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अनहद गुंजन अग्रवाल की पुस्तकें

अनहद गुंजन अग्रवाल के लेख

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15 अक्टूबर 2018
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https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=245861566090427&id=240821469927770

ताजा हालात पर कुंडलियाँ

28 मार्च 2018
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पुनः परीक्षा ले रहे, रखा न पहले ध्यान।सीबीएसइ ने किया, जारी एक बयान।जारी एक बयान, करो छात्रों तैयारी।कथित रूप से लीक,हुआ परचा है जारी।"अनहद" है आकाश, शेष है लेनी दीक्षा।आया है फरमान, कि दे दो पुनः परीक्षा।..........अनहद गुंजन 28/03/18

कुंडलियाँ

16 मार्च 2018
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खूब महकते फूल से, कभी उड़ाते गंध।कभी करें तकरार ये, दृढ़ करते सम्बंध।दृढ़ करते सम्बंध , कभी खड्ढा ये खोदें।देते बदल रुझान,कभी झट से ये रोदें।बढ़ते ''गुंजन' पाप, प्रजा के बीच लहकते।गंधहीन हैं फ़ूल, मगर ये खूब महकते।अनहद गुंजन 15/03/18

"मां सरस्वती वंदना"

22 जनवरी 2018
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*सरस्वती वंदना*🙏🏻🌺🙏🏻नमामि मात शारदे, नमामि मात शारदे। विनाश काम क्रोध मोह लोभ मात मार दे। सदैव सत्य लेखनी लिखे डरे न सार दे। अनेक भाव शब्द और शुद्ध से विचार दे।उपासना करूँ प्रभात से बनी उपासनी। प्रकाश ज्ञान पुंज मात तो भरो प्रकाशनी। विचार से विकार को

प्रणय गीत (सरसी छ्न्द)

29 अगस्त 2017
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सागर से गहरा अम्बर से,है ज्यादा विस्तार ।कुछ लफ्जों में कैसे लिख दूँ, अपने दिल का प्यार ।अवचेतन मन में बस मेरे, तेरा ही तो ठौर।बदल अभी ये दुनिया जाए, बदले चाहे दौर।रोना गाना हँसना तुमसे,जीत तुम्हीं से हार ।छंद गीत तुम गज़ल रुबाई, हो तुम ही अशआर ।आते ही आगोश तुम्हारे, लेती आंखें मूंद।ज्यूँ सहेज के रख

तीन तलाक़ (कुंडलियाँ छ्न्द)

23 अगस्त 2017
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न्यायपालिका ने दिया, सुखद फैसला आज।गौरैया महफूज अब,नौंच न पाये बाज ।नोंच न पाये बाज,दिया है तोड़ सिकंजा ।तोड़ा तीन तलाक,बुरा था खूनी पंजा ।*अनहद* सा प्रतिमान,लुप्त ये दर्द भाल का।हर्षित नार अपार, धन्य वो न्याय पालिका।..... अनहद गुंजन सर्वाधिकार सुरक्षित 23/08/17

तीन तलाक (कुंडलियाँ छ्न्द)

23 अगस्त 2017
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न्यायपालिका ने दिया, सुखद फैसला आज।गौरैया महफूज अब,नौंच न पाये बाज ।नोंच न पाये बाज,दिया है तोड़ सिकंजा ।तोड़ा तीन तलाक,बुरा था खूनी पंजा ।बदल गए हालात, प्रथा ये खत्म हलाला।*अनहद* सा प्रतिमान,लुप्त ये दर्द भाल का।हर्षित नार अपार, धन्य वो न्याय पालिका।....*अनहद गुंजन* सर्वाधिकार सुरक्षित 23/08/17

आप सभी मित्रों को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं......

15 अगस्त 2017
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श्याम रात श्याम वात श्याम गूँज साथ साथ। चन्द्रमा प्रकाश लुप्त हाथ को दिखे न हाथ। गूँजता रहा विहान कृष्ण जश्न गीत गान। धन्य धन्य देव और धन्य धन्य ये जहान। टूट बेड़ियां गयीं खुले अवाक जेल द्वार। कृष्ण जन्म साथ कंस नीच का ढले खुमार जन्म जश्न गैल गैल ढोल पे उड़े गुलाल। गोल हैं कपोल गाल नंद के भए गुपाल। ..

एक श्रृंगारिक सृजन सस्वर के साथ

9 अगस्त 2017
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शुभ प्रभात मित्रों......सुबह छेड़ेगीं सब सखियाँ हँसी मेरी न करवाओ ।शरम से हो रही पानी अरे कुछ तो रहम खाओ ।गया गिर कान का झुमका सजन से रात मिलने में ।बताऊँगी भला कैसे ये सबको राज बतलाओ ।मिटा दो इन अँधेरों को मदद कर दो हमारी कुछ ।हमारी बेबसी पर तुम न ऐसे और इतराओ ।बहाना क्या बनाऊँगी रही अब सोच ये "गुं

गजल कहने का प्रयास...212, 212,1222

8 अगस्त 2017
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दर्द को तो सँभाल रक्खा है।खुद से ज्यादा खयाल रक्खा है।जीस्त ले इम्तिहाँ रही अक्सर-वक़्त पे छोड़ हाल रक्खा है।जा-ब-जा हो भले ही जाएँ हम,इश्क को दिल मे ढाल रक्खा है। शाद *अनहद* मिले भला कैसे वक़्त ने पाएमाल रक्खा है।एक लम्हा उधार लेकर के ,रंग आरिज गुलाल रक्खा है। रहगुजर तुम बनो अगर मेरेरासता देखभाल रक्ख

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