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मन की व्यथा

26 दिसम्बर 2021

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क्या  कहु  निज मन  की व्यथा 
बिन तेरे निस्सार है जीवन मेरा 
हे !अंतर्यामी ,हे ! मेरे  स्वामी 
बेबस शरीर  मे कैद  ये आत्मा 
विनती कर  रही तुझसे कान्हा 
नाथ  करूनारूप ,करुना कर 
निज हस्त उठा लेते मुझे 
जीवन -मृत्यु  से परे  कही 
 निज आगोश मे सुला  लेते प्रिये 
सोलह  हजार एक सौ  आठ का ऊद्धार  तुमने किया 
मेरा भी करो ऊद्धार  प्रभु 
बस इतनी सी करो मुझपर  कृपा 

जय श्री कृष्णा।              
ममता

ममता

अच्छी रचना

27 दिसम्बर 2021

Bindu Pandey

Bindu Pandey

30 दिसम्बर 2021

धन्यवाद

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