shabd-logo

परम आदरणीया लता मंगेशकर जी के 92वे जन्म दिवस के सुअवसर पर..... 

28 जुलाई 2022

16 बार देखा गया 16


ईश्वर सत्य है, सत्य ही शिव है, शिव ही सुंदर है... सत्यम् शिवम् सुन्दरम्... की अनुगूंजित स्वर लहरी प्रातः की आत्ममुग्ध अनुभूति, तो भोर भये पनघट पे मोहे नटखट श्याम सताये से भोर का लुभावना अहसास व मन की मादकता का निरूपण, तो कहीं मोहे पनघट पे नंदलाल छेड़ गयो रे में शालीनता से प्रेम का सरोकार, वही दूसरी ओर बड़ा नटखट है रे कृष्ण कन्हैया से माँ का बाल मनुहार की विवशता, तो शायद मेरी शादी का ख्याल दिल में आया है, इसीलिए मम्मी ने मेरी तुम्हें चाय पे बुलाया है का खिलंदड़ शैली का स्वरूप, तो वही क्या करूँ राम, मुझे बुड्ढा मिल गया में प्रेम में शरारत व उलाहना, ये दिल और उनकी निगाहों के साये में विरह का  पर्वतों में गुंजायमान दिलकशी, तो सावन के झूले पड़े हैं, तुम चले आओ से प्रेयसी की पुकार, इक मीरा, इक राधा, दोनों ने श्याम को चाहा से प्रीत की दुविधा के प्रश्नचिन्ह, तो वही माई री! मैं कासे कहूँ, अपने जिया की, माई री द्वारा विरहिणी की बेबसी, दूसरी तरफ कांटा लगा, बाहों में चले आओ, हमसे सनम क्या पर्दा में अलहड़ता व प्रेम की बेबाकी, जबकि मार दिया जाए या छोड़ दिया जाए में हुस्न के गुरूर का तीखापन, तो तू कितनी अच्छी है, तू कितनी प्यारी है, ओ माँ व तुमसे मिलकर न जाने क्यों की मासूमियत, मैं तुलसी तेरे आंगन की व मैं तेरी छोटी बहना हूं, समझ न, मुझको सौतन की कारूणिक अभिव्यक्ति, तो तेरे मेरे बीच में, कैसा है ये बन्धन अंजाना व दिल दिवाना बिन सजना के माने ना से प्यार की प्रथम अनुभूति, थाड़े रहियो, ओ बांके यार..., सलाम-ए-इश्क मेरी जान, इन्हीं लोगों ने, ले लीन्हा दुप्पटा मेरा व शराफंत छोड़ दी मैंने द्वारा मुजरे की शैली व प्रेम की शालीनता, तो कहीं दिल हूम हूम करें... नीला आस्मां सो गया..., जाने वाले ओ जाने वाले... रंग महल के दस दरवाजे, न जाने कौन सी खिड़की खुली थी...ऐ दिल-ए-नादान, ऐ दिल-ए-नादान, आरज़ू क्या है, जुस्तजू क्या है...,रस्में उलफत को निभाएं, तो निभाएं कैसे... का बेकस विरह, तो तू जहाँ जहाँ चलेगा, मेरा साया साथ होगा.. का अपनत्व से लबरेज मेरी आवाज ही पहचान है... ही मां सरस्वती की स्वरूपा स्वर सम्राज्ञी आदरणीया ल से लय और ता से ताल का साक्षात्कार लता मंगेशकर...

*विपिन कुमार सोनी, 
28.09.2021

Vipin Kumar Soni की अन्य किताबें

6
रचनाएँ
संकल्प-विकल्प
0.0
मनुष्य अशेष भावनाओं से पोषित है, जो समाजिकता का आधार है, मनुष्य से मनुष्य की संलग्नता की ओर प्रेरित होता है और जीवन का प्रेरकत्व बनता है, इसी से समाजिकता का आविर्भाव होता है, हम जीवन के विसद आयामों से परिचित होते हैं, जिसकी अनुभूति से मनुष्यता के पथ पर पग बढ़ते है और आधारभूत स्वस्थ समाज की संरचना होती है, यही जीवन की सकारात्मकता है, हमारे लिए संकल्प-विकल्प का स्वरूप धारित करता है...
1

जीवन में कुछ...

28 जुलाई 2022
0
1
0

जीवन में कुछ... जीवन में कुछ, यदि बननासबसे पहले, इक नदी बननासतत जीवन का, आधार हैं नदियाँजीवनभर जीवन की, गति बननानिकलना पडे़गा, तोड़कर पत्थरों कोचलना पडे़गा, सींचकर बंजरों

2

परम आदरणीया लता मंगेशकर जी के 92वे जन्म दिवस के सुअवसर पर..... 

28 जुलाई 2022
0
1
0

ईश्वर सत्य है, सत्य ही शिव है, शिव ही सुंदर है... सत्यम् शिवम् सुन्दरम्... की अनुगूंजित स्वर लहरी प्रातः की आत्ममुग्ध अनुभूति, तो भोर भये पनघट पे मोहे नटखट श्याम सताये से भोर का लुभावना अहसास व मन की

3

थोड़ा झुक जाओगे...

28 जुलाई 2022
1
2
0

थोड़ा झुक जाओगे, पूछो न, क्या हो जाओगे ?आस्मां की तरह,धरती पर छा जाओगेबनके बरसोगे गर,बूंद जैसे जीवन केथोड़ा गिर जाओगे,पूछो न, क्या हो जाओगे ?बरखा की तरह,सृष्टि में समा जाओगेथोड़ा झुक.....जलके चमकोगे

4

... गुजर गया फिर से

29 जुलाई 2022
0
1
0

कोई यूं रूठ कर गया, फिर सेएक लम्हा गुजर गया, फिर सेअश्क आंखों से मचल कर गिरतेगर उठ गयीं होती पलकेंकोई यूं मूंद कर गया, फिर सेएक लम्हा गुजर गया, ... तमाम शख़्स तो बैठे थे मगरउठ गयी महफ़िल फिर भीको

5

झण्डा गीत

3 अगस्त 2022
0
1
0

आगामी 15 अगस्त, 2022 को आजादी की 75वीं वर्षगांठ के शुभ सुअवसर पर "आजादी का अमृत महोत्सव" की श्रृंखला में राष्ट्रीय तिरंगे झण्डे पर आधारित... झण्डा गीत*********लहर-लहर, लहराए तिरंगाफहर-फहर,फहराएं

6

आगामी 15 अगस्त, 2022 को आजादी की 75वीं वर्षगांठ के शुभ सुअवसर पर "आजादी का अमृत महोत्सव" की श्रृंखला में राष्ट्रीय तिरंगे झण्डे पर आधारित...झण्डा गीत *********

8 अगस्त 2022
0
1
0

लहर-लहर, लहराए तिरंगाफहर-फहर,फहराएं तिरंगापहला रंग, केसरिया इसकात्याग-तपस्या अर्थ है जिसकाभेंट चढ़ाकर जीवन अपनासम्मान बढ़ाएं हमसब इसका हरष-हरष, हरषाए तिरंगालहर-लहर, लहराए... दूजा

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए