क्या राज है कैप्टन का? 15 साल पहले का कैप्टन और आज का कैप्टन देखने में हूबहू एक जैसे कैसे हैं? और समीर के परिवार से उसका क्या सम्बंध है? इन सवालों से बड़ा एक और सवाल है कि आखिर समीर की माँ का क्या राज है? समीर कैप्टन से इत्तिफाक से मिला था या किसी बड़ी साजिश का हिस्सा है ये सब? जानने के लिए कहानी से जुड़े रहिए, और अपनी बहुमुल्य प्रतिक्रिया देते रहें। आपसे जल्दी ही मुलाकात होगी अगले भाग में। धन्यवाद।

....जारी है...

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रचनाएँ
Dead Ends: A Beginning
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रहस्य और रोमांच से भरी एक खूबसूरत यात्रा जो आपको कल्पना के अंतहीन आयामों में ले उड़ेगी।
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भाग-1, समंदर की तलाश

26 फरवरी 2022
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सुनसान सड़क थी, सूखी झाड़ियां ही सड़क के साथ-साथ इक्का-दुक्का दिखती थी, इसके अलावा कोई पेड़ नजर में नही आता था। सड़क पर अधिकतर रेत ही था। हवा भी रेत को चारो

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भाग-2, आदमख़ोर

26 फरवरी 2022
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समीर दौड़ता हुआ इमारत के पीछे गया। वहाँ बहुत सारा मलबा बिखरा पड़ा हुआ था। आखिरकार वो उस जगह पहुंचा, समंदर तट पर। उसके सामने लहलहाता अथाह समंदर था, समंदर, पर वैसा नही जैसा वो सोच रहा था बल

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भाग-3, कैप्टन

26 फरवरी 2022
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तीन गाड़ियां, एक ट्रक और 6 घुड़सवार थे। वों कुल मिला कर 25 से 30 लोग होंगे। रेत की धूल अब धीरे-धीरे नीचे बैठ रही थी। माहौल में शांति थी। हमारे तीनों पात्र जो एक छोटे से ट्रक के कैबि

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भाग-4, एक मरता हुआ ग्रह

26 फरवरी 2022
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समीर ने दोनों बहनों को देखा। दोनों बहनें ऐसे नजरें चुरा रहीं थीं जैसे किसी ने उधार के पैसे जान की कीमत पर वापिस मांग लिए हों। "देखो, मेरी बात सुनो..." जेनिलिया कुछ समझाने की कोशिश करती है। "ओह! तो मत

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भाग-5, अनहोनी-1

4 अप्रैल 2022
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(अभी तक आपने पढ़ा कि कैसे कैप्टन उन तीनों को अपने साथ आने को राजी कर लेता है। वों उत्तर की और बढ़ रहे होते हैं पर तभी उनके रास्ते में एक अजीब और खतरनाक बाधा आ पड़ती है जो उन्हें रुकने पर मजबूर कर देती है

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6. चीख़ता वीराना

28 अप्रैल 2022
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(पिछले भाग में अपने पढ़ा कि कैसे समीर उन मुर्दों से बहादुरी से लड़ता हुआ और जैनी की जान बचाते-बचाते खुद लावा से भरी दरार में गिर जाता है। अब आगे।) जेनिलिया और जैनी तो जड़ हो गए थे। पर कैप्टन ने वक़्त की न

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अर्धसत्य

18 जुलाई 2022
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(अभी तक आपने पढ़ा कि समीर कैप्टन के कुछ राज पता लगाता है जो समीर और उसकी माँ से भी जुड़े हुए लगते हैं। समीर उन्हें जेनिलिया व जैनी के समक्ष रखता है। उन्हें एहसास होता है कि जैसे कैप्टन समय के चक्कर को म

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