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पेंसिल सी होती ज़िंदगी

21 मार्च 2018

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पेंसिल सी होती जिंदगी... बिना नोक के समतल सी , फिर नोक धीरे धीरे बनाई जाती... जिंदगी में भी उसी तरह उम्मीद जगाई जाती , घिसते घिसते नोक फिर से अपनी धार खो देती... उसी तरह जिंदगी में भी यही घिसर चलती रहती , जैसे ही नोक फिर से बनाई जाती लिखावट फिर से खूबसूरत हो आती... वैसे ही जिंदगी में भी हर खुशी और प्यारा लम्हा जिंदगी फिर से निखार देता , धीरे धीरे पेंसिल का आकार हाथ मे न आताऔर उसका महत्व कम होता जाता... वही हाल जिंदगी के आखिरी पल में साँसों के छूटने का डर बना रहता , एक दिन दोनो की पकड़ छूट जाती और पेन्सिल सी जिंदगी अलविदा कह जाती ।। ©नेहाभारद्वाज

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21 मार्च 2018
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बलिदान दिवस विशेष

23 मार्च 2018
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दो वर्ष के भीतर ही तीन वीरों ने जन्म लिया...भगतसिंह , सुखदेव और राजगुरु इन्हें नाम दिया , बचपन से ही इन्होंने ठानी , आजादी है देश मे लानी...आठ वर्ष की उम्र में , भगतसिंह में भर गई थी चिंगारी...जब देखी जलियांवाला बाग में रुदन किलकारी...लाला जी की मौत का लेना था प्रतिशोध...कर दी सांडर्स की हत्या , बिन

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लाइक और शेयर कीजिये वरना .....

30 मार्च 2018
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चिरनिंद्रा में एक कवि

16 अगस्त 2018
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सो गया चिरनिंद्रा में एक कवि...रह गयी धरती पर अमिट छवि ,घुल गयी हवाओं में एक रूह... हो रही है चारो और एक आह ,दे रहे श्रद्धांजलि जन मानस सभी...रो रहे धरती गगन है मौन भी ,आने वाली पीढियां भी यश गायेंगी...ऐसा महान नेता दोबारा कहीं न पायेंगी ,हो जिसमें एक महान नेता के सभी गुण...हो सवार सिर पर बस देश हित

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