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आठवाँ दृश्य

26 जनवरी 2022

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स्थान-वंशनगर, एक सड़क
(सलारन और सलोने आते हैं)

सलारन : अजी मैंने स्वयं बसन्त को जहाज पर जाते देखा; उन्हीं के साथ गिरीश भी गया है, पर मुझे विश्वास है कि उस जहाज में लवंग कदापि नहीं है।

सलोने : उस दुष्ट जैन ने वह आपत्ति मचायी कि महाराज को स्वयं बसन्त के जहाज की तलाशी लेने के लिये जाना पड़ा।

सलारन : हाँ, परन्तु वह देर करके पहुँचे, उस समय जहाज जा चुका था और वहाँ महाराज को समाचार मिला कि लवंग अपनी वल्लभा जसोदा के सहित एक छोटी सी नाव में जाता दृष्टि पड़ा था। इसके सिवाय अनन्त ने महाराज को अपने भरोसे पर इस बात का विश्वास कराया कि वह दोनों बसन्त के जहाज पर नहीं हैं।

सलोने : मैंने तो आज तक घबराहट और झँुझलाहट के ऐसे बेजोड़ और विचित्र वाक्य न सुने थे जैसे कि वह जैनी कुत्ता सड़क पर बक रहा था-मेरी बेटी!-हाय मेरी अशरफियाँ!-हाय मेरी बेटी!-हाय!-एक आर्य के साथ भाग गई!-हाय मेरी आर्य आशरफियाँ!-न्याय कानून! मेरी अशरफियाँ और मेरी बेटी! एक सरबमुहर तोड़ा, दो सरबमुहर तोड़े अशरफियों के, कलदार अशरफियों के, मेरी बेटी चुरा ले गई!-और रत्न; दो नगीने, दो अमूल्य, अलम्भ्य, नगीने, जिन्हें मेरी बेटी चुरा ले गई!-न्याय! लड़की का पता लगाओ! उसी के पास अशरफियाँ और पत्थर हैं।'

सलारन : अजी वंशनगर के सारे लड़के उसके पीछे दौड़ते हैं और हल्ला मचा कर चिढ़ाते हैं-इसके पत्थर, इसकी लड़की और इसकी अशरफियाँ।

सलोने : अनन्त महाशय को चाहिए कि उससे सावधान रहें और ठीक समय पर ऋण चुका दें नहीं तो पीछे से पछताना पड़ेगा।

सलारन : तुमने अच्छा स्मरण दिलाया, कल मैं एक फनेशवासी से बातचीत कर रहा था कि उसने वर्णन किया कि उस छोटे समुद्र में जो फनेश और अंगदेश को जुदा करता है तुम्हारे देश का एक अमूल्य धन से लदा हुआ जहाज डूब गया है। मुझे इस समाचार के सुनते ही अनन्त के जहाज का ध्यान आया और मन में ईश्वर से प्रार्थना करने लगा कि वह उनका जहाज न हो।

सलोने : पर तुमको यही उचित है कि जो कुछ सुनो अनन्त के कान तक पहुँचा दो, किन्तु अकस्मात् मत कह देना क्योंकि इसमें कदाचित उन्हें अधिक सोच हो।

सलारन : मुझे तो उनसे बढ़कर दयावन्त मनुष्य सारे संसार में दृष्टि नहीं आता। मैं बसन्त और अनन्त के जुदा होने के समय उपस्थित था। बसन्त ने उनसे कहा कि मैं जहाँ तक सम्भव होगा शीघ्र लौट आऊँगा जिस पर उन्होंने उत्तर दिया-"बसन्त मेरे लिये काम में कदापि शीघ्रता न करना वरंच उचित अवसर के अधीन रहना और उस दस्तावेज के विषय में जो मैंने जैन को लिख दी है कभी अपने जी में ध्यान न करना। प्रति क्षण प्रसन्न रहना और अपने चित्त का प्राणप्रिया की प्रसन्नता और प्रेम के सूचित करने में आसक्त रखना जो तुम्हारे मनोरथ के लिये उपयुक्त हों।" परन्तु अन्त को उनकी आँखों मे आसू ऐसे डबडबा आए कि और कुछ न कह सके औरं अपना मुँह फेर कर बसन्त की ओर हाथ बढ़ाया और एक अद्भुत अनुराग सहित जिससे सच्ची प्रीति टपकती थी उनसे हाथ मिला कर विदा हुए।

सलोने : मैं समझता हूँ कि वह संसार को वसन्त ही के लिये चाहते हैं। चलो उन्हें खोज करके मिलें और उनके जी की उदासी को किसी शुभ समाचार से दूर करें।

सलारन : चलो। (जाते हैं) 

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रचनाएँ
दुर्लभ बन्धु
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उन्होंने कई नाटक, रोजमर्रा की जिंदगी का चित्रण, और सफरनामे लिखे। लेकिन, हरिश्चंद्र की सबसे उल्लेखनीय रचनाएँ आम लोगों की परेशानियों, गरीबी, शोषण, मध्यम वर्ग की अशांति को संबोधित करती हैं, और राष्ट्रीय प्रगति के लिए आग्रह करती हैं। अपने जीवनकाल में, हरिश्चंद्र ने सक्रिय रूप से हिंदी साहित्य के पुनरुद्धार को बढ़ावा दिया और जनता की राय को आकार देने के प्रयास में अपने नाटकों का इस्तेमाल किया।
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प्रथम अंक : पहला दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-वंशपुर की सड़क (अनन्त, सरल और सलोने आते हैं) अनन्त : सचमुच न जाने मेरा जी इतना क्यों उदास रहता है, इससे मैं तो व्याकुल हो ही गया हूँ पर तुम कहते हो कि तुम लोग भी घबड़ा गए। हा, न जाने यह उदासी कै

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दूसरा दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-विल्वमठ में पुरश्री के घर का एक कमरा (पुरश्री और नरश्री आती हैं) पुरश्री : नरश्री मैं सच कहती हूँ कि मेरा नन्हा सा जी इतने बड़े संसार से बहुत ही दुःखी आ गया है। नरश्री : मेरी प्यारी सखी यह बात

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तीसरा दृश्य

26 जनवरी 2022
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(बसन्त और शैलाक्ष आते हैं) शैलाक्ष : छः सहस्र मुद्रा-हूँ। बसन्त : हाँ साहिब-तीन महीने के वादे पर। शैलाक्ष : तीन महीने का वादा-हूँ। बसन्त : और इसके लिये, जैसा कि मैं आप से कह चुका हूँ, अनन्त जामिन

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द्वितीय अंक : पहला दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-विल्वमठ। पुरश्री के घर का एक कमरा (तुरहियाँ बजती हैं। मोरकुटी का राजकुमार अपने सभासदों के सहित और पुरश्री, नरश्री और अपनी दूसरे सहेलियों के संग आती है।) मोरकुटी : मेरी रंगत देखकर मुझसे घृणा न

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दूसरा दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-बंशनगर-एक सड़क (गोप आता है) गोप : निस्सन्देह मेरा धर्म मुझे इस जैन अपने स्वामी के पास से भाग जाने की सम्मति देगा। प्रेत मेरे पीछे लगा है और मुझे बहकाता है कि गोप, मेरे अच्छे गोप, पाँव उठाओ, आग

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तीसरा दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-वंशनगर, शैलाक्ष के घर की एक कोठरी (जसोदा और गोप आते हैं) जसोदा : मुझे खेद है कि तू मेरे बाप की नौकरी छोड़ता है। यह घर मुझे नरक समान लगता है पर तुझ ऐसे हँसमुख भूत के कारण थोड़ा बहुत जी बहल जाता

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चौथा दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-वंशनगर-एक सड़क (गिरीश, लवंग, सलारन और सलोने आते हैं) लवंग : नहीं, वरंच हम लोग खाने के समय खिसक देंगे और मेरे घर पर आकर भेस बदल कर सब लोग लौट आवेंगे। एक घंटे में सब काम हो जायगा। गिरीश : हम लो

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पाँचवाँ दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-वंशनगर-शैलाक्ष के घर के सामने (शैलाक्ष और गोप आते हैं) शैलाक्ष : अच्छा तो तू देखेगा, तेरी आँखें आप ही इस बात का न्याय करेंगी कि वृद्ध शैलाक्ष और बसन्त में कितना अन्तर है। अरी जसोदा! जैसा तू मे

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छठा दृश्य

26 जनवरी 2022
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(स्थान-शैलाक्ष के घर के सामने) (गिरीश और सलारन भेस बदले हुए आते हैं) गिरीश : यही बरामदा है जिसके नीचे लवंग ने हमें खड़े रहने को कहा था। सलारन : उनका समय तो हो गया। गिरीश : आश्चर्य है कि उन्होंने द

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सातवाँ दृश्य

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स्थान-विल्वमठ, पुरश्री के घर का एक कमरा, (तुरहियाँ बजती हैं। पुरश्री और मोरकुटी का राजुकुमार अपने अपने साथियों के साथ आते हैं) पुरश्री : जाओ, पर्दे उठाओ और इस प्रतिष्ठित राजकुमार को तीनों सन्दूक दिख

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आठवाँ दृश्य

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स्थान-वंशनगर, एक सड़क (सलारन और सलोने आते हैं) सलारन : अजी मैंने स्वयं बसन्त को जहाज पर जाते देखा; उन्हीं के साथ गिरीश भी गया है, पर मुझे विश्वास है कि उस जहाज में लवंग कदापि नहीं है। सलोने : उस दु

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नवाँ दृश्य

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स्थान-विल्वमठ, पुरश्री के घर का एक कमरा (नरश्री एक नौकर के साथ आती है) नरश्री : शीघ्रता करो; पर्दे को झटपट उठाओ; आर्यग्राम के राजकुमार शपथ ले चुके और सन्दूक चुनने के लिये पहुँचा ही चाहते हैं। (तुरहि

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तीसरा अंक : पहला दृश्य

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स्थान-वंशनगर, एक सड़क (सलोने और सलारन आते हैं) सलोने : कहो बाजार का कोई नया समाचार है? सलारन : इस बात का अब तक वहाँ बड़ा कोलाहल है कि अनन्त का एक अनमोल माल से लदा हुआ जहाज उस छोटे समुद्र में नष्ट हो

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दूसरा दृश्य

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स्थान-विल्वमठ, पुरश्री के घर का एक कमरा (बसन्त, पुरश्री, गिरीश, नरश्री, और उनके साथी आते हैं। सन्दूक रक्खे जाते हैं) पुरश्री : भगवान के निहोरे थोड़ा ठहर जाइए। भला अपने भाग्य की परीक्षा के पहले एक दो

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तीसरा दृश्य

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स्थान-वंशनगर की एक सड़क (शैलाक्ष, सलारन, अनन्त और कारागार के प्रधान आते हैं) शैलाक्ष : प्रधान इससे सचेत रहो; मुझसे दया का नाम न लो। यही वह मूर्ख है जो लोगों को बिना ब्याज रुपये ऋण दिया करता था। प्रधा

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चौथा दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-विल्वमठ पुरश्री के घर का एक कमरा (पुरश्री, लवंग, जसोदा और बालेसर आते हैं) लवंग : प्यारी यद्यपि आप के मुँह पर कहना सुश्रूषा है पर आप में ठीक देवताओं का सा सच्चा और पवित्र प्रेम पाया जाता है और

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पाँचवाँ दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-विल्वमठ-एक उद्यान (गोप और जसोदा आते हैं) गोप : हाँ बेशक-तुम जानती हो कि पिता के पापों का दण्ड उसके बच्चों को भोगना पड़ता है। इसलिये मैं सच कहता हूँ कि मुझे तुम्हारा अमंगल दृष्टि आता है। मैंने त

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चौथा अंक : पहला दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-वंशनगर राजद्वार (मण्डलेश्वर वंशनगर, प्रधान लोग, अनन्त, बसन्त, गिरीश, सलारन, सलोने और दूसरे लोग आते हैं) मण्डलेश्वर : अनन्त आ गए हैं? अनन्त : धर्मावतार उपस्थित हूँ! मण्डलेश्वर : मुझे तुम पर अ

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दूसरा दृश्य

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स्थान-वंशनगर की एक सड़क (पुरश्री और नरश्री आती हैं) पुरश्री : जैन के घर का पता लगा कर उससे झटपट इस पाण्डुलिपि पर हस्ताक्षर करा लो। हम लोग आज ही रात को चलते होंगे, जिसमें अपने पति से एक दिन पहले घर पह

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पाँचवाँ अंक : पहिला दृश्य

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स्थान-विल्वमठ, पुश्री के घर का प्रवेशद्वार (लवंग और जसोदा आते हैं) लवंग : आहा! चाँदनी क्या आनन्द दिखा रही है! मेरे जान ऐसी ही रात में जब कि वायु इतना मन्द चल रहा था कि वृक्षों के पत्तों का शब्द तक स

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