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आनंद कुमार की डायरी

आनंद कुमार

2 अध्याय
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anand kumar ki dir

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पुस्तक के भाग

1

बचपन-बचपन

6 जून 2016
0
3
1

बेटे दिव्यम के जन्मदिन पर गिफ्ट में आए ढेर से नई तकनीक के इलेक्ट्रॉनिक खिलौनों में कुछ को दिव्यम चला ही नहीं पा रहा था। घर के अन्य सदस्यों ने भी हाथ आजमाइश की लेकिन किसी को भी सफलता नहीं मिली। तभी काम वाली बाई सन्नो का दस वर्षीय लड़का किसी काम से घर आया सभी को खिलौने के लिए बेवजह मेहनत करता देख वह ब

2

"कुछ रह तो नहीं गया"

13 जून 2016
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2

जिंदगी के सफ़र में चलते चलते हर मुकाम पर यही सवाल परेशान करता रहा.... कुछ रह तो नहीं गया?3 महीने के बच्चे को दाई के पास रखकर जॉब पर जानेवाली माँ को दाई ने पूछा... कुछ रह तो नहीं गया? पर्स, चाबी सब ले लिया ना?अब वो कैसे हाँ कहे? पैसे के पीछे भागते भागते... सब कुछ पाने की ख्वाईश में वो जिसके लिये सब कु

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