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मिले दल मेरा तुम्हारा

29 जनवरी 2017

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मिले दल मेरा तुम्हारा विवेक रंजन श्रीवास्तव ओ बी ११ , विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर जबलपुर ९४२५८०६२५२ मुझे कोई यह बताये कि जब हमारे नेता "घोड़े" नहीं हैं, तो फिर उनकी हार्स ट्रेडिंग कैसे होती है ? जनता तो चुनावो में नेताओ को गधा मानकर "कोई नृप होय हमें का हानि चेरी छोड़ न हुई हैं रानी" वाले मनोभाव के साथ या फिर स्वयं को बड़ा बुद्धिजीवी और नेताओ से ज्यादा श्रेष्ठ मानते हुये ,मारे ढ़केले बड़े उपेक्षा भाव से अपना वोट देती आई है . ये और बात है कि चुने जाते ही , लालबत्ती और खाकी वर्दी के चलते वही नेता हमारा भाग्यविधाता बन जाता है और हम जनगण ही रह जाते हैं . यद्यपि जन प्रतिनिधि को मिलने वाली मासिक निधि इतनी कम होती है कि लगभग हर सरकार को ध्वनिमत से अपने वेतन भत्ते बढ़वाने के बिल पास करने पड़ते हैं , पर जाने कैसे नेता जी चुने जाते ही बहुत अमीर बन जाते हैं . पैसे और पावर ही शायद वह कारण हैं कि चुनावो की घोषणा के साथ ही जीत के हर संभव समीकरण पर नेता जी लोग और उनकी पार्टियां गहन मंथन करती दिखती है .चुपके चुपके "दिल मिले न मिले ,जो मिले दल मेरा तुम्हारा तो सरकार बने हमारी " के सौदे , समझौते होने लगते हैं , चुनाव परिणामो के बाद ये ही रिश्ते हार्स ट्रेडिंग में तब्दील हो सकने की संभावनाओ से भरपूर होते हैं . "मेरे सजना जी से आज मैने ब्रेकअप कर लिया" वाले सेलीब्रेशन के शोख अंदाज के साथ नेता जी धुर्र विरोधी पार्टी में एंट्री ले लेने की ऐसी क्षमता रखते हैं कि बेचारा रंगबदलू गिरगिटान भी शर्मा जाये . पुरानी पार्टी आर्काईव से नेताजी के पुराने भाषण जिनमें उन्होने उनकी नई पार्टी को भरपूर भला बुरा कहा होता है , तलाश कर वायरल करने में लगी रहती है . सारी शर्मो हया त्यागकर आमआदमी की भलाई के लिये उसूलो पर कुर्बान नेता नई पार्टी में अपनी कुर्सी के पायो में कीलें ठोंककर उन्हे मजबूत करने में जुटा रहता है . ऐसे आयाराम गयाराम खुद को सही साबित करने के लिये खुदा का सहारा लेने या "राम" को भी निशाने पर लेने से नही चूकते . जनता का सच्चा हितैषी बनने के लिये ये दिल बदल आपरेशन करते हैं और उसके लिये जनता का खून बहाने के लिये दंगे फसाद करवाने से भी नही चूकते . बाप बेटे , भाई भाई , माँ बेटे , लड़ पड़ते हैं जनता की सेवा के लिये हर रिश्ता दांव पर लगा दिया जाता है . पहले नेता का दिल बदलता है , बदलता क्या है , जिस पार्टी की जीत की संभावना ज्यादा दिखती है उस पर दिल आ जाता है . फिर उस पार्टी में जुगाड़ फिट किया जाता है .प्रापर मुद्दा ढ़ूढ़कर सही समय पर नेता अपने अनुयायियो की ताकत के साथ दल बदल कर डालता है . वोटर का दिल बदलने के लिये बाटल से लेकर साड़ी , कम्बल , नोट बांटने के फंडे अब पुराने हो चले हैं . जमाना हाईटेक है , अब मोबाईल , लेपटाप , स्कूटी , साईकिल बांटी जाती है . पर जीतता वो है जो सपने बांट सकने में सफल होता है . सपने अमीर बनाने के , सपने घर बसाने के , सपने भ्रष्टाचार मिटाने के . सपने दिखाने पर अभी तक चुनाव आयोग का भी कोई प्रतिबंध नही है . तो आइये सच्चे झूठे सपने दिखाईये , लुभाईये और जीत जाईये . फिर सपने सच न कर पाने की कोई न कोई विवशता तो ब्यूरोक्रेसी ढ़ूंढ़ ही देगी . और तब भी यदि आपको अगले चुनावो में दरकिनार होने का जरा भी डर लगे तो निसंकोच दिल बदल लीजीयेगा , दल बदल कर लीजीयेगा . आखिर जनता को सपने देखने के लिये एक अदद नेता तो चाहिये ही , वह अपना दिल फिर बदल लेगी आपकी कुर्बानियो और उसूलो की तारीफ करेगी और फिर से चुन लेगी आपको अपनी सेवा करने के लिये . ब्रेक अप के झटके के बाद फिर से नये प्रेमी के साथ नया सुखी संसार बस ही जायेगा . दिल बदल बनाम दलबदल , लोकतंत्र चलता रहेगा . vivek ranjan shrivastava

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रेणु

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विवेक जी ,आप का ये विनोदी व्यंग मुझे छू गया --और मेरे होठों पर मुस्कराहट बिखेर गया -- बहुत शुभकामना

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देश की अखण्डता के लिये देश के हर हिस्से में सभी धर्मो के लोगो का बिखराव जरूरी है विवेक रंजन श्रीवास्तव विनम्र अधीक्षण अभियंता सिविल, म प्र पू क्षे विद्युत वितरण कम्पनीओ बी ११ , विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर जबलपुर ४८२००८ फोन ०७६१२६६२०५२         प्रश्न है देशों का निर्माण  कैसे हुआ  ?  भौगोलिक स्थिति

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आरक्षण..धर्म और संस्कृति धर्म को लेकर भारत में तरह तरह की अवधारणायें पनपती रही हैं . यद्यपि हमारा संविधान हमें धर्म निरपेक्ष घोषित करतया है किन्तु वास्तव में यह चरितार्थ नही हो रहा . देश की राजनीति में धर्म ने हमेशा से बड़ी भुमिका अदा की है . चुनावो में जाति और ढ़र्म के नाम पर वोटो का ध्रुवीकरण कोई नई

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गुमशुदा पाठक की तलाश

16 जनवरी 2017
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29 जनवरी 2017
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मिले दल मेरा तुम्हारा विवेक रंजन श्रीवास्तव ओ बी ११ , विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर जबलपुर ९४२५८०६२५२मुझे कोई यह बताये कि जब हमारे नेता "घोड़े" नहीं हैं, तो फिर उनकी हार्स ट्रेडिंग कैसे होती है ? जनता तो चुनावो में नेताओ को गधा मानकर "कोई नृप होय हमें का हानि चेरी छोड़ न हुई हैं रानी" वाले मनोभाव के

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धन्नो , बसंती और बसंत

6 फरवरी 2017
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बसंत बहुत फेमस है पुराने समय से , बसंती भी धन्नो सहित शोले के जमाने से फेमस हो गई है . बसंत हर साल आता है , जस्ट आफ्टर विंटर. उधर कामदेव पुष्पो के बाण चलाते हैं और यहाँ मौसम सुहाना हो जाता है .बगीचो में फूल खिल जाते हैं . हवा में मदमस्त गंध घुल जाती है . भौंरे गुनगुनाने लगते हैं .रंगबिरंगी तितलि

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दिल पर पत्थर रखकर मुंह पर मेकअप कर लिया

8 फरवरी 2017
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व्यंग दिल पर पत्थर रखकर मुंह पर मेकअप कर लिया विवेक रंजन श्रीवास्तव ओ बी ११ , विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर जबलपुर ९४२५८०६२५२ मोबाइल पर एक से बात करते हुये झल्लाहट की सारी हदें पार करने के बाद भी , सारी मृदुता के साथ त्वरित ही पुनः अगली काल पर हममें से किसने बातें नही की हैं ? डाक्टरो के लिये य

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वैमनस्य भूल कर नई शुरुवात करने का पर्व होली

1 मार्च 2017
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परस्पर वैमनस्य भूल कर नई शुरुवात करने का पर्व होली विवेक रंजन श्रीवास्तवए १ , शिलकुन्ज , विद्युत मण्डल कालोनी नयागांव , जबलपुरvivek1959@yahoo.co.in9425806252, 70003757987 हमारे मनीषियो द्वारा समय समय पर पर्व और त्यौहार मनाने का प्रचलन ॠतुओ के अनुरूप मानव मन को बहुत समझ बूझ कर निर्धारि

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http://shop.storymirror.com/_/index.php?route=product/product&product_id=182

29 मार्च 2017
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सबकी सेल्फी हिट हो

10 अप्रैल 2017
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"स्वाबलंब की एक झलक पर न्यौछावर कुबेर का कोष " राष्ट्र कवि मैथली शरण गुप्त की ये पंक्तियां सेल्फी फोटो कला के लिये प्रेरणा हैं . ये और बात है कि कुछ दिल जले कहते हैं कि सेल्फी आत्म मुग्धता को प्रतिबिंबित करती हैं . ऐसे लोग यह भी कहते हैं कि सेल्फी मनुष्य के वर्तमान व्यस्त एकाकीपन को दर्शाती है . जि

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बुझ गई लाल बत्ती

25 अप्रैल 2017
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आम से खास बनने की पहचान थी लाल बत्तीविवेक रंजन श्रीवास्तव ए १ , विद्युत मण्डल कालोनी , शिला कुन्जजबलपुर मो ९४२५८०६२५२ , vivek1959@yahoo.co.in बाअदब बा मुलाहिजा होशियार , बादशाह सलामत पधार रहे हैं ... कुछ ऐसा ही उद्घोष करती थीं मंत्रियो , अफसरो की गाड़ियों की लाल बत्तियां . दूर से लाल बत्तियों के

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खीरा सर से काटिये, मलिये नमक लगाए, देख कबीरा यह कहे, कड़वन यही सुहाए

6 मई 2017
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व्यंग्य खीरा सर से काटिये, मलिये नमक लगाए, देख कबीरा यह कहे, कड़वन यही सुहाएविवेक रंजन श्रीवास्तव vivek1959@yahoo.co.in हम सब बहुत नादान हैं . इधर पाकिस्तान ने दो चार फटाके फोड़े नहीं कि हमारा मीडीया हो हल्ला मचाने लगता है . जनता नेताओ को याद दिलाने लगती है कि तुमको चुना ही इसलिये था कि तुम पाकिस्

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सिफारिशी घंटी का सवाल है बाबा

16 मई 2017
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तर्जनी बनाम अनामिका

22 मई 2017
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व्यंगअनामिका विवेक रंजन श्रीवास्तव विनम्रvivekranjan.vinamra@gmail.com, ७०००३७५७९८मेरी एक अकविता याद आ रही है ,जिसका शीर्षक ही है "शीर्षक".कविता छोटी सी है , कुछ यूंएक कविताएक नज्म एक गजल हो तुम तरन्नुम में और मैं महज कुछ शब्द बेतरतीब से जिन्हें नियति ने बना दिया है तुम्हारा शीर्षक और यूंमिल गया है

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आधी रात को कोर्ट में

18 मई 2018
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गर्मी

27 मई 2018
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अपनी अपनी सुरंगों में कैद

19 अगस्त 2018
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व्यंग्य अपनी अपनी सुरंगों में कैद विवेक रंजन श्रीवास्तव थाईलैंड में थाम लुआंग गुफा की सुरंगों में फंसे बच्चे और उनका कोच सकुशल निकाल लिये गये. सारी दुनिया ने राहत की सांस ली .हम एक बार फिर अपनी विरासत पर गर्व कर सकते हैं क्योकि थाइलैंड ने विपदा की इस घड़ी में न केवल भ

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