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काली रहस्य

3 मार्च 2022

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 भगवान शिव के अनुरोध पर देवी जगदम्बा के शरीर से भयानक उग्र रूप धारण किए चंडिका देवी शक्ति रूप में प्रकट हुईं थी। उनके स्वर में सैकड़ों गीदड़ों की भांति आवाज आती थी। और इतनी भयानक थी कि कई राक्षस उनको देखते भय से नष्ट हो गए  |.
मान्यता -
कालिका के दरबार में जो एक बार चला जाता है माई उसको अपना बना लेती है  यहां यदि फल मिलता है तो दंड की भी प्राथमिकता है यदि आशिर्वाद मिलता है तो शाप भी। 
यदि आप काली माई दरबार में जो भी आप ने माना है उसे पूरा जरूर करें। 

 काली रूप 

काली माई गले में विद्युत की माला धारण करती हैं। इनके बाल खुले हुए हैं और गर्दभ की सवारी करती हैं, जबकि काली नरमुंड की माला पहनती हैं और हाथ में खप्पर और तलवार लेकर चलती हैं। और भयंकर अट्टास करती है जिसको सुनने मात्र से दुष्टो के प्राण निकल जाते है ।

काली माता के हाथ में कटा हुआ सिर है जिससे रक्त टपकता रहता है। भयंकर रूप होते हुए भी माता भक्तों के लिए कल्याणकारी हैं। कालरात्रि माता को काली और शुभंकरी भी कहा जाता है।

सती स्वरूप में 10 महाविद्या

जब माता सती अपने पिता दक्ष के यज्ञ में जाने के लिए उत्सुक हुई तब 
लेकिन शिव ने उन्हें वहां जाने से मना कर दिया  तो माता सती को अत्यंत क्रोध आ गया | 
क्रोधित होकर वे कहने लगीं- 'मैं दक्ष यज्ञ में जाऊंगी और उसमें अपना हिस्सा लूंगी, 
नहीं तो उसका सब कुछ विध्वंस कर दूंगी।'

बाद में अपने पिता और पति के इस व्यवहार से इतनी आहत हुईं कि क्रोध से उनकी आंखें लाल हो गईं। वे उग्र-दृष्टि से शिव को देखने लगीं। 
उनके होंठ फड़फड़ाने लगे। फिर उन्होंने भयानक अट्टहास किया। शिव भयभीत हो गए। वे भी  इधर-उधर भागने लगे।  सभी देवता जो उपस्थित थे वे पलायन कर गए उधर क्रोध से सती का शरीर जलकर काला पड़ गया।

उनके इस विकराल रूप को देखकर भगवान शिव भी भागने लगे लेकिन जिस दिशा में भी वे जाते वहां एक-न-एक भयानक देवी उनका रास्ता रोक देतीं। 
वह सभी देवी से उत्तपन्न महाविद्या थी 
शिव दसों दिशाओं में भागे और दसो दिशाओं में देवियों ने उनका रास्ता रोका और अंत में सभी काली में मिल गईं। हारकर शिव सती के सामने आ खड़े हुए। 
उन्होंने सती से पूछा- 'कौन हैं यह सब 

सती ने बताया- 'ये मेरे दस रूप हैं। आपके सामने खड़ी कृष्ण वर्ण की काली हैं, 
आपके ऊपर नीले वर्ण की तारा हैं, पश्चिम में छिन्नमस्ता, 
बाएं भुवनेश्वरी, 
पीठ के पीछे बगलामुखी, 
पूर्व-दक्षिण में द्यूमावती, 
दक्षिण-पश्चिम में त्रिपुर सुंदरी,
 पश्चिम-उत्तर में मातंगी 
उत्तर-पूर्व में षोडशी हैं 
और मैं खुद भैरवी रूप में 
 आपके सामने खड़ी हूं।
माता का यह विकराल रूप देख भगवान शिव कुछ भी नहीं कह पाए और सती  दक्ष यज्ञ में समाहित हो गयी ।




काली शक्ति सम्प्रदाय की प्रमुख देवी हैं. जिस तरह संहार के अधिपति शिव जी हैं उसी प्रकार संहार की अधिष्ठात्री देवी काली हैं. शक्ति के कई स्वरुप हैं और उनमें महाविद्याओं का महानतम स्वरुप है.
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कुल दस महाविद्या के स्वरुप माने गए हैं. मां काली उनमे प्रथम हैं. शुम्भ-निशुम्भ के वध के समय मां के शरीर से एक तेज पुंज बाहर निकल गया था. 

फलस्वरूप उनका रंग काला पड़ गया और तभी से उनको काली कहा जाने लगा. इनकी पूजा उपासना से भय नाश, आरोग्य की प्राप्ति, स्वयं की रक्षा और शत्रुओं का नियंत्रण होता है. इनकी उपासना से तंत्र मंत्र के सारे असर समाप्त हो जाते हैं.

मां काली की पूजा का उपयुक्त समय रात्रि काल होता है.

पाप ग्रहों, विशेषकर 

#राहु और #केतु की शांति के लिए मां काली की उपासना अचूक होती है. – 

मां काली की उपासना दो प्रकार से होती है- सामान्य पूजा और तंत्र पूजा.

मां काली की पूजा की विशेषता और सावधानियां क्या हैं? – सामान्य पूजा कोई भी कर सकता है परन्तु तंत्र पूजा बिना गुरु के संरक्षण और निर्देश के नहीं की जा सकती है. – 

मां काली की उपासना का सबसे उपयुक्त समय मध्य रात्रि का होता है. 

– मां काली की उपासना में लाल और काली वस्तुओं का विशेष महत्व होता है, जो सामान्यतः इन्हें अर्पित की जाती हैं

मां काली की उपासना शत्रु और विरोधी को शांत करने के लिए करनी चाहिए

किसी के नाश अथवा मृत्यु के लिए मां की उपासना नहीं करनी चाहिए.

मां काली के मंत्र जाप से ज्यादा इनका ध्यान उपयुक्त होता है

विरोधी या शत्रु या मुकदमे की समस्याओं से ऐसे पाएं मुक्ति? 

– मां काली के समक्ष दीपक और गुग्गल की धूप जलाएं.

 – मां को प्रसाद में पेड़े और लौंग अर्पित करें. 

– इसके बाद “ॐ क्रीं कालिकायै नमः” का 11 माला जाप करें. – शत्रु और मुकदमे से मुक्ति की प्रार्थना करें. 

– मंत्र जाप के बाद 14 मिनट तक जल का स्पर्श न करें.

 – ये प्रयोग लगातार 27 रातों तक करें.

खुद को सुरक्षित रखने का विशेष प्रयोग- 

– काले तिल की ढेरी पर मां काली का चित्र या मूर्ति स्थापित करें. 

– उनके सामने दीपक और गुग्गल की धूप जलाएं.

 – मां को अपनी आयु के बराबर लौंग अर्पित करें. 

– साथ में एक छेद वाला ताम्बे का सिक्का भी अर्पित करें.

 – मां के समक्ष “क्रीं ह्रीं काली ह्रीं क्रीं स्वाहा” का 27 माला जाप करें. 


– इसके बाद छेद वाले ताम्बे के सिक्के को लाल धागे में डालकर गले में धारण करें. 

– आप हर प्रकार के तंत्र-मंत्र, दुर्घटना और ग्रह बाधा से बचे रहेंगे.


काव्या सोनी

काव्या सोनी

Behtreen likha aapne 🙏🙏

3 मार्च 2022

आशुतोष मिश्रा (अनभिज्ञ)

आशुतोष मिश्रा (अनभिज्ञ)

3 मार्च 2022

धन्यवाद काव्या जी आप के नाम का अर्थ भी काली ही है 🙏🙏

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रचनाएँ
काली रहस्य
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इस लेख में माँ काली से जुड़े हुए रहस्य तथ्य और प्रेरक प्रसंग है कि माँ कोई किस प्रकार प्रसन्न किया जा सकता है और माँ है क्या यह रहस्य शायद बड़े बडे योगी भी न जान पाए होंगे और हम मनुष्यों के लिये एक जन्म कम है । जय माई की
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