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ऐसा क्यों

31 दिसम्बर 2016

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अग्रेज चले गये, भारत के टुकड़े हो गये

जनतंत्र आ गया, ७० साल बीत गये,

पर आज भी बहुत कुछ बदला नहीं ||

मिट्टी का टुकड़ा समझ के, नया देश बनाया गया

सीमाए बन गयी, दीवारे खाड़ी हो गयी

पर आज भी लोगो में बेचनी तो है ||

भारत हो, या पाकिस्तान हो

लोगो के दिलो में एक उलघन तो है

सब की कहानी एक है, लोगो में कही न कही एक बेचनी तो है ||

मुठी भर लोगो ने देश नहीं, दिलो की धड़कने को बटा था

आपने ही लोगो का छादिक, स्वार्थ की लिए सिर कटा था

दिलो के टुकड़े कर के, उन्होंने नया देश बनाया था

अपने थोड़े से ठाट-बाट के लिए, उन्होंने लोगो के भावनाव का शौदा किया था ||

माना परिस्थितिया बहुत प्रतिकूल थी, लोगो में भी आक्रोश था

धर्म के नाम पे लोगो को भड़काने, में किसी एक का न दोष था

अग्रेज ही बटवारे के लिए जिमेदार थे

पर अपनों ने भी खेल खूब खेला, धर्म के नाम पे लोगो को अग्नि में धकेला ||

फिर आग के ज्वाला से कोई बच न सका,

धर्म की अग्नि ने नागिन बन के, अपने घर के लोगो को ही डासा

कितना अजीब है, वही खेल फिर से शुरु हो रहा है

जाति और धर्म के नाम पर, दोनों देश फिर से जल रहा है ||

गरीब आज भी, रोटी पे काम करता है

अमीरों की लाठी, आज भी ओ सहता है ||

गरीब आज भी, बिन तन ढके ही सोता है

अपने भाग्य पे, ओ आज भी तो रोता है ||

गरीब आज भी, बिन दवा के मर जाता है

अपनों के लाश पे, ओ रोने भी नहीं पता है ||

गरीब आज भी, बेकार समझा जाता है

गरीब का बच्चा आज भी स्कूल नहीं जाता है ||

कैसी अजब सी बात है, मुठी भर लोग आज भी देश चलाते है

गिने-चुने पूजीपतियो के इशारे पे, हम सब को नाचते है

गरीबो को सिर्फ, वोट बैंक समझा जाता है

चुनाव के बाद उनको, साढ़े आम के तरह फ़ेक दिया जाता है ||

बेवकूफी का हद तो तब होता है,

जब पढ़े-लिखे लोग, अनपढ़ नेताओ के पीछे झंडा ले के चलते है

और अनपढ़ नेताओ के इशारे पे, कश्मीर को अलग देश बनाने की बात करते है ||

शुरु

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प्रियंका शर्मा

प्रियंका शर्मा

बहुत ही अच्छा सन्देश है हम सबके लिए

13 जनवरी 2017

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