chaurasiya धर्म प्रकाश चौरसिया
chaurasiya धर्म प्रकाश चौरसिया के बारे में
chaurasiya धर्म प्रकाश चौरसिया की पुस्तकें
chaurasiya धर्म प्रकाश चौरसिया के लेख
नारी तुम महान हो
सूर्य में कितनी ऊर्जा है ये उसे नहीं पता ,चन्द्रमा में कितनी शीतलता है ये उसे नहीं पता ,फूल अपनी सुगंध से अवगत नहीं है ,हीरा अपने मूल्य से अंजान है
बस तुम
प्रीत गली अति सांकरी नहीं स्वार्थ की रीत . नयन भरे अंसुआ झरे ,रस्ता देखे मीत .
नारी
ईश्वर ने पावन प्रतिमा ऊपर से उतारी है .
पैसा ही भगवान
आए निष्ठुर शहर में छूट गया वो गाँव . वो नदिया में त
एक शहर के कोने से
संस्कृति
आधुनिकता कितना भी बेचे खुद को बाजारों मैं . फिर भी संस्कृति अक्षुणु है भारत के घर द्वारों मैं .
पथिक
चल पथिक काँटों भरा रस्ता है तू रुकना नहीं . कोई भी कितना करे अन्याय तू झुकना नहीं .
तुम कौन हो !
तुम्हारे आने की एक आहट, से जिंदगी मुस्कुरा रही है .
पिता
पापा कितने झंझावात छिपाए हो तुम , अंतस की गहराई मैं .
मूर्तिभंजक
बुतों को तोड़ कर तुम बुतशिकन हो तो गए लेकिन , दिलों को जोड़ लेने का हुनर तुम जानते होते .