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अजय श्रीवास्तव के बारे में

मैं सीतापुर ज़िले में रहता हूँ l मेरी रूचि कविताएं लिखने में है l सीतापुर में अन्नपूर्णा साहित्य संगम से जुड़ा हूँ और स्थाई सदस्य हूँ l मैं मंचीय कवि नहीं हूँ मुझे साहित्यिक कविताएं लिखना अच्छा लगता है l मैंने दो खंडकाव्य भी लिखे हैं किन्तु कतिपय कारणों से प्रकाशित नहीं हो पाए हैं l मुझे इस साहित्यिक मंच से जुड़ना अच्छा लगेगा, आशा है कि यहाँ पर प्रतिभा को आसमान मिलेगा l धन्यवाद l

पुरस्कार और सम्मान

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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-06-10

अजय श्रीवास्तव की पुस्तकें

खद्योत : कविता संग्रह l

खद्योत : कविता संग्रह l

इस काव्य संग्रह में विभिन्न प्रकार की कविताओं का संग्रह किया गया है l मानव की विभिन्न प्रकार की अनुभूतियों, राष्ट्र प्रेम, जीवन संघर्ष, प्रेम भावना, इसी प्रकार की अन्यतम विचारों का प्रस्फुटन मनुष्य को जीवंत करने के लिए और उसकी भावनाओं को सकारात्मक ऊर

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खद्योत : कविता संग्रह l

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इस काव्य संग्रह में विभिन्न प्रकार की कविताओं का संग्रह किया गया है l मानव की विभिन्न प्रकार की अनुभूतियों, राष्ट्र प्रेम, जीवन संघर्ष, प्रेम भावना, इसी प्रकार की अन्यतम विचारों का प्रस्फुटन मनुष्य को जीवंत करने के लिए और उसकी भावनाओं को सकारात्मक ऊर

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उत्तरा : एक खंडकाव्य l

उत्तरा : एक खंडकाव्य l

उत्तरा : एक खंडकाव्य उत्तरा विश्व प्रसिद्ध महाकाव्य महाभारत का एक उपेक्षित स्त्री पात्र है l इस खंडकाव्य में उसके जीवन चरित्र के संबंध में कुछ उपेक्षित तत्वों को उकेरा गया है l उत्तरा महापराक्रमी अर्जुन की शिष्या के रूप में प्रस्तुत की गई l किन्तु

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उत्तरा : एक खंडकाव्य l

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उत्तरा : एक खंडकाव्य उत्तरा विश्व प्रसिद्ध महाकाव्य महाभारत का एक उपेक्षित स्त्री पात्र है l इस खंडकाव्य में उसके जीवन चरित्र के संबंध में कुछ उपेक्षित तत्वों को उकेरा गया है l उत्तरा महापराक्रमी अर्जुन की शिष्या के रूप में प्रस्तुत की गई l किन्तु

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उत्तरा : एक खंडकाव्य l

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उत्तरा : एक खंडकाव्य उत्तरा विश्व प्रसिद्ध महाकाव्य महाभारत का एक उपेक्षित स्त्री पात्र है l इस खंडकाव्य में उसके जीवन चरित्र के संबंध में कुछ उपेक्षित तत्वों को उकेरा गया है l उत्तरा महापराक्रमी अर्जुन की शिष्या के रूप में प्रस्तुत की गई l किन्तु

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उत्तरा : एक खंडकाव्य उत्तरा विश्व प्रसिद्ध महाकाव्य महाभारत का एक उपेक्षित स्त्री पात्र है l इस खंडकाव्य में उसके जीवन चरित्र के संबंध में कुछ उपेक्षित तत्वों को उकेरा गया है l उत्तरा महापराक्रमी अर्जुन की शिष्या के रूप में प्रस्तुत की गई l किन्तु

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अजय श्रीवास्तव के लेख

समय का आलिंगन

10 जून 2022
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समय के आलिंगन मे,  मैं दूर-दूर छिटका रहा l न जाने कब सिमट गया,  पाकर अपनी बांहों में,  एक चित्र  जिसमें मैं-मेरा चित्र-मेरी संकल्पना,  मेरे चारों ओर अपना घेरा  बनाकर बैठे मुझसे पूछते हैं l तुम किसके म

कभी क्या श्रमिक अश्रु तुमने बहाया?

10 जून 2022
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कभी क्या श्रमिक-अश्रु तुमने बहाया? पौरुष कहाँ उनके जैसा दिखाया ll   बहे स्वेद पानी के जैसा धरा पर  l   श्रमिक बन जले और कितना यहाँ पर l    सूरज की लाली उठे चक्षु खोले,    धरा से गगन आज कुछ भी न

प्रभु तुम जग के पालनहार

10 जून 2022
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प्रभु तुम जग के पालनहार ll हम निरीह सन्तानो का तुम कर दो बेडा पार ll आसमान से विपदा बरसी, अब उठकर के जागो l चीर हरण में जैसे भागे, वैसे उठकर भागो l पेट सभी का जो भरता है, वही हुआ बेकार ll 1ll प्रभु त

कठिन है पथ

10 जून 2022
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गीत -------====----- कठिन है पथ पथिक को पथ से मिलाना है तुम्हें l साध्य को भी साधना के पास लाना है तुम्हें ll स्वर्ग की है कल्पना, इस सत्य को पहचान लो l इस धरा के प्रस्तरों से आज तुम अनजान हो ll

क्या वर्षा जब जीवन पानी

10 जून 2022
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क्या वर्षा जब जीवन पानी ! ********************* उमड़-घुमड़ कर बादल बरसे l खेत बाग वन उपवन सरसे ll यह पानी विकराल हो गया l बहता है घर बार खो गया ll      किसने कर दी यह मनमानी?       क्या वर्षा जब जीवन पा

शिक्षा का त्यौहार

10 जून 2022
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आओ मिलकर  सभी  मनाएं  शिक्षा  का त्यौहार l जीते  हमने युद्ध अनेकों,  कभी  न  मानी   हार ll                                         दूर  हुआ  है  अंधकार  जीवन में  ज्योति जली है l कण-कण में है ज्ञान सम

क्या कहें किससे कहें?

10 जून 2022
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क्या कहें किससे कहें? देखता हूँ गगन में, अम्बार लगता जा रहा है l कर्म के व्यापार का, विस्तार जगता जा रहा है ll कर्म करके फल न मांगो, स्वयं ही मिल जायेगा l डूबती धरती गगन भी, प्राण भी हिल जायेगा ll  

मन को कुछ विस्तार दिया है

10 जून 2022
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मन को कुछ विस्तार दिया है l विजयी को ही हार  दिया है ll संबंधों के सच्चे किस्से, सबने  बहुत सुनाये हैं  l फिर भी जाने क्यों दुनिया में अपने लगें पराये हैं ll अनुमानित खुशियों में हमने, वैरी जन भी देख

तुम जाने क्या क्या कहते हो?

10 जून 2022
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तुम जाने क्या-क्या कहते हो?  शब्दों से आकाश गिराकर, धरती  सिंचित  कर दोगे l सूरज की किरणें बरसाकर, तम के परकोटे भर दोगे ll जाने कितनी सदियाँ बीती, अंधकार भी व्याकुल है l दीपों की बाती कहती है, लौ से

क्या हुआ कि जनता आती है?

10 जून 2022
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क्या हुआ कि जनता आती है?   क्या नहीं हैं अपमानों के धंधे?  शोषित नहीं हैं राजाओं के बंदे?  फुटपाथों पर सोता नहीं है बचपन?  रोटी में खोता नहीं है बचपन?  प्रजातंत्र की नारी को क्या-क्या नहीं दिखाती है

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