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छठा दृश्य

26 जनवरी 2022

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(स्थान-शैलाक्ष के घर के सामने)
(गिरीश और सलारन भेस बदले हुए आते हैं)

गिरीश : यही बरामदा है जिसके नीचे लवंग ने हमें खड़े रहने को कहा था।

सलारन : उनका समय तो हो गया।

गिरीश : आश्चर्य है कि उन्होंने देर की क्योंकि अनुरागियों की चाल तो सदा घड़ी से तीव्र रहती है।

सलारन : ओह! नये अनुरागी कामदेव के कबूतर की भाँति अनुराग की दस्तावेज पर मुहर करने को तो दस गुने तेज उड़ते हैं पर फिर उसकी उलझन में उतने ही सुस्त हो जाते हैं।

गिरीश : यह तो नियम की बात है। किसी को भी खाने के पश्चात् वह भूख नहीं रह जाती है जो खाने पर बैठने के समय थी? कोई घोड़ा भी उस तीव्रगति के साथ लौट सकता है जिसके साथ वह चला था? संसार में जितनी वस्तुएँ हैं उनके मिलने से पूर्व जो उत्साह रहता है वह उनके मिलने पर नहीं रहता जैसा कि कहा भी है। "जो मजा इंतिजार में देखा, वह नहीं वस्ले यार में देखा।" जिस समय जहाज अपनी खाड़ी से रवाना होता है तो कैसा एक युवा व्यसनी अथवा बहुव्ययी के भाँति झंडियाँ फहराए हुए और दुष्ट वायु के गले लगा हुआ चला जाता है! पर जब वह लौटता है तो उसी बहुव्ययी की भाँति उसकी कैसी दुरव्यवस्था हो जाती है अर्थात् तूफान से किनारे टूटे हुए, पाल फटे हुए, निरातंक और व्याकुल! और यहा सब बुराइयाँ उसी कठोर वायु के द्वारा होती है।

(लवंग आता है)

गिरीश : वह देखो लवंग आ पहुँचे। उस विषय में हम लोग फिर बातचीत करेंगे।

लवंग : मेरे प्यारे मित्रो, मुझे विलम्ब के लिये क्षमा करना। इसमें अपराध मेरा न था वरंच आवश्यक कामों का। जब स्त्री चुराने की तुम्हारी बारी आवेगी तब मैं भी इतनी देर तक तुम्हारी राह देखूँगा। अच्छा इधर आओ, यहीं मेरा ससुरा जैनी रहता है। ऐ कोई भीतर है?

(जसोदा लड़के का कपड़ा पहिने हुए ऊपर से झांकती है)

जसोदा : तुम कौन हो? शीघ्र बतलाओ जिसमें मेरा पूरा सन्तोष हो जाय। यद्यपि मैं शपथ खा सकती हूँ कि मैं तुम्हारा शब्द पहिचानती हूँ।

लवंग : तुम्हारा प्रेमी लवंग।

जसोदा : निस्सन्देह तुम लवंग हो, और सचमुच मेरे प्यारे, क्योंकि मैं तुम्हारे सिवाय किसको प्यार करता हूँ? किन्तु प्यारे इस बात को सिवाय तुम्हारे कौन जान सकती है कि मैं भी तुम्हारी प्यारी हूँ या नहीं?

लवंग : इस बात का साक्षी तो ईश्वर और तुम्हारा मन है।

जसोदा : लो इस सन्दूक को सम्हालो, इसमें हम लोगों के परिश्रम का पूरा मिहनताना मिलेगा। मुझे हर्ष है कि रात का समय है और तुम मेरी सूरत नहीं देख सकते क्योंकि मुझे अपने इस वेष पर बड़ी लज्जा आती है; पर प्रेम अंधा होता है और प्रेमी अपनी मूर्खता की बातों को कभी नहीं देख सकते, क्योंकि यदि वह देख सकें तो कामदेव आप मुझे लड़के के वेष में देख कर लज्जित हो जाय।

लवंग : उतरो, क्योंकि तुम्हें मशाल दिखलानी होगी।

जसोदा : क्या मैं अपनी निर्लज्जता को आप ही मशाल लेकर दिखाऊँ। वह तो स्वयं अत्यन्त प्रकाशमान है। प्यारे, मशालची तो इसलिये होता है कि अंधेरे में की वस्तुओं को प्रकट करे पर मुझे तो उनके विरुद्ध अपने तईं छिपाना चाहिए।

लवंग : प्यारी तुम तो लड़के के सुहावने वेष में आप ही छिपी हो। परन्तु अब शीघ्रता करो क्योंकि रात, जो प्रेमियों की अवलम्ब है, बीतती जाती है और हम लोगों को अभी बसन्त के भोज में कुछ देर ठहरना है।

जसोदा : मैं द्वार बन्द करके और कुछ और रुपये ले कर अभी आती हूँ।

(ऊपर से जाती है)

गिरीश : मैं शपथ खा कर कह सकता हूँ कि यह जैन नहीं वरंच आर्या जान पड़ती है।

लवंग : मेरा बुरा हो यदि मैं इसे जी से न प्यार करता हूँ। यदि मेरी समझ ठीक है तो यह बुद्धिमती है, और यदि मेरी आँखें अन्धी नहीं हो गई हैं तो सुन्दर भी अत्यन्त ही है। सचाई इसकी जैसी कुछ है विदित है, अतः ऐसी बुद्धिमती, सुन्दरी और सच्ची युवती का मैं सदा मन से आज्ञाकारी रहूँगा।

(जसोदा नीचे आती है)

क्या तुम आ गई? चलो महाशयो, चलो, हमारे स्वाँग के साथी लोग हमारी राह देख रहे होंगे।

(जसोदा और सलारन के साथ जाता है)

अनन्त आता है,

अनन्त : कौन है?

गिरीश : अनन्त महाराज?

अनन्त : छी छी गिरीश! और लोग कहाँ हैं? नौ बज गया। हमारे सब मित्र तुम लोगों का बाट जोहते हैं। आज स्वाँग बन्द रहा क्योंकि अभी-अनुकूल वायु चला और वसन्त शीघ्र ही यात्रा करने जायँगे। मैंने बीसियों मनुष्यों को तुम्हारी खोज में चारों ओर दौड़ाया है।

गिरीश : मैं इस समाचार से बहुत प्रसन्न हुआ। मुझे स्वाँग से कहीं बढ़ कर इस बात में आनन्द मिलेगा कि आज ही रात को पाल उड़ाऊँ और चलता फिरता दिखलाई दूँ।

(जाते हैं) 

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रचनाएँ
दुर्लभ बन्धु
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उन्होंने कई नाटक, रोजमर्रा की जिंदगी का चित्रण, और सफरनामे लिखे। लेकिन, हरिश्चंद्र की सबसे उल्लेखनीय रचनाएँ आम लोगों की परेशानियों, गरीबी, शोषण, मध्यम वर्ग की अशांति को संबोधित करती हैं, और राष्ट्रीय प्रगति के लिए आग्रह करती हैं। अपने जीवनकाल में, हरिश्चंद्र ने सक्रिय रूप से हिंदी साहित्य के पुनरुद्धार को बढ़ावा दिया और जनता की राय को आकार देने के प्रयास में अपने नाटकों का इस्तेमाल किया।
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प्रथम अंक : पहला दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-वंशपुर की सड़क (अनन्त, सरल और सलोने आते हैं) अनन्त : सचमुच न जाने मेरा जी इतना क्यों उदास रहता है, इससे मैं तो व्याकुल हो ही गया हूँ पर तुम कहते हो कि तुम लोग भी घबड़ा गए। हा, न जाने यह उदासी कै

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दूसरा दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-विल्वमठ में पुरश्री के घर का एक कमरा (पुरश्री और नरश्री आती हैं) पुरश्री : नरश्री मैं सच कहती हूँ कि मेरा नन्हा सा जी इतने बड़े संसार से बहुत ही दुःखी आ गया है। नरश्री : मेरी प्यारी सखी यह बात

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तीसरा दृश्य

26 जनवरी 2022
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(बसन्त और शैलाक्ष आते हैं) शैलाक्ष : छः सहस्र मुद्रा-हूँ। बसन्त : हाँ साहिब-तीन महीने के वादे पर। शैलाक्ष : तीन महीने का वादा-हूँ। बसन्त : और इसके लिये, जैसा कि मैं आप से कह चुका हूँ, अनन्त जामिन

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द्वितीय अंक : पहला दृश्य

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स्थान-विल्वमठ। पुरश्री के घर का एक कमरा (तुरहियाँ बजती हैं। मोरकुटी का राजकुमार अपने सभासदों के सहित और पुरश्री, नरश्री और अपनी दूसरे सहेलियों के संग आती है।) मोरकुटी : मेरी रंगत देखकर मुझसे घृणा न

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दूसरा दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-बंशनगर-एक सड़क (गोप आता है) गोप : निस्सन्देह मेरा धर्म मुझे इस जैन अपने स्वामी के पास से भाग जाने की सम्मति देगा। प्रेत मेरे पीछे लगा है और मुझे बहकाता है कि गोप, मेरे अच्छे गोप, पाँव उठाओ, आग

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तीसरा दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-वंशनगर, शैलाक्ष के घर की एक कोठरी (जसोदा और गोप आते हैं) जसोदा : मुझे खेद है कि तू मेरे बाप की नौकरी छोड़ता है। यह घर मुझे नरक समान लगता है पर तुझ ऐसे हँसमुख भूत के कारण थोड़ा बहुत जी बहल जाता

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चौथा दृश्य

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स्थान-वंशनगर-एक सड़क (गिरीश, लवंग, सलारन और सलोने आते हैं) लवंग : नहीं, वरंच हम लोग खाने के समय खिसक देंगे और मेरे घर पर आकर भेस बदल कर सब लोग लौट आवेंगे। एक घंटे में सब काम हो जायगा। गिरीश : हम लो

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पाँचवाँ दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-वंशनगर-शैलाक्ष के घर के सामने (शैलाक्ष और गोप आते हैं) शैलाक्ष : अच्छा तो तू देखेगा, तेरी आँखें आप ही इस बात का न्याय करेंगी कि वृद्ध शैलाक्ष और बसन्त में कितना अन्तर है। अरी जसोदा! जैसा तू मे

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छठा दृश्य

26 जनवरी 2022
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(स्थान-शैलाक्ष के घर के सामने) (गिरीश और सलारन भेस बदले हुए आते हैं) गिरीश : यही बरामदा है जिसके नीचे लवंग ने हमें खड़े रहने को कहा था। सलारन : उनका समय तो हो गया। गिरीश : आश्चर्य है कि उन्होंने द

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सातवाँ दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-विल्वमठ, पुरश्री के घर का एक कमरा, (तुरहियाँ बजती हैं। पुरश्री और मोरकुटी का राजुकुमार अपने अपने साथियों के साथ आते हैं) पुरश्री : जाओ, पर्दे उठाओ और इस प्रतिष्ठित राजकुमार को तीनों सन्दूक दिख

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आठवाँ दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-वंशनगर, एक सड़क (सलारन और सलोने आते हैं) सलारन : अजी मैंने स्वयं बसन्त को जहाज पर जाते देखा; उन्हीं के साथ गिरीश भी गया है, पर मुझे विश्वास है कि उस जहाज में लवंग कदापि नहीं है। सलोने : उस दु

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नवाँ दृश्य

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स्थान-विल्वमठ, पुरश्री के घर का एक कमरा (नरश्री एक नौकर के साथ आती है) नरश्री : शीघ्रता करो; पर्दे को झटपट उठाओ; आर्यग्राम के राजकुमार शपथ ले चुके और सन्दूक चुनने के लिये पहुँचा ही चाहते हैं। (तुरहि

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तीसरा अंक : पहला दृश्य

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स्थान-वंशनगर, एक सड़क (सलोने और सलारन आते हैं) सलोने : कहो बाजार का कोई नया समाचार है? सलारन : इस बात का अब तक वहाँ बड़ा कोलाहल है कि अनन्त का एक अनमोल माल से लदा हुआ जहाज उस छोटे समुद्र में नष्ट हो

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दूसरा दृश्य

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स्थान-विल्वमठ, पुरश्री के घर का एक कमरा (बसन्त, पुरश्री, गिरीश, नरश्री, और उनके साथी आते हैं। सन्दूक रक्खे जाते हैं) पुरश्री : भगवान के निहोरे थोड़ा ठहर जाइए। भला अपने भाग्य की परीक्षा के पहले एक दो

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तीसरा दृश्य

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स्थान-वंशनगर की एक सड़क (शैलाक्ष, सलारन, अनन्त और कारागार के प्रधान आते हैं) शैलाक्ष : प्रधान इससे सचेत रहो; मुझसे दया का नाम न लो। यही वह मूर्ख है जो लोगों को बिना ब्याज रुपये ऋण दिया करता था। प्रधा

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चौथा दृश्य

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स्थान-विल्वमठ पुरश्री के घर का एक कमरा (पुरश्री, लवंग, जसोदा और बालेसर आते हैं) लवंग : प्यारी यद्यपि आप के मुँह पर कहना सुश्रूषा है पर आप में ठीक देवताओं का सा सच्चा और पवित्र प्रेम पाया जाता है और

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पाँचवाँ दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-विल्वमठ-एक उद्यान (गोप और जसोदा आते हैं) गोप : हाँ बेशक-तुम जानती हो कि पिता के पापों का दण्ड उसके बच्चों को भोगना पड़ता है। इसलिये मैं सच कहता हूँ कि मुझे तुम्हारा अमंगल दृष्टि आता है। मैंने त

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चौथा अंक : पहला दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-वंशनगर राजद्वार (मण्डलेश्वर वंशनगर, प्रधान लोग, अनन्त, बसन्त, गिरीश, सलारन, सलोने और दूसरे लोग आते हैं) मण्डलेश्वर : अनन्त आ गए हैं? अनन्त : धर्मावतार उपस्थित हूँ! मण्डलेश्वर : मुझे तुम पर अ

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दूसरा दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-वंशनगर की एक सड़क (पुरश्री और नरश्री आती हैं) पुरश्री : जैन के घर का पता लगा कर उससे झटपट इस पाण्डुलिपि पर हस्ताक्षर करा लो। हम लोग आज ही रात को चलते होंगे, जिसमें अपने पति से एक दिन पहले घर पह

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पाँचवाँ अंक : पहिला दृश्य

26 जनवरी 2022
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स्थान-विल्वमठ, पुश्री के घर का प्रवेशद्वार (लवंग और जसोदा आते हैं) लवंग : आहा! चाँदनी क्या आनन्द दिखा रही है! मेरे जान ऐसी ही रात में जब कि वायु इतना मन्द चल रहा था कि वृक्षों के पत्तों का शब्द तक स

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