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बेटी-----कन्या

29 सितम्बर 2015

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featured image (१) मां ने मुस्कुराकर, मुन्ने से पूछा, कुछ इठलाकर यूँ------ आज मुझे बाजार मिली थी, तेरी कालेज वाली गर्लफ्रेंड, बोल क्या------बोलता तू------- पास खड़ी थी - उसकी लड़की, आँख तरेरकर मां उससे बोली, खड़ी खड़ी क्या सुनती रहती, आलतू फालतू की बातें तू-------- (२) दोनों ही कलेजे के टुकड़े------- एक अतिप्यारा, एक टुकड़े-----------टुकड़े------------ अतिप्यार में, एक------अतिदंभी रहे दुत्कार से दूजा, कन्या होने की गुंथी सहे (३) लड़की बोली मां से, फिर ले थाम जिगर, तू--------जोर से अपना----- मेरे जनम का सेहरा – सर मेरे तो, मैं खुद ही करूंगी, पूरा------- मेरा सपना--------- (४) निकल पड़ी वो घर से अकेले था, साथ में उसके संपूर्ण समाज ---- रस्ते तो कांटे ही भरे थे, बिखरे पड़े थे, दानव - दैत्य लोलुपता के पहने ताज---- (५) घोर अँधेरे कुछ ना दिखे पर भोर का आना----तय रहता है------ द्रढ़ निश्चय करके, कमर कसी तो सर पीठ पे साया मिल जाता है--------- (६) मिल जाती है मुहब्बत, उनसे भी, हम, जिनको गैर-------समझते हैं ----- वो गैर --- गैर सब मिलकर ही एक स्वस्थ समाज बनाते हैं -------- (७) ऐसे ही नेक --- सरल मृदुभासी, सब जन जनी का सदर अभिनन्दन है ------ उनकी ही तपस्या की, ये खुशबु है की, मन--------शीतल है, क्योंकि, अपना देश, नंदन-----वन है------

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रचनाएँ
hindipoemsri
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मानवीय भावनाओं से सम्बंधित मर्मस्पर्शीय कविताएं
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जिन्दा - रहना है, जरुरी इसलिए...

3 सितम्बर 2015
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जिन्दा रहना है, जरुरी-इसलिए कि मरने का हमें कोई-हक़ ही नहीं है---- किसलिए, मरते है लोग-स्वयं ही, कैसे मान लिया, उन सबने, कि, मरना ही सही है------------(२) चिर-निद्रा की गोद वो, सुख़ से सोने जो चले-------- इससे पहले सोच ले, कल, इसी तरह, उनका, कोई प्रिय

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बेटी-----कन्या

29 सितम्बर 2015
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(१) मां ने मुस्कुराकर, मुन्ने से पूछा, कुछ इठलाकर यूँ------ आज मुझे बाजार मिली थी, तेरी कालेज वाली गर्लफ्रेंड, बोल क्या------बोलता तू------- पास खड़ी थी - उसकी लड़की, आँख तरेरकर मां उससे बोली, खड़ी खड़ी क्या सुनती रहती, आलतू फालतू की बातें तू---

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दारू—शाला-----

29 सितम्बर 2015
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(१) जल्दी –जल्दी----------पीना--है क्योंकि---------------------------- जल्दी—जल्दी-----------जीना--है क्या- करेंगे--------जी------करके साल--------दर-------साल जियेंगे—मरेंगे---लादी---ढो—ढो---करके साल--------दर-------साल(२) मरना—ही--है-----मुस्कुरा –के--मरें

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राजनीती

29 सितम्बर 2015
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(१) सब का अपना---------इमान धरम है एक दूजे से---------ना कोई कम है एक से बढकर---------एक हैं सबही नियत के भी---------नेक हैं सबही(२) है--- फिर भी----------मारामारी जमकर देखें-- कौन है लेता----------किस्से टक्कर सबकी अपनी-----------फ़ौज खड़ी है लिए तलवार---

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