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भारतीय सेना

17 नवम्बर 2021

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अपने लहू की नदी बहाकर
हंसते हंसते शीष कटाकर
जय हिंद आखिरी शब्द लफ्ज़ में
देश प्रेम है  रक्त रक्त में
त्याग किया निज अरमानों का
त्याग किया है निज प्राणों का
हिंद वतन की आजादी को
किया समर्पित जीवन यौवन
उन वीरों के अतुल्य शौर्य को
आओ मिलकर  नमन करें ...
हिंद वतन आबाद रहे
 चाहे मां की गोद रहे सूनी
बहनों को राखी  यादों में
वो हंसी ठिठोली यादों में
पत्नी की वो बातें प्यारी
वो शिशु की गूंजती किलकारी
त्यागी हो जिसने वतन के खातिर
ऐसे हिंद सपूतों  को हम
आओ मिलकर नमन करें...
जिनका लोहा माना शत्रु ने
काल रूप जाना शत्रु ने
जबर जोशीले जबर हठीले
जय हिंद घोष करते गर्वीले
अनुपम अतुल्य श्रेष्ठ वीर
गाथाएं गूंजे सकल विश्व में
उन अमर गौरव बलिदानी को हम
आओ मिलकर नमन करें.....
जिनके कारण हम रहे सलामत
जिनके कारण हम हंसते खिलते
भारत वतन को नाज है जिन पर
जिनकी गाथा गाएं बन दिनकर
जो हिंद वतन की शान है
जो गौरव की पहचान है
ऐसी अमर निशानी को हम
आओ मिलकर नमन करे .....
      
        गजेंद्र चारण

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बहुत सुंदर रचना

17 नवम्बर 2021

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