क्यूंकि माँ- तेरा 'सिर्फ एक' दिन नहीं हो सकता!
अरे माँ, मॉम, मम्मी या अम्मा,कितने भी ‘मास्टर शेफ’ कि डिश खा लूँ,पर तेरी सूखी रोटी आज भी शहद लगती है,कितने भी फेमस ‘हबीब’ से मसाज करा लूँ,तेरे हाथ से की मालिश से ही,मुझे आज भी बेस्ट आँख लगती है!कितने भी बड़े ‘रामदेव’ का योगा कर लूँ,तेरे आँचल के तले ही गहरी शांति मिलती है.क्यूंकि,तू मेरे पेट का साइज़ न