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अशोक सिंह 'अक्स' के बारे में

पूरा नाम - प्रा. अशोक कुमार सिंहमूलतः बसगोतान जनपद जौनपुर से हूँ। फिलहाल कर्मस्थली मुंबई महानगर है।निवास स्थान वसई तालुका जनपद पालघर में है।रिज़वी महाविद्यालय में प्राध्यापक पद पर गत 23 वर्ष से सेवा रत हूँ। 15 वर्ष तक राष्ट्रीय छात्र सेना अधिकारी के रूप में कैप्टन रैंक से जुड़ा रहा।अध्यापन व लेखन में विशेष रुचि रही है।अब नियमित रूप से लेखन कार्य की ओर आग्रसर।शिक्षा - एम.ए. हिंदी और शिक्षाशास्त्र,बी.एड., एल.एल.बी.सिद्धांत - "सेवा, त्याग और समर्पण"☎️ 9867889171ashokkumar4747@yahoo.com

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अशोक सिंह 'अक्स' की पुस्तकें

Jeevansahitya

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लेख, कहानी, कविता एवं साहित्यिक विचारों को प्रस्तुत करने के लिए।

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अशोक सिंह 'अक्स' के लेख

हिंदी सेवी सम्मान...👍

20 जनवरी 2021
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हिंदी सेवी सम्मान...दो दिन पहले ही फोन आया। अनजान नम्बर था। सामने से आवाज आई, 'अशोक जी नमस्कार। आपके लिए खुशखबरी है। इस वर्ष आपको हिंदी सेवी सम्मान से सम्मानित किया जा रहा है।'एक पल के लिए तो मुझे कुछ नहीं सूझा। खैर जो कुछ मैंने सुना वो सच था। मुंबई प्रांतीय राष्ट्रभाषा प्रचार सभा ने हिंदी के प्रचार

राष्ट्रीय युवा दिवस

11 जनवरी 2021
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युवा शक्ति के प्रेरक और आदर्श स्वामी विवेकानंद (राष्ट्रीय युवा दिवस)स्वामी विवेकानंद भारतीय आध्यात्मिकता और जीवन दर्शन को विश्वपटल पर स्थापित करने वाले नायक हैं। भारत की संस्कृति, भारतीय जीवन मूल्यों और उसके दर्शन को उन्होंने ‘विश्व बंधुत्व व मानवता’ स्थापित करने वाले विचार के रूप में प्रचारित किया।

श्मशान घाट पर हादसा ....क्या कहेंगे आप..?

3 जनवरी 2021
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श्मशान घाट पर भीषण हादसा...20 की मौत..क्या कहेंगे आप..?उत्तर प्रदेश के जिला गाजियाबाद स्थित मुरादनगर श्मशान घाट में लोग दाहसंस्कार के लिए आये हुए थे। सभी लोग छत के नीचे खड़े थे। छत गिर गई और देखते-देखते बीस लोग काल के ग्रास में समा गए। जबकि और लोंगों के दबे होने की आशंका जताई गयी है। हालांकि राहत कार

तुम शेर बन अड़े रहो....

22 दिसम्बर 2020
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तुम शेर बन अड़े रहो....कोरोना अभी गया नहीं...शेर बन अड़े रहो, घर में ही डटे रहोशेरनी भी साथ हो, शावक भी पास होबाहर हवा ठीक नहीं, निकलना उचित नहींशेर बन अड़े रहो, घर में ही डटे रहो...।दूध की मांग हो या सब्जी की पुकार होभले राशन की कमी हो, तुम फिकर करो नहींतुम निडर खड़े रहो, बिल्कुल डरो नहींशेर बन अड़े रहो

बारामती का शेर....

20 दिसम्बर 2020
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बारामती का शेर....बारामती के लोंगों ने बस एक ही नाम को है पूजा शरद पवार नाम मान्यवर हर गली शहर में है गूँजासाहब महाराष्ट्र की धरती पर ऐसा नाम कहाँ है दूजाराजनीति गलियारे में भी वही नाम जाता है पूजा।बड़े महारथी पाँव चूमते झुक झुककर भाई जिसकेगाथा क्या गाऊँ मैं भाई उसके चरित्र की महिमा केबोल कभी बड़ बोलन

नसीब अपना अपना...

14 दिसम्बर 2020
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नसीब अपना-अपनाकिसी ने सच कहा है साहबदुनिया में सभी लेकर आते हैंनसीब अपना-अपना....।विधिना ने जो लिख दियातकदीर छठी की रात मिटाए से भी नहीं मिटतालकीर खींची जो हाथ....।नसीब में होता है तोबिना माँगे मोती मिल जाता हैनसीब में न होने परमाँगने से भीख भी नहीं मिलती है।ये तो नसीब का ही खेल हैरात का सपना सुबह स

जब-जब मैं उसे पुकारूँ...

12 दिसम्बर 2020
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जब-जब मैं उसे पुकारूँ...जब-जब मैं उसे पुकारूँवो दौड़ी-दौड़ी चली आएआँधी हो या तूफान होवो कभी ना घबराए...।ऐसी प्यारी निंदिया....सभी के भाग्य में आएअकेलेपन की रुसवाई मेंकभी भी ना सताए...।निंदिया को मैं पुकारूँसपनों की बाट जोहूँसपना लगती अति सुहानीएकदम परियों सी कहानी।परियों की कहानी अलबेलीजो होती है एकदम

एक मसीहा जग में आया....

8 दिसम्बर 2020
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एक मसीहा जग में आया....एक मसीहा जग में आयादलितों का भगवान बनाराजनीति मन को ना भायाज्ञानसाधना ही आधार बना।निर्धनता को धता बतायाछात्रवृत्ति से अरमान सजोयाकाला पलटन में स्थान मिलागुरू से पूरा सम्मान मिला।अर्थशास्त्र जो मन को भायाडॉक्टरेट की डिग्री दिलवायावर्णव्यवस्था थी मन में चुभतीशोध प्रबंध उस पर ही

गुम हूँ उसके याद में.....

7 दिसम्बर 2020
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गुम हूँ उसके याद में....गुम हूँ उसके याद में, जिसे चाहा था कभीगोदी में सुलाकर जिसने, दुलारा था कभीप्रसव-वेदना की पीड़ा से, जाया था कभीदुःख सहकर उसने, पाला-पोसा था कभीरात-रात भर जागकर, सुलाया था कभी।गुम हूँ उसके याद में, जिसने दुनिया में लाया था कभीअपने सपनों को तोड़-तोड़कर, जिलाया था कभीखुद भूखी रह-रहक

शामत मुझ पर ही आनी है....

5 दिसम्बर 2020
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शामत मुझ पर ही आनी है...शादी अपनों की होया किसी बेगाने कीखर्चा उतना ही है जीश्रीमतीजी के जाने की। जब देखो तब सुनाती रहती हैंखर्च ही क्या है? खर्च ही क्या है?सुन – सुनकर कान पक गयादुकानों के चक्कर काटते-काटतेसच मानों पूरा दिन बीत गया….जेब खाली होकर क्रेडिट पर आ गया। सोचा छोड़ो अब तो झंझट छूटातभी खनकती

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