shabd-logo

भाग–28 यादगार सफर

26 जुलाई 2023

6 बार देखा गया 6

निष्कर्ष के कहने पर काश्वी ने उत्कर्ष को रिप्लाई किया और एडमिशन के लिये हां कर दिया… कुछ घंटे बाद ही रिप्लाई आया जिसमें कंफरमेशन के साथ काश्वी को 15 दिन में ज्वाइन करने को कहा गया

रिप्लाई आते ही काश्वी ने निष्कर्ष को फोन करके बताया… वो बहुत खुश हुआ पर काश्वी ने उसे अपनी
शर्त भी याद दिला दी… अब निष्कर्ष को इन्हीं पद्रंह दिनों में काश्वी को उदयपुर ले कर जाना है

“हां ठीक है मैं प्रोग्राम बनाता हूं… पर तुम जाने की तैयारी करो” निष्कर्ष ने जवाब दिया

काश्वी और उसका परिवार उसके जाने की तैयारी में लग गये… निष्कर्ष भी हर काम में काश्वी की मदद
करता रहा… पर काश्वी को अपने कोर्स से ज्यादा इंटरेस्ट उदयपुर जाने में है… निष्कर्ष जब भी उससे जाने की बात करता तो काश्वी उसे दिन याद दिलाती और उससे पूछती कि हम
उदयपुर कब जा रहे हैं?

निष्कर्ष ने काफी बार टालने की कोशिश की क्योंकि वो जानता था कि काश्वी जितना उसके साथ रहेगी उसका जाना उतना मुश्किल होगा पर काश्वी लगातार उसे याद दिलाती रही

काश्वी के जाने में अब पांच दिन ही बचे हैं… निष्कर्ष उसके घर आया तो काश्वी उससे मिलने नीचे नहीं आई… सब हैरान हुए कि उसे क्या हुआ बुलाने पर भी नहीं आई… काश्वी नीचे नहीं आई तो निष्कर्ष उससे मिलने उसके कमरे में गया

देखा तो काश्वी अपने लैपटॉप पर काम कर रही है… निष्कर्ष उसके पास जाकर बैठ गया… “क्या हुआ ज्यादा काम है?” निष्कर्ष ने पूछा

“काम तो आपको है बहुत बिजी हो” काश्वी ने बिना निष्कर्ष को देखे जवाब दिया

“अरे क्‍या हुआ इतना नाराज क्‍यों हो… मैं तो तुम्‍हारे साथ ही हूं” निष्‍कर्ष ने पूछा

“मैं नहीं जा रही… मैंने मेल करके मना कर दिया” काश्‍वी ने कहा

निष्‍कर्ष हैरान हो गया

“क्‍यों क्‍या हुआ?” निष्‍कर्ष ने पूछा

“आप अपना वादा भूल गये तो मैंने भी नहीं जाने का फैसला कर लिया” काश्‍वी ने कहा

“कौन सा वादा काश्‍वी और ये क्‍या बचपना है तुम्‍हें ये सब मजाक लग रहा है क्‍या?” निष्‍कर्ष ने थोड़े गुस्‍से से कहा

“मजाक… हां मजाक ही तो है पहले हां कहा और फि‍र भूल गये… कोई बात ही नहीं की एक हफ्ते से… अब कुछ नहीं हो सकता मैंने मना
कर दिया… मुझे कहीं नहीं जाना” काश्‍वी ने कहा

“ओह तो ये बात है तुम उदयपुर जाने की बात कर रही हो… काश्‍वी हम चलेंगे जब तुम वापस आओगी अभी थोडा मुश्किल है… नाराज मत हो… समझो… मैं कोशिश कर रहा हूं… चलो छोड़ो ये सब… जाने की तैयारी करो बस पूरा ध्‍यान वहीं लगाओ” निष्‍कर्ष ने कहा

“आपको पता है मैं नहीं जाउंगी तो फि‍र क्‍यों बोल रहे हो” काश्‍वी ने फि‍र कहा

“अरे ये क्‍या है… अच्‍छे बच्‍चे जिद नहीं करते मैंने कहा ना ले जाउंगा” निष्‍कर्ष ने कहा

“ये जिद नहीं है आपने अपना वादा नहीं निभाया तो मैं भी आपकी बात नहीं मानने वाली… बस अब और कोई बात नहीं…”

ये कहकर काश्‍वी फि‍र अपने लैपटॉप पर काम करने लगी… निष्‍कर्ष ने देखा तो काश्‍वी सच में अपने लैपटॉप पर मेल टाइप कर रही है “अरे तुम तो सच में मेल कर रही हो रूको… सेंड मत करना” निष्‍कर्ष ने काश्‍वी से लैपटॉप ले लिया

काश्‍वी ने निष्‍कर्ष से अपना लैपटॉप वापस मांगा लेकिन निष्‍कर्ष ने उसे दिया नहीं, वो मेल पढ़ने लगा

“मतलब तुम मानने वाली नहीं”

काश्‍वी ने निष्‍कर्ष की बात का कोई जवाब नहीं दिया… निष्‍कर्ष ने काश्‍वी का लैपटॉप बंद किया और कहा

“ठीक है चलो चलते हैं, पर पहले अपने पापा से पूछो वो भेजेंगे तुम्हें अकेले मेरे साथ”

“हां क्यों नहीं… वो टेंशन नहीं है पापा को बताया था… एक बार फिर से बात कर लूंगी” काश्वी ने कहा

“सच में प्रोबलम नहीं होगी?” निष्कर्ष ने पूछा

“प्रोबलम सिर्फ आप हो… हां बोलो नहीं तो मैं कहीं भी नहीं जाउंगी” काश्वी ने जवाब दिया

“अच्छा बाबा ठीक है मैं टिकट बुक करता हूं तुम जाओ पापा से बात करो” निष्कर्ष ने कहा

काश्वी अपने पापा से बात करने चली गई और निष्कर्ष टिकट के अरेंजमेंट में लग गया

कुछ देर बाद काश्वी वापस आई तो पूछा “कब जा रहे हैं हम?”

“पापा ने क्या कहा?” निष्कर्ष ने पूछा

“हां और क्या… वो मेरे पापा है आपकी तरह बहाने नहीं बनाते सीधा जवाब होता है या तो हां या तो न”

“अच्छा इतना भरोसा है उन्हें मुझ पर कि तुम्हें अकेले भेज रहे हैं मेरे साथ” निष्कर्ष ने कहा

“हां ठीक ठाक ही हो आप… अब जान गये वो भी… एक महीना वर्कशॉप में भी तो रही आपके साथ और वैसे भी उन्हें आपसे ज्यादा मुझ पर भरोसा है… इसलिये हां कहा” काश्वी ने जवाब दिया

“ओ के और तुम्हें मुझ पर भरोसा है? मैं तुम्हें भगाकर ले गया तो?” निष्कर्ष ने मजाक में कहा

“मैं तो तैयार हूं आप ही दूर भेज रहो हो” काश्वी ने मुस्कुराकर जवाब दिया

“काश्वी कंट्रोल… अभी ये टाइम तुम्हारे करियर बनाने का है… इन सब चक्करों में मत पड़ो फोकस सही होना चाहिए नहीं तो फोटो कभी साफ नहीं होगी…” थोड़ा रूककर निष्कर्ष ने कहा “मैं इसलिये नहीं ले जा रहा था तुम्हें कि तुम और ज्यादा इमोशनल हो जाओगी जितना साथ रहोगी उतनी तकलीफ होगी दूर जाने में… पर तुम्हारी जिद है इसलिये ले जा रहा हूं पर तुम्हें समझना पड़ेगा… फोटोग्राफी में तुम्हारी अच्छा फ्यूचर हो सकता है इस पर ध्यान
देना जरूरी है इस वक्त” निष्कर्ष ने कहा

“ओह तो ये बात है आपको लगता है मैं इतनी कमजोर हूं… आप मेरी फिक्र मत करो… मैं ठीक हूं… आपके सामने ही बस ये सब बचपना करती हूं नहीं तो मैं बहुत स्ट्रोंग हूं… उदयपुर इसलिये जाना चाहती हूं क्योंकि एक साल आपसे दूर रहना है तो कुछ अच्छा वक्त साथ में गुजरने का मन है कुछ दिन साथ रहेंगे तो वहां रहना मुश्किल नहीं आसान होगा… इस ट्रिप को जी लेना चाहती हूं आपके साथ… फिर दूर भी रहूंगी तो इसकी यादें साथ होगी… मुझे
इमोशनल बोलते हो और खुद इतना कुछ सोच रहे थे… अब कुछ नहीं बस ये बताओ हम कब जा रहे हैं आप मुझे खुश देखना चाहते हो तो मैं ऐसे ही खुश हूं” काश्वी ने कहा

“चलो फिर पैकिंग कर लो कल दोपहर 2 बजे की फ्लाइट है डेढ़ घंटे में उदयपुर पहुंच जाएंगे… मैंने नानाजी से बात कर ली है”

“अरे वाह… सच में हम जा रहे हैं” काश्वी ने खुश होकर कहा

“जाना ही पड़ेगा तुम्हारी जिद पूरी करनी ही पड़ेगी” निष्कर्ष ने भी मुस्कुराते हुए कहा

अगले दिन दोनों उदयपुर के लिये निकल गये… फ्लाइट में काश्वी ने निष्कर्ष से पूछा “आपने
पापा को बताया आप उदयपुर जा रहे हो?”

“नहीं… क्यों?” निष्कर्ष ने पूछा

“बात करते हो आप उनसे या अब भी बस कभी – कभी?” इतना कहकर काश्वी रूक गई

“बस ऐसे ही काश्वी… ज्यादा बात कर नहीं पाता और वो भी कुछ ज्यादा पूछते नहीं तो सब चल रहा है ऐसे ही…
और वैसे भी वो वापस चले गये है कैलीफोर्निया… तुम्हें वही पढ़ाएगे वहां… तुम मिलना उनसे वहां” निष्कर्ष
ने कहा 

“क्या कुछ हो नहीं सकता… आपने वो फोटोग्राफ देखी थी न… जो मेरे फॉर्म के साथ थी… वो
उन्होंने ही ली थी और मुझे देते हुए कहा भी कि निष्कर्ष को बहुत दिन बाद खुश देखकर अच्छा लगा… वो
भी आपको मिस करते हैं जैसे आप उन्हें… फिर क्यों इतना दूरी है इसे कम करना चाहिए ना… किसी
को तो पहल करनी चाहिए” काश्वी ने कहा

निष्कर्ष मुस्कुराया और कहा “पहल करने के लिये तुम हो ना… मुझे पता है तुम्हारी एक असाइनमेंट ये भी है और हर असाइनमेंट की तरह तुम इसे भी पूरा करके ही मानोगी”

“हां ये तो है… पर आपको कोई प्रोबलम तो नहीं ना इससे?” काश्वी ने पूछा

“मुझे कुछ करने को फोर्स मत करना फिर कोई प्रोबलम नहीं” निष्कर्ष ने कहा

“निष्कर्ष मुझे पता है और मैं जबरदस्ती कभी आपको कुछ करने को या उनसे बात करने को नहीं कहूंगी लेकिन अगर आपको कभी भी ठीक लगे तो पीछे मत हटना…बात जरूर करना और कुछ नहीं तो जो टाइम आपने उनके साथ अच्छा गुजारा उसे याद कर लेना” काश्वी ने कहा

“हां ठीक है पर तुम वहां अपना ख्याल रखना… सब नया होगा तो थोड़ा ध्यान रखना” निष्कर्ष ने कहा

“अरे आप मेरी फिक्र मत करो… मैं संभाल लूंगी बस आप बात करते रहने… अभी ये बताओ उदयपुर में हम कहां जाएंगे,,,काश्वी ने पूछा

“एक घंटे में पहुंचेगे एयरपोर्ट फिर नानाजी के घर जांएगे वहीं रहेंगे और मां की जो चीजें वहां रखी है वो लेकर आनी है फिर तुम्हें उदयपुर घुमा दूंगा ओके” निष्कर्ष ने कहा

“हां ये अच्छा प्लान है… मेरा कैमरा तैयार है” काश्वी ने कहा

35
रचनाएँ
तलाश में हूं खुद की
5.0
अपनी तलाश की है कभी, कभी खुद को ढूंढने निकले हैं, फुर्सत के लम्हों में कभी खुद से बात की है, कभी जाना क्या चाहता है दिल, हालातों में गुम होने पर तन्हाई की रात में खुद से टकराएं हैं कभी, कभी चलते चलते यूं ही रुक कर पीछे मुड़कर देखा है, सोचा कहां छोड़ आये खुद को, किस मोड़ पर खुद को खो दिया, किस मोड़ पर खुद से फिर मिले, हां, पता है, ये सब सोचने का टाइम किसके पास है, टाइम हो न हो, सवाल तो है, सोच का दायरा छोटा हो, पर जवाब बड़ा है, यूं ही चलते चलते कोई बता जाता है, यूं ही चलते चलते कोई समझा जाता है, यूं ही चलते चलते कोई खुद को खुद से मिलवा जाता है, ये कहानी भी ऐसी ही है अपने आप को तलाशने की, एक सफर अपने आप तक पहुंचने का। काश्‍वी और उत्‍कर्ष एक दूसरे के करीब आये और तब दोनों को एहसास हुआ कि उनकी जिदंगी कितनी अधूरी थी एक तलाश जो हमेशा से उन्‍हें थी धीरे – धीरे पूरी होने को है…
1

भाग–1 बिंदास काश्‍वी

2 अगस्त 2022
24
13
9

कहानी शुरु होती है एक स्कूल के प्रिंसिपल रुम से जहां एक 10 साल की बच्ची को उसी के पेरेंटस के सामने प्रिंसिपल डांट रही है, “मिस्टर कुमार आपकी बेटी इतनी शरारती है, इसकी वजह से एक बच्चे का हाथ टूट गया, इ

2

भाग–2 काश्‍वी का नया दोस्‍त

3 अगस्त 2022
19
13
11

काश्वी के बड़े होने के सिलसिले में कई मोड़ आए, कभी वो खुद से सवाल करती, तो कभी कोई उससे, कब खुश होती, कब उदास उसे खुद भी नहीं पता चलता, दूसरी लड़कियों से कुछ अलग थी, उसके पापा उससे अक्सर पूछते थे कि उ

3

भाग–3 जिदंगी की तलाश

5 अगस्त 2022
1
2
0

काश्वी ने अपने पापा को काम्पिटीशन के बारे में बताया, वो इतनी खुश थी कि उसके पापा ने झट से हां कर दी, रात भर पूरा परिवार उसकी तस्वीरों में से 10 ऐसी तस्वीरें ढूंढता रहा जो उसके टेलेंट को सही - सही दिखा

4

भाग–4 धुंधली होती खुशियां

6 अगस्त 2022
1
2
0

 निष्‍कर्ष की बात ने काश्‍वी की सारी खुशी को धुंधला कर दिया। थोड़ी देर पहले तक वो खुद पर इतरा रही थी लेकिन अब उसे खुद पर ही शक होने लगा। धीरे – धीरे निराशा उसे घेरने लगी और वो चुपचाप एक कोने में जाकर

5

भाग–5 जिंदगी की झलक

17 अगस्त 2022
1
2
0

काश्‍वी के करियर का ये मोड़ उसके परिवार को नए उत्‍साह से भर गया। घर लौटते हुए सब इसी के बात करते रहे। पापा ने काश्वी से पूछा “एक महीने की वर्कशॉप, कब से जाना है?” “दो दिन बाद रजिस्ट्रेशन कराने जाना है

6

भाग –6 पहाड़ों का सफर

18 अगस्त 2022
2
3
0

तेरह घंटे का सफर शुरू तो बहुत जोश के साथ हुआ लेकिन दिन चढ़ते-चढ़ते सबका जोश ठंडा होने लगा। बस में बातों का सिलसिला अहिस्ता अहिस्ता थमने लगा। अब बस, बस के चलने की आवाज और हवा का शोर सुनाई दे रहा है। हम

7

भाग –7 बस एक नजर

21 अगस्त 2022
1
2
0

पहाड़ों की शाम बहुत शांत होती है यहां सच में आप महसूस कर सकते हैं कि शाम हो गई है बड़े शहरों की तरह यहां ट्रेफिक का शोर नहीं होता जिसमें पंछियों की आवाज गुम हो जाती हैं। यहां शाम होते ही पंछी अपने घरो

8

भाग –8 जिदंगी ढूंढने निकला जब भी…

22 अगस्त 2022
2
3
0

काश्वी अब थोड़ी कंफर्टेबल हो गई, काश्वी ने उत्कर्ष से पूछा, “आपने मेरी फोटोग्राफ देखी हैं?” उत्कर्ष ने सिर हिला कर हां कहा और ये भी कहा कि काश्वी को पहला प्राइज देने का आखिरी फैसला उन्होंने ही लिया था

9

भाग –9 पुराना कैमरा और नया दोस्‍त

23 अगस्त 2022
3
2
0

“फोटोग्राफी एक प्रोफेशन से ज्यादा पेशन है, अगर चीजों को देखकर आपको उसमें कुछ खास नजर नहीं आता तो आप एक अच्छे फोटोग्राफर नहीं बन सकते, कैमरे की नजर से पहले अपनी नजर और नजरिये को समझना जरुरी है यहां क्ल

10

भाग–10 तुम सवाल बहुत करती हो

24 अगस्त 2022
3
3
0

रात के बाद फिर सुबह हुई, काश्वी और दूसरे फोटोग्राफर को आज बाहर भेजा जा रहा है जहां वो अपने फोटोग्राफी के हुनर को निखार सके, अपने अपने कैमरे के साथ सब निकलने के लिये लॉबी में इकट्ठा हो गये, काश्वी की न

11

भाग–11 नीला आसमान और तुम

25 अगस्त 2022
1
2
0

अपना पहला एसाइनमेंट देखने के लिये सभी एक्‍साइटेड हैं लेकिन वापस आने के बाद से काश्वी काफी बेचैन  है, वो काफी देर से हॉल के बाहर कोरिडोर के एक छोर से दूसरे छोर तक चक्कर लगा रही है,  निष्कर्ष काफी देर त

12

भाग–12 क्‍या हम दोस्‍त हैं?

26 अगस्त 2022
1
1
0

करीब दो घंटे तक सबकी तस्वीरों पर खूब चर्चा हुई गलतियों और खूबियों को बताने के बाद उत्कर्ष वहां से चले गये, निष्कर्ष अब भी चुप रहा उसने काश्वी से कोई बात नहीं की, दोनों वहां से कोरिडोर की तरफ निकले, क

13

भाग–13 मेरा घर कहीं खो गया है !

28 अगस्त 2022
1
2
0

निष्कर्ष को ऐसे देखकर काश्वी परेशान हो गई और उसने पूछ ही लिया “क्या हुआ? बात क्या है अचानक सीरीयस क्‍यों हो गये?”  “कुछ नहीं बस यूं ही” निष्कर्ष ने जवाब दिया  “नहीं.. कुछ तो है आप और आपके पापा के बी

14

भाग–14 नाराज क्‍यूं हो तुम?

28 अगस्त 2022
1
2
0

 “पापा तो जैसे अपने कैमरे को भूल ही गये थे, उनके लिये अपने परिवार के लिये पैसा कमाना ज्यादा जरूरी था पर मां को लग रहा था कि ऐसे वो अपने सपनों के साथ समझौता कर रहे हैं, जिस कैमरे की वजह से वो दोनों मिल

15

भाग–15 काश्वी तुम यहां कैसे आई?

28 अगस्त 2022
2
2
0

 निष्‍कर्ष सीधा अपने कमरे में चला गया उसने किसी से कोई बात नहीं की, कुछ देर बाद काश्‍वी भी अपने कमरे में आ गई रात भर वो निष्‍कर्ष के मैसेज या फोन का इंतजार करती रही। रात गुजर गई और सुबह के 9 बजे तक भ

16

भाग–16 बोलो दोगे मेरा साथ

9 सितम्बर 2022
0
1
0

निष्कर्ष इधर–उधर सब तरफ काश्वी को ढूंढने लगा, उसने काश्‍वी को फोन भी किया लेकिन फोन लगा नहीं, वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्‍लाकर काश्‍वी को बुलाने लगा लेकिन काश्‍वी का कुछ पता नहीं लग रहा था, उसने थोड़ी दूर जा

17

भाग–17 कुछ सामने है तो कुछ छुपा है

13 सितम्बर 2022
0
1
0

रात को अकेले अपने कमरे में काश्वी ने उन किताबों में से एक को पढ़ना शुरू किया, उसे पढ़ते हुए काश्वी को निष्कर्ष की बात याद आने लगी, निष्‍कर्ष ने उसे ये किताबें इसलिये दी जिससे वो अकेला ना महसूस करें और

18

भाग–18 दोस्‍ती में दीवार ?

29 अक्टूबर 2022
1
1
0

निष्‍कर्ष को इस तरह अचानक देखकर उत्कर्ष को कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन काश्वी एक दम शॉक थी। निष्‍कर्ष का चेहरा देखकर उसे समझ आ गया कि वो क्या सोच रहा है, उत्‍कर्ष के साथ काश्‍वी को ऐसे देखकर निष्‍कर्ष को

19

भाग–19 आखिरी असाइनमेंट

3 नवम्बर 2022
0
1
0

जो बात हमें तकलीफ देती है उसे दिमाग से निकालना इतना आसान नहीं होता और उसे भूलकर किसी और चीज पर ध्‍यान लगाना काफी मुश्किल होता है, निष्कर्ष और उसके पापा का रिश्‍ता अब उस स्‍टेज पर पहुंच गया है जहां दोन

20

भाग–20 मुझसे मिलोगे दिल्ली में?

4 नवम्बर 2022
0
0
0

एक तरफ बर्फ से ढके पहाड़ इौर दूसरी तरफ रंग बिरंगा छोटा सा बाज़ार, निष्‍कर्ष और काश्‍वी अपनी थीम की तलाश करते आगे बढ़ने लगे। दुकानों के बाहर लटके रंग बिरंगी चीजें, ठंड का एहसास कराते गर्म कपड़ों से सजे

21

भाग–21 कहानी अनकही

14 नवम्बर 2022
0
1
1

निष्कर्ष ने काश्वी से पूछा एक बात बताओ, “तुम तो दिल्ली में रही हो हमेशा, फिर नेचर से कितनी करीबी कैसे हो गई? दिल्ली की लड़कियों को तो बड़े बड़े मॉल्स और फोरेन ट्रिप्स पर जाने का शौक होता है और तुम यहा

22

भाग–22 एक खूबसूरत रिश्‍ता

30 जनवरी 2023
1
1
2

सुबह जब निष्‍कर्ष उठा तो उसने अपने फोन पर कई मिस कॉल देखी, रात के ढाई बजे काश्‍वी क्‍यों फोन कर रही थी? ये सोचकर निष्‍कर्ष कुछ परेशान भी हुआ उसने तुंरत काश्‍वी को कॉल किया लेकिन फोन उठा नहीं, शायद अब

23

भाग–23 सबसे बड़ी उलझन

30 जनवरी 2023
0
1
0

कुछ देर तक सब शांत रहा, काश्वी की नजर पहले उत्कर्ष पर गई जो चुप हैं शायद किसी गहरी सोच में हैं, फिर उसने निष्कर्ष को देखा जो उसे ही देख रहा है, निष्कर्ष भी चुप है, कुछ सैकेंड बाद हॉल की शांति तालियों

24

भाग–24 प्‍यार के पड़ाव

1 फरवरी 2023
0
1
0

एक और पड़ाव पार कर लिया निष्कर्ष और काश्वी ने अपनी दोस्ती का, एक महीने के अंदर ही दोनों इतने गहरे दोस्त बन गये कि अब एक दूसरे की जिंदगी से अच्छी तरह परिचित हैं   रात तो गहरी हो रही है लेकिन काश्वी को

25

भाग–25 वापसी

2 फरवरी 2023
0
1
0

काश्वी मुस्कुराते हुए उत्कर्ष के ऑफिस से बाहर निकली, उसे खुशी है कि निष्कर्ष अपने पापा के बारे में जो सोच रहा है वो गलत है और एक न एक दिन दोनों फिर साथ होंगे, ये कैसे होगा ये काश्वी को नहीं पता पर एक

26

भाग–26 “ये क्या है काश्वी?”

8 फरवरी 2023
0
1
0

 पापा के जाने के बाद काश्वी ने अपना फोन चेक किया, निष्कर्ष का मैसेज था, उसे भी नींद नहीं आ रही थी इसलिये मैसेज किया, काश्वी ने टाइम देखा तो रात के तीन बज रहे थे, उसने सोचा अब सुबह ही बात करेगी निष्कर्

27

भाग–27 दूर कैसे रह पाएंगे?

10 अप्रैल 2023
1
1
0

काश्वी ने देखा तो उसका ईमेल खुला हुआ है वहीं मेल जो उत्कर्ष ने उसे किया… मेल में उत्कर्ष ने काश्वी को रिमांइड कराया कि उसे जल्द एडमिशन के बारे में फैसला करना है… काश्वी सब समझ गई… उसका डर अब उसके सामन

28

भाग–28 यादगार सफर

26 जुलाई 2023
0
0
0

निष्कर्ष के कहने पर काश्वी ने उत्कर्ष को रिप्लाई किया और एडमिशन के लिये हां कर दिया… कुछ घंटे बाद ही रिप्लाई आया जिसमें कंफरमेशन के साथ काश्वी को 15 दिन में ज्वाइन करने को कहा गया रिप्लाई आते ही काश्

29

भाग–29 सच से सामना

12 सितम्बर 2023
0
1
0

फ्लाइट में पूरा समय निष्कर्ष ने काश्वी से उदयपुर की बात की… उसने बताया कि वो जब भी उदयपुर आता था तो उसकी मां उसे अपने बचपन की कहानियां सुनाती थी… “रेगिस्तान के बीच पहाड़ों और झीलों से घिरा एक छोटा सा

30

भाग–30 हर वक्त साथ रहूंगा

21 सितम्बर 2023
0
1
0

निष्कर्ष कुछ उदास है… काश्वी ने ठीक कहा था उसे नींद नहीं आ रही है… बहुत बैचेनी है… जब कुछ समझ नहीं आया तो निष्कर्ष ने अपने पापा को फोन किया…   कुछ देर घंटी बजने के बाद उत्कर्ष ने फोन उठाया वो कुछ घबर

31

भाग–31 उत्‍कर्ष का सच

3 नवम्बर 2023
0
0
0

 काश्वी चली गई और निष्कर्ष अपने घर लौट आया… कई घंटे की यात्रा के बाद काश्वी पहुंच गई… एयरपोर्ट पर पहुंचते ही सबसे पहले उसने निष्कर्ष को फोन किया… निष्कर्ष ने उसे वहीं रूकने को कहा… काश्वी कुछ पूछ प

32

भाग–32 नया चैप्‍टर

3 नवम्बर 2023
0
0
0

 सुबह हुई और काश्वी की जिंदगी का नया चैप्टर शुरू हुआ,,, नया देश,, नया कॉलेज और नये लोग पर एक डोर थी जो उसे घबराने या डरने नहीं दे रही थी पहली बार वो नये माहौल में भी इतनी कांफिडेंट थी,,,, वो डोर

33

भाग–33 मुझे तुम्हारे पास होना चाहिए था

3 नवम्बर 2023
0
0
0

 हम हमेशा सोचते है कि हमसे ज्यादा दुख और तकलीफ किसी को नहीं,,,दूसरा हमेशा खुद से खुश ही लगता है,,,किसी की तकलीफ का एहसास तभी होता है जब आप उसी तकलीफ को महसूस करते है,,और उस वक्त जो इसे समझ जाये वो

34

भाग–34 सामना करो अपने डर का

3 नवम्बर 2023
0
0
0

 निष्कर्ष को देखकर काश्वी काफी खुश थी डॉक्टर्स भी हैरान थे उसकी इंप्रूवमेंट देखकर,,, अगले ही दिन काश्वी को आईसीयू से वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया गया,,,,कोई ऐसा पास हो जिससे जिंदगी की हर सांस जुड़ी हो त

35

भाग–35 तलाश आज पूरी हुई

3 नवम्बर 2023
1
0
0

 जब सवालों की भीड़ लग जाये तो जवाब तलाशने पड़ते हैं और जवाब कहां मिलेगा ये सबसे बड़ा सवाल होता है,,,निष्कर्ष के सामने भी अब ये हालात थे काश्वी के सवालों के जवाब उसके पास नहीं थे और जो सवाल उसके मन म

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए