shabd-logo

भारतीय कृषक

30 मार्च 2022

25 बार देखा गया 25
कलुषित विचारों से कोसों दूर,
सुख सुविधाओं से भी सदा रहा वंचित।
हर एक किसी का पेट भरने वाला,
क्या कभी किसी ने भी, देखा उसका भी निवाला।
स्वयंसिद्धा है वह, वह नहीं किसी पर भी बोझ।
 उसके भोलेपन का फायदा,सदा उठाते आए हैं लोग।
पढ़ा लिखा नहीं है, पर अपने आप में सक्षम है।
अंधविश्वासी है वह, यह उसने कब नकारा है।
सच कहें तो भारतीय परंपराओं को बस उसी पाला है। सादगी का है वह द्योतक,हर किसी का है वह पोशाक ।
परोपकारी सब को जीवन देने वाला।
  1. हां यही तो है भारतीय कृषक।

3
रचनाएँ
आरजू
0.0
आरज़ू है मेरी बस ये रहूं तेरी पनाहो में। गुजर जाए कई सदियां रहूं मैं तेरी बांहों में। तेरी सांसों की खुशबू से महक जाए मेरी सांसे। कभी तनहा नहीं गुजरे तुम्हारे बिन मेरी रातें। मेरे जूड़े के गजरे से तेरी रातें महक जाए। सुना है ये मुहब्बत में कि हर आशिक दिवाना है। कभी हंसता कभी रोता कभी वह मुस्कुराता है।
1

भारतीय कृषक

30 मार्च 2022
2
0
0

कलुषित विचारों से कोसों दूर,सुख सुविधाओं से भी सदा रहा वंचित।हर एक किसी का पेट भरने वाला,क्या कभी किसी ने भी, देखा उसका भी निवाला।स्वयंसिद्धा है वह, वह नहीं किसी पर भी बोझ। उसके भोलेपन का फायदा,स

2

स्त्री एक अभिमान

31 मार्च 2022
1
1
1

<div>मैं अपना स्वाभिमान लेकर आई थी तुम्हारे घर</div><div>पर तुमने मेरे स्वाभिमान को ही अभिमान समझ लिया</div><div>अभिमन वा स्वाभिमान में फर्क तो बहुत है</div><div>पर वह फर्क तुम्हें न दिखा।</div><div>म

3

अच्छी सीख

22 अप्रैल 2022
0
0
0

बच्चों बात बताएं एक,काम सदा करना तुम नेक। कभी लड़ाई तुम मत करना,अनपढ़ बनकर कभी न रहना। नित उठकर तुम करना योग,समय का सदा करना उपयोग।समय की कीमत जिसने जानी,सच में वही तो होते ज्ञानी।समय की कीम

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए