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Chandragupta Shaurya के बारे में

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Chandragupta Shaurya की पुस्तकें

कर्मयोगी नरेश बाबू

कर्मयोगी नरेश बाबू

जिनका जन्म हुआ है उनकी मृत्यु भी निश्चित है | जीवन-मृत्यु प्रकृति का शाश्वत सत्य है | जिस तरह बीता हुआ समय कभी वापस नहीं आता, उसीतरह जो दिवंगत हो जाते हैं, कभी नहीं लौटते | मात्र उनकी यादें हमारे मानस पर बरबस आती रहती है | उनकी क्रियाकलापें, उनकी बात

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29 रचनाएँ

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कर्मयोगी नरेश बाबू

कर्मयोगी नरेश बाबू

जिनका जन्म हुआ है उनकी मृत्यु भी निश्चित है | जीवन-मृत्यु प्रकृति का शाश्वत सत्य है | जिस तरह बीता हुआ समय कभी वापस नहीं आता, उसीतरह जो दिवंगत हो जाते हैं, कभी नहीं लौटते | मात्र उनकी यादें हमारे मानस पर बरबस आती रहती है | उनकी क्रियाकलापें, उनकी बात

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रिसते रिश्ते बिखरते परिवार

रिसते रिश्ते बिखरते परिवार

प्रतिदिन हम आप ज्योहीं अखबार के पन्ने पलटते हैं पाते हैं अखबार का दो से तीन पेज घरेलू हिंसा के खबरों से पटा रहता है, कहीं पति ने पत्नी का क़त्ल किया, कहीं पत्नी ने पति का. कहीं दोनों परिवार एक दूसरे पर केस डाल दिया, तो कहीं पत्नीं अपने बच्चों समेत ट्

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रिसते रिश्ते बिखरते परिवार

रिसते रिश्ते बिखरते परिवार

प्रतिदिन हम आप ज्योहीं अखबार के पन्ने पलटते हैं पाते हैं अखबार का दो से तीन पेज घरेलू हिंसा के खबरों से पटा रहता है, कहीं पति ने पत्नी का क़त्ल किया, कहीं पत्नी ने पति का. कहीं दोनों परिवार एक दूसरे पर केस डाल दिया, तो कहीं पत्नीं अपने बच्चों समेत ट्

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Chandragupta Shaurya के लेख

श्रधेय श्री नरेश बाबू के शोकसभा (25.10.18) में आए कुछ आगंतुकों के आपके प्रति उद्गार

26 फरवरी 2022
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 1. आँखों में अश्क लिये ; इधर-उधर ढूंढता हूँ | जब नहीं पाता हूँ ; तो खुद को समझाता हूँ || तेरी यांदों को हृदय में संजोय ; अश्क को घूंट –घूंट पीता हूँ ||”  -अजित कुमार सिन्हा, अमरपुरा   2. “सन 1956

मेरे ससुर जी और मैं – कुमारी सुषमा

26 फरवरी 2022
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 मेरी शादी अमरपुरा के श्री राम नरेश सिंह के मंझले पुत्र कुणाल योगेश चन्द्र से तय हुई थी. इस शादी में अगुआ मेरे चचेरे जीजा जी करहारा के श्री बलराज सिंह थे जो कि मेरे पति के मौसेरे भाई भी हैं. मेरी शाद

मैं और मेरे पिताजी - चंद्रमाला शौर्य

26 फरवरी 2022
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 मैं अपने पिताजी कि लाडली बेटी थी . जहाँ तक मुझे याद है वो मुझे बताते थे, मेरे जन्म पर वे पुरे गाँव में लड्डू बटवाए थे | चुकि मैं अपने तीनों भईया से छोटी थी इसलिए मैं पुरे परिवार की लाडली बन कर रही | 

हमारे पिताजी और मेरी स्मृतियाँ -अमरेश चन्द्र

26 फरवरी 2022
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 मेरा बचपन अधिकांशतः अमरपुरा में बीता है इस कारण प्रथम 10 वर्ष तक मैं पिताजी के अनुशासन और स्नेह से प्रायः वंचित रहा. परन्तु मेरे जीवन पर पिताजी का गहरा प्रभाव रहा है. पिताजी की बहुत सी बातें हैं जो

मेरी नजरों में हमारे बाबूजी ------ कुणाल योगेश चन्द्र

26 फरवरी 2022
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 एक साधारण एवं गरीब परिवार में जन्म लेने के बाद भी मेरे बाबूजी अपनी कार्य-कुशलता एवं योग्यता के कारण लोकप्रिय रहे. उनका बचपन गरीबी एवं कठिनाई भरा था. अपने सरल स्वभाव के चलते वे बड़ी आसानी से लोगों से घ

अंतिम यात्रा

26 फरवरी 2022
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 इस समय रात के करीब पौने दस बजे थे. चारों तरफ सन्नाटा था. घर पर आपकी पत्नी और बेटी आपके सकुशल लौटने की भगवान से प्रार्थना कर रहे थे. किन्तु जैसे ही आपका निष्प्राण शरीर पहुंचा, घर पूरा अशांत हो गया. आप

गुरूजी चले गये

26 फरवरी 2022
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 गुरूजी चले गए?  बाबूजी चले गए?  पिताजी चले गए.  दादाजी चले गए. नरेश बाबू चले गए.  यही बातें अमरपुरा गांव में चल रही थी 13 ओक्टुबर 2018 को रात 10 बजे से. फोन पर भी यही बातें हो रही थी. सभी लोगों

अंतिम भ्रमण

26 फरवरी 2022
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 ऐसा लगता है आपके पास समय की कमी थी. आपको इसका अहसास भी हो गया था. तभी तो आप अपनी जान पहचान के लोगों से  जल्दी-जल्दी मिल लेना चाह रहे थे. जब आपसे मिलने आपके बड़ी साली श्रीमती सोना देवी, बाजितपुर की पुत

बाबूजी का दिल्ली और करनाल भ्रमण

26 फरवरी 2022
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 जब आपका पोते इशांक का फुटबॉल खेलते समय 24 मार्च 2018 को हाथ टूट गया तो आपलोग बहुत परेशान हुए. आप उससे मिलने के लिए उतावले हो रहे थे. उस समय आपके मंझले लड़के प्रमोद अपने परिवार के साथ घर आया हुआ था. आप

हैदराबाद यात्रा

26 फरवरी 2022
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 लकवा से उबरने के बाद आप पूरी तरह स्वस्थ हो गए थे । या यों कहें कि आप पहले से ज्यादा स्वस्थ हो गए थे । अंतर यही हुआ था कि अब आपके साथ दवा की एक पोटली साथ हो गया । लकवा मारने से करीब एक साल पहले 2015

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