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अधूरी आस

30 जुलाई 2023

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ना जाने क्यूं तन्हा है जिंदगी 
कहने को है सब कुछ पास,

हर एक शख्स बन के अपना आता है
फिर भी जिंदगी की राह में हर बार गुमराह कर जाता है,

हर बार की चाहत रहती है अपने दिलो में आस
फिर भी दूरी में है लेकिन ना कोई पास 
लेकिन उससे भी है नाम की आस।

ढूंढता है मन एक मन मुराद
जिसमे हो मेरा जीवनसाथी
बैठकर लिखता मेरे पास ।।

ना जाने क्यूं नही सुन पाता
ये जमाना और मेरे जैसी तन्हा एक नारी
मेरे मन की अधूरी आस ।।।

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