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अजय कुमार Baranwal के बारे में

यह स्पष्ट होना आवश्यक है कि किसी प्रकार की राजनीतिक मंशा या बैकग्राउन्ड तो नही? मुश्किल ये है कि नेट पे इतना कुछ है कि "हिन्दी की सेवा जैसा विचार तो हजम होने से रहा आज के युग मे", तो तुरन्त विश्वास होता ही नहीं. बिना आर्थिक सपोर्ट के टिक पाने की अन्य संभावनायें क्या है ं?

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अजय कुमार Baranwal के लेख

संग्राम जिन्दगी है

30 जनवरी 2015
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संग्राम जिन्दगी है संग्राम जिन्दगी है, लड़ना उसे पड़ेगा। जो लड़ नहीं सकेगा, आगे नहीं बढ़ेगा॥ इतिहास कुछ नहीं है- संघर्ष की कहानी। राणा, शिवा, भगतसिंह- झाँसी की वीर रानी॥ कोई भी कायरों का, इतिहास क्यों पढ़ेगा? आओ! लड़ें स्वयं से, कलुषों से कल्मषों से। भोगों से वासना से, रोगों के राक्षसों से॥ कुन्दन वही बन

हम गुस्से मे चिल्लाते क्यों हैं ?

30 जनवरी 2015
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हम गुस्से मे चिल्लाते क्यों हैं ? एक बार एक संत अपने शिष्यों के साथ बैठे थे। अचानक उन्होंने सभी शिष्यों से एक सवाल पूछा। बताओ जब दो लोग एक दूसरे पर गुस्सा करते हैं तो जोर-जोर से चिल्लाते क्यों हैं? शिष्यों ने कुछ देर सोचा और एक ने उत्तर दिया : हम अपनी शांति खो चुके होते हैं इसलिए चिल्लाने लगते हैं

महाभारत की तीन घटनाएँ ::

29 जनवरी 2015
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भराञी साथियों,, (जरूर पढें) महाभारत की तीन घटनाएँ :: 1. अभिमन्यु के मृत्यु के बाद जब घटोटक्ष्य कुरुक्षेत्र में आ कर भयंकर युद्ध करने लगा तो सारे कौरव शोर मचाने लगे कि पांडव के पास कोई भी योद्धा नही बचा इसलिए उनलोगो से बाहरी आदमी को इम्पोर्ट किया है। फिर घटोटक्ष्य को कुरुक्षते के बारे में क्या पता?

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

28 जनवरी 2015
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हाथ, जिन में हो जुनून, कटते नही तलवार से, सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से. और भड़केगा जो शोलः सा हमारे दिल में है, सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

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