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"शहीदों की शहादत और सरकार की ड्रामेबाजी"

24 अप्रैल 2017

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आज छतीसगढ के सुकमा जिले मे नक्सलियों से लड़ते हुए मां भारती के 26 के लगभग जवान शहीद हो गए....और ये भी हर बार की तरह भूला दिया जाएगा....सरकार के लोग 2-4 दिन चिल्लाऐगें...हम नामोनिशान मिटा देगें नक्शलवाद का वगैरह वगैरह...फिर इसको दबाने के लिए कोई नया मुद्दा लाया जाऐगा... अरे देश के बाहर सर्जिकल स्ट्राइक करने वालो अपने घर को तो संभाल लो... और एक बार में ये सब नक्सलवाद की समस्या को ख्त्म कर दो.....पिछले 10 साल में देश के अदंर ज्यादा जवान शहीद हुए हैं बजाय शरहद के...लेकिन दिल्ली के अंदर एयर कंडीशनर रूमों में बैठकर पान चबाने वाले नेताओं के कान पर जूं तक नहीं रेंगती.....कहीं खाने की शिकायत पर जवानों को बर्खास्तगी मिलती है ....मुझे लगता है कुछ दिनों बाद सेना के लिए जवान ढूंढने से लिए भी नहीं मिलेगें....ये घटनाएं सरकार का घटियापन...निकम्मापन..और अकर्मण्यता दर्शाती है...
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"आदमी का शौषण और जिम्मेवार कौन"

12 फरवरी 2017
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"चोर बैठ कर ताले बनाते है.....ये बात अब साफ हो गई है कि कुछ लोग अपने स्वार्थ के चक्कर हद से ज्यादा गिर चुके हैं ...चाहे नये कर्मचारियों का शौषण करना हो या खुद के प्रमोशन के लिए चापलूसी करनी हो.....आज इस देश के हरेक संस्थान मे यही हो रहा है....चंद बकवास आदमी प्रबंन्धन के साथ मिल कर आदमी की शारीरीक,मा

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"शहीदों की शहादत और सरकार की ड्रामेबाजी"

24 अप्रैल 2017
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आज छतीसगढ के सुकमा जिले मे नक्सलियों से लड़ते हुए मां भारती के 26 के लगभग जवान शहीद हो गए....और ये भी हर बार की तरह भूला दिया जाएगा....सरकार के लोग 2-4 दिन चिल्लाऐगें...हम नामोनिशान मिटा देगें नक्शलवाद का वगैरह वगैरह...फिर इसको दबाने के लिए कोई नया मुद्दा लाया जाऐगा...अरे देश के बाहर सर्जिकल स्ट्राइक

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"सरकार और हड़ताल के आसार क्यों"

7 जुलाई 2017
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"इस देश में सरकारी कर्मचारी काम नहीं करते भला कैसे.....अब रेलवे को ही ले लो भाजपा के आने से पहले रेलवे में 1600000 कर्मचारी काम करते थे और 2 साल में ही सारी ट्रेने रोबोट चला रहे हैं..मेन्टेनेस रोबोट संभाल रहे हैं...स्टेशनों का सारा जिम्मा GPS प्रणाली द्वारा रोबोटों ने संभाल लिया है...हजारों टन माल ढ

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"अंधभक्ति,देश के युवा...और हम

7 मार्च 2018
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"दिन रात अंधेरे कमरों में पढाई करते करते, कोचिंग सेंटरो की मंहगी फिस और आंखो पर शीशे लगाकर ....गलियों मे आवारा घुमते रोजगार की आस में युवा कितने बेबस से लाचार हो गए हैं...लेकिन राजनेता चयन आयोगो के कर्मचारियों के साथ मिलकर ..नौकरियों को बेचने का ऐसा नंगा नाच करते हैं....कि सिवाय पकोङे तलने के युवा क

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"आंखो के अधूरे ख्वाब....

4 जुलाई 2018
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"कुछ अधूरे ख्वाब लेकर, इन तरसती आँखों में,तङफ उठूँगा रातों में,कैसे मैं जी पाऊंगा....किया वादा जो तोङ रहे हो,छुपके से मुंह मोड़ रहे हो,साथ मेरा जो छोङ रहे हो,मैं ना छोङ पाऊँगा...मन-मिलन का संसार मेरा था,बाकि ना कोई वार मेरा था,सांसों में इकरार तेरा था,हाथ मेरा तुम छोङ रहे हो...मैं ना छोङ पाऊँगा...जब

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