बचपन ही अच्छे और सच्चे प्रेम का साया है,
बाकी जिन्दगी तो बस मोहमाया है....
दिंगनां छः बजे उठाणे घर'गा
बेळ्यां-बेळ्यां'ई नुहावे माई,
खोपरा'गो या तिलां'गो तेल-
लगाई माथा में,
अर बाळ बावे कोन्या-
सेट करे दादी,
सागै-
काळो टीको लगासी लिलाड़ पर
अर केवेगा कणरी निज़र ना-
लागे म्हारे बेटे'गे....
पाछे भेजेगा स्कूल,
स्कूल टाइम स्यु एक आध-
घड़ी पैलां'ई,
राज़ी राज़ी जावां स्कूल
जणा तो किमी कोन्या,
पण जै करस्यां नखरा या
पकड़ स्या आड़ो,
फेर तो सा राम'ई धणी है
माई देसी चनपट गालड़े पर,
बिन्या पॉवडर'गो मेकअप हुज्यासी,
साँझ ताईं रेवेगी च्यारों'गी च्यारों, छप्येड़ी....
फेर जावांगा रोन्ता रोन्ता दादोजी'गन
(एक दादोजी'ई है जी-
जो पक्ष ल्येवे पोतां'गो)
पाछे लगावे फटकार-
माई'ने अर दादी'ने
अर रिस करे घणेरी उण पर,
पण बस आपणे मण'ने बेकावे,
पाछे देवे एक रिप्यो
और एक फांक अलग'उँ दिरावे,
अर खुद स्कूल छोड़ण जावे....
स्कूल स्यु आवां घरां जद
दादी अर माई-
अपणे हाथ स्यु रोटी खुआवे,
दिंगना तो ठोके,
पण इत्यारां बुचकारे
यो'ई साँचो प्यार है,
रमबा जावां गुंवाड़ी'मे,
ताल में या बाड़ी में,
हुज्या मोड़ो घरां जावण में,
तो जता'ईं डाँटे बी-फटकारे बी....
बचपन तो बस गुजरज्या
सोचण में,
कि कब हुस्यां आज़ाद-
दादी, माई'गी डाँट-
फटकार स्यु,
गलत-सही काम'गे
रोक-टोक स्यु,
अब जद बड़ा हुग्या
अर इता बड़ा कि-
खुद'र घर स्यु'ई दूर हुग्या....
सगळी आज़ादी बी मिलगी,
पण, इब याद आवे
बित्येड़ो बचपन,
जणा एकेला'ई
आँसू ढ़ळकाल्या,
इब चांवा करे कोई रोक-टोक
आवां मोड़ा तो
डाँटे-फटकारे,
पाछे माथा में हाथ फेर,
रोटी खुआवे....
आज जणा घर मे बड़ूं,
जद रसोई स्यु आवाज़ कानां में पड़े,
आवग्यो म्हारो बेटो,
चल हाथ, मुंडो धो'ले,
रोटी घालूँ, जीम'गे,
बेगोस्यो सोज्या,
मोड़ो भोत होग्यो,
पण, पण, पण,
तुरन्त याद आज्या कि-
इब तो यो खाली "भ्रम" है....