shabd-logo

बेजुबान

24 मई 2022

14 बार देखा गया 14


article-image

बेजुबानों को बचाने की गजब साजिश चली  ,

देखकर व्यापार मरघट को पसीना आ गया ।


देखते ही देखते तकनीक ऐसी आ गई ,

छेदकर नथुनों को हमको दूध पीना आ गया ।


हो गए हैं बन्द बूचड़खाने जो अवैध थे ,

वैध वाले हंस रहे हैं क्या जमाना आ गया ।


ये औरंगजेब के दुश्मन मोहब्बत गाय से इनको ,

सियासी रंग ऐसा देखकर बछड़ों को रोना आ गया ।


बगावत कर नहीं सकता सियासी भेड़ियों से मैं ,

सूखती गंगा में भी हमको नहाना आ गया ।


~ धीरेन्द्र पांचाल






Dhirendra Panchal की अन्य किताबें

1

बस संवरती रहे

30 जनवरी 2022
2
0
2

वो गरजती रहे ,  वो बरसती रहे । मेरी जान है वो याद मुझे करती रहे । ऐ खुदा तुझसे इतनी सिफ़ारिश मेरी , वो जहां भी रहे बस संवरती रहे ।। हो ना हैरान वो ,  उसको एहसास दे । मैं भी खुश हूं यहां, बस तेरे वा

2

साहब

8 फरवरी 2022
0
0
0

इन वर्दियों में कौन से धागे लगाते हैं । गर्मियां वे  बस गरीबों पर दिखाते हैं । ठेलों  से  उठा  लेते  हैं वो  अंगूर के दाने । जैसे बाप का हो माल वैसे हक जताते हैं । सरपट बैठ जाते हैं दरोगा पांव में जा

3

श्रृंगार

19 फरवरी 2022
0
0
0

उसकी यादों के तिनके से दरिया पार हो जाऊँ, वो मंद मंद मुस्काये जब मैं कश्ती संग बह जाऊँ। लाल कपोलों पे उसके वो तिल है काली काली, फूलों की पंखुड़ियों सी उसके अधरों की लाली। वो जो बादल बन गरजे मैं

4

इश्क़ करना नहीं

25 फरवरी 2022
0
0
0

इश्क़ पर तुम किताबें लिखे जा रहे हो। मशवरा है मेरा इश्क़ करना नहीं। दर्द काग़ज़ पे अपने लिखे जा रहे हो। मशवरा है मेरा दर्द कहना नहीं। मुस्कुराने की उनकी अदब देखिए तो। देखकर यूँ ही ख़ुद से फिसलना नहीं। ल

5

आखिर कब तक

11 मार्च 2022
1
0
0

आखिर कब तक बचाता खुदा आपको । एक दिन लगनी ही थी बद्दुआ आपको । जुबां से गिराते रहे आप शोले । थे मजहबी नारों में नेता जी बोले । उठाओ बंदूकें और भून डालो सालों को । तिलक , जनेऊ व तलवार वालों को । आग

6

तेरे ख्वाबों के सहारे

14 मार्च 2022
0
0
0

तेरे ख्वाबों के सहारे , चलती कश्ती ये किनारे , ऊपर से दरिया का पानी बेहिसाब । अब तो मंजिल तुझको पाना , तेरी चाहत में खो जाना , अफ़साना कहती है दिल की ये किताब । तेरे ख्वाबों के सहारे , चलती कश्ती ये

7

जोगीरा

15 मार्च 2022
0
0
0

तू तू मैं मैं बंद भइल अब बंद भइल रउबार । बुलडोजर के देख पसीना फेंकें जीजा सार । जोगीरा सा रा रा रा रा ।। तीन तलाक अउ 370 भागल सरहद पार । कांग्रेस के कीड़ा मरलस कीटनाशक सरकार । जोगीरा सा रा रा रा रा

8

शारदा

5 अप्रैल 2022
1
1
2

अंचरा के छाँव राखा दियवा के जार राखा , हियरा में ज्योति दा अपार माई शारदा । बुद्धि दा बिचार दा तू सरल सुभाव दा तू , प्रेम में अभाव नाही होखे माई शारदा । देहियां में जोर दा तू नेहियां में बोर दा तू ,

9

बदरिया

5 अप्रैल 2022
1
1
2

चान छुपउले जाली कहवाँ , घुँघटा तनिक उठाव । बदरिया हमरो केने आव । बदरिया हमरो केने आव । झुलस रहल धरती के काया छाया ना भगवान लगे । तोहरे बिना ये हो बदरी सब कुछ अब सुनसान लगे । लह लह लहके रेह सिवाने क

10

बचकानी बातें

8 अप्रैल 2022
1
0
0

तेरी ये बचकानी बातें , तेरी वो बचकानी बातें ।।हर रोज जगाया करती मुझको वो शैतानी बातें ।तेरी ये बचकानी बातें ……… हंसना और शर्माना तेरा करती दिल पे घातें ।पीछे मुड़ फिर आगे बढ़ती हो जाती बरसातें ।जुल्फ

11

हनुमंता

4 मई 2022
2
0
2

ढांढस बन्हाई के जोहाई समुझाई के त शक्ति के भान उ करउलैं जमवंता । साहस न बाटे केहू तोहरा के रोके टोके छेके डाँड़ डहरी हो चाहे भगवंता । सिया सुधि लेहि आवा देरी ना लगावा त ले सगरे प पुल दु बनइहें अभियं

12

कौन आएगा

21 मई 2022
0
1
0

है धरा उदघोष करती लालिमा आकाश की । शुष्क होते ताल पोखर क्यों प्रतीक्षा प्यास की । चूक गया गर आज फिर तु कल कहाँ से पाएगा ? खुद उठो तिनके जुटाओ , घर परिंदों का बनाने कौन आएगा ? यह जमाना है तेरे संग ज

13

बेजुबान

24 मई 2022
1
0
0

बेजुबानों को बचाने की गजब साजिश चली  , देखकर व्यापार मरघट को पसीना आ गया । देखते ही देखते तकनीक ऐसी आ गई , छेदकर नथुनों को हमको दूध पीना आ गया । हो गए हैं बन्द बूचड़खाने जो अवैध थे , वैध वाले हंस र

14

ए बदरी

30 मई 2022
0
0
0

सुखि गइलें पोखरा आ जर गइलें टपरी , ए बदरी । कउना बात पे कोहाइ गइलू ए बदरी । देखा पेड़वा झुराई गइलें ए बदरी । बनरा के पेट पीठ एक भइलें घानी । कहा काहें होत बाटे राम मनमानी । गोरुअन के बेटवा क पेटवा ह

15

रामे क बरखा ह रामे क छाता

21 जून 2022
0
0
0

पटरा पे चदरा बिछाय जालें सुती ।खाए के नून भात मरचा आ रोटी ।जिनिगी गरीब के अस होरहा भुजाता ।त रामे क बरखा ह रामे क छाता ।।मजूरे क देह मेह मारेला तान के ।सेतिहा क हइये बा जांगर किसान के ।पांजर में कांकर

16

चला साढ़ू भाई

13 सितम्बर 2022
0
0
0

एहर लालू कचालू खियउले हवें ।खाली मोदी जी चाय पे बझउले हवें ।चला साढ़ू भाई ।चला साढ़ू भाई सढ़ूआईन लेहलस बोलाय ,चला साढ़ू भाई ।चला साढ़ू भाई सढ़ूआईन लेहलस बोलाय ,चला साढ़ू भाई ।मंतरी बनब ना हम संतरी बनब ।हम तो

17

राम वनवास

17 जनवरी 2023
0
0
0

कवने करनवा होभईला बिरनवा होपथरो के आवत रोवाई होई पहुना ।।कहाँ बोला गांव बाटे गांव के का नाव बाटे राखि दा धनुहिया थकल होई पहुना ।।बबूनी सुनरकी हो धोतिया पुरनकी होमघवा में छहवां जड़ात होई

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए