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अंधविश्वास

18 सितम्बर 2022

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अंधविश्वास हमारी सोच में पनपता है, जो तर्कहीन है या आलौकिक शक्ति भी कह सकते है। जिन क्रियाओं और होने वाली घटनाओं के कारण से आंजन होते उसे अज्ञानता को कमी से आलौकिक शक्ति मानने लगते है। जैसे सुनामी बारिश से आई बाढ़ बिजली का गिरना भूकंप कोई बड़ी बीमारी का हो जाना इसे देव प्रकोप या प्रेत  जैसी धारणा उस विश्वास को अंधविश्वास में बदल देता है।
              अंधविश्वास का ये जाल मनुष्य के द्वारा ही फैलाया गया है। हर किसी के लिए इसके अलग मायने बन गए। हर कोई अपनी सोच के हिसाब से अंधविश्वास के भंवर में धसता जाता है।
   
अंधविश्वास सबसे ज्यादा जादू टोना, प्रेत का साया , नजर लगना इन सब का चलन काफी हद तक बढ़ गया है। लोग अपने कष्ट ,रोग निवारण, संततिलाभ, शत्रु विनाश, आयु वृद्धि आदि के हेतु मंत्र प्रयोग, जादू-टोना, मुहूर्त और मणि का भी प्रयोग करते है।
                       इससे पाखंड इतना फैला की लोग अपनी हर समस्या का निवारण पाने बाबा, तांत्रिक ,मौलवी कर दर के चक्कर काटते नजर आते है। ऐसे में पाखंडी और ढोंगी लोग लोगों का फायदा उठाकर उनको ठगते है और लोग खुशी से ठगे जाते है।

अति से ही क्षति होती है।
आस्था में अधिक विश्वास से अंधविश्वास की तरफ धकेलता है।

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