ख्वाहिश यही है कि बस आप मुझे पहचाना करो,
भीड़ में भी कभी नजर आऊं तो पुकारा करो।
गर मशहूर भी हो जाऊं,
तो तुम्हारी पुकार पे पलट जाऊं।
बस यही तमन्ना है दोस्तों, समुंदर की तरह अपने में मस्त बहता रहूं;
लेकिन तुम्हे देख लूं तो किनारों तक मिलने पहुंच जाऊं।
2 सितम्बर 2020
ख्वाहिश यही है कि बस आप मुझे पहचाना करो,
भीड़ में भी कभी नजर आऊं तो पुकारा करो।
गर मशहूर भी हो जाऊं,
तो तुम्हारी पुकार पे पलट जाऊं।
बस यही तमन्ना है दोस्तों, समुंदर की तरह अपने में मस्त बहता रहूं;
लेकिन तुम्हे देख लूं तो किनारों तक मिलने पहुंच जाऊं।
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Arun choudhary ,@civil engineer & director of Aakanksha group of studies.D