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छलिया चुड़ेल

10 जून 2022

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article-imageये कहानी है एक ऐसी चुड़ेल की जो बला की खूबसूरत दिखाई देती थी उसकी आँखे काली काली जिसको देख कर लोग उसकी आँखों में डूब जाया करते थे ,सुंदरता ऐसी थी की जो उसे देखकता था ,उसके हुस्न का कायल हो जाता दीवाना हो जाता उसपर मर मिटने को उतारू हो जाया करता था, अपने हुस्न के जाल में उसने कई लोगों फसाकर कर उनका शिकार किया था, थी तो वो हजारों वर्ष पुरानी चुड़ेल उसका हुस्न उसका रूप रंग सब एक छलावा था, उसका असली रूप तो बेहद घिनोना और डरावना था, जिसको देख सांस तक हलक में अटक जाती थी, उस चुड़ेल के अपने हुस्न की सुंदरता में फसाके लोगों का शिकार करने प्रकार को जान कर देख कर गाँव के लोगों ने उस चुड़ेल का नाम( छलिया)  छलिया चुड़ेल रख दिया था! छलिया मौत का दूसरा नाम! आइये कहानी को आगे ले चलते हैं

नागपुर शहर वासी हितेन् और उसके दो  दोस्त रमन और बिट्टू अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद से खाली पीली बेरोजगार थे, आवारा गर्दी करते थे, उन्हे काम काज से कुछ लेना देना नहीं था, वो मुफ्त की रोटियाँ तोड़ रहे थे, उन्हे काम काज करके  मेहनत करके पैसा नहीं कमाना था, उन्हे तो शोर्ट कट में पैसा कमाना था, रातों रात अमीर बनाना था, उनकी इसी चाहत ने, उन्हे निकम्मा और आवारा बना दिया था,उन तीनों की हरकतों से उनके घरवाले काफी त्रस्त हो चुके थे, तो वो रोज उन्हे डाट फटकार लगाया करते थे!

हर दिन की तरह
हितेन तैयार हो कर अपने दोस्त रमन और बिट्टू से मिलने के लिए अपने घर से निकल रहा था, की हितेन के पापा ने हितेन की माँ से कहा, लो देखो महाशय तैयार हो गए, आवारा गर्दी करने के लिए काम धंधा तो कुछ करता नहीं है, बस आवारा गर्दी करता रहता है, शर्म आती है मुझे इसे अपना बेटा कहने में, नाक झुका कर रखी है, इसने मेरी, अबतो इसे देख कर मुझे घिन सी आने लगी है,

हितेन अपने पाप की कड़वी बातें सुनकर, जोर से जमीन पर पाव को पटक कर गुस्से में घर से निकल जाता है, और अपने दोस्त रमन और बिट्टू से मिलने के लिए बर्डि पर अपने हमेशा के अड्डे  नंदू की चाय टपरी पर पहोचता है,

बिट्टू हितेन् से कहता है, अरे आवो हितेन् भाई कबसे तुम्हारा इंतजार कर रहे थे हम, अगर कुछ देर और नहीं आते तो चाय भी बुरा मान जाती, हितेन्, बिट्टू से कहता है, बिट्टू मजाक मत कर यार आज बहोत खोपढ़ा खराब है मेरा, और गुस्से में नंदू से कहता है, नंदू एक सिग्रेट दे रे, साला दिमाक खराब हो रक्खा है,

बिट्टू और रमन हितेन् से कहतें है, क्या हुआ भाई आज बहोत गुस्से में हो, हितेन् कहता है, यार ये रोज की कीच कीच साला घरवालों के ताने सुन सुन कर दिमाक का भेजा फ्राय हो गया है, बिट्टू और रमन हसकर कहतें है, इसमें कौन सी नई बात है, ये तो रोज का काम है, हम लोगों का, हितेन् कहता है, नहीं यार आज पापा ने काफी कुछ कह दिया जो सुनकर मेरा मूड बहोत खराब है, रमन हितेन से कहता है, ये ले यार एक बड़ा कश मार और सारी टेंशन को धुवे में उड़ा दे, जैसे बिट्टू और मैंने उड़ा दिया है, हमें भी कम ताने नहीं मिले आज, हितेन् रमन से कहता है, नहीं यार जल्दी कुछ ना कुछ करना होगा इन्हें पैसा कमाकर दिखाना होगा चाहे फिर किसी को मारना क्यों ना पड़े!

हितेन, रमन  और बिट्टू की बातें कोई छुप कर सुन रहा था, उसे भी ऐसे ही लोगों की तलाश थी, जो रातों रात अमीर बनने की ख्वाईश रखतें हों, वो उन तीनों की तरफ बड़ता है, और कहता है!

हाय क्या तुम तीनों बेरोजगार हो, और रातों रात पैसे कमा कर अमीर बनना चाहते हो, तो में तुम तीनों की मदद कर सकता हूँ,
हितेन् उस इंसान से कहता है, जाओ यार यहाँ से फोकट में दिमाक का दही मत करो पहले ही, भेजा गरम है, वो इंसान कहता देखो मैंने तो तुम्हारी मदद करना चाहा पर लगता है, तुम लोगों को ताने सुनने की आदत हो गई है, ok bye चलता हूँ, पर मेरी बात पर गौर करना!

रमन और बिट्टू हितेन से कहतें है,  भाई उसकी बात सुन लेतें है, शायद सच में हम रातों रात अमीर बन जाएं, उनकी बात सुनकर हितेन कहता है, ठीक है, हितेन् उस शक्स को आवाज लगाकर रोक कर कहता है, ओ भाई आजा बता कैसे हो सकता है , ये सब क्या सचमे तु हमें रातों रात अमीर बनवा सकता है,
वो शक्स आकर हितेन से कहता ही, क्यो नहीं तुम्हारे जैसे कई लोग मेरे साथ काम करके अमीर हो चुके हैं!

हितेन् उस से कहता है, आजा भाई बैठ जा हमारे साथ और बता क्या करना होगा अमीर बनने के लिए किसीका कत्ल वत्ल तो नहीं करना हैना, और तेरा नाम क्या है, वो शक्स अपना नाम बताते हुए कहता है, सोनू ,सोनू नाम है मेरा लोग मुझे गोल्डी के नाम से जानते है, मेरा काम है, जमीन में दबा हुआ सोना हीरा जावारात निकालना और उसे blck मार्केट में बेचना!

वो तीनों भी अपना अपना नाम बताते हैं, में हितेन, में रमन और, में बिट्टू, नाम बताने के बाद, बिट्टू उससे कहता है, सोनू भाई मैंने सुना है, जमीन से सोना वोना निकालने के चक्कर में जान का खतरा होता है, सोनू कहता है, रातों रात अमीर बनना है, तो  जान को तो दाव पर लगाना ही पड़ता है, बिट्टू भाई

सोनू की बात सुनकर बिट्टू, घबरा जाता है, पर हितेन ओर रमन सोनू के साथ ये काम करने के लिए राजी हो जातें हैं और वो बिट्टू को भी इस काम में साथ देने को कहते हैं, तब बिट्टू भी उनके साथ इस काम को करने के लिए डरता हुआ तैयार हो जाता है ! सोनू उन तीनों से दो दिन बाद इसी जगाह पर अपने अपने बेग लेकर मिलने के लिए कहता है, और कहता है, हम लोग कुछ दिन के लिए नागपुर से बाहर जाएंगे! इतना कहकर सोनू, उर्फ गोल्डी वहाँ से चले जाता है!

सोनू के जाने के बाद बिट्टू को घबराया हुआ देख रमन, और हितेन बिट्टू को चिड़ाने लगतें है, फट्टू फट्टू बिट्टू फट्टू है रे तु, बिट्टू भी कह देता है, में फट्टू बट्टू नहीं हूँ, चलते हैं, जमीन से सोना निकालने देखतें है, फिर कौन वहाँ से भागता है, और कौन फट्टू है, वो सब हसी मजाक कर, अपने अपने घर चलें जाते हैं!

दो दिन बाद वो तीनों दोस्त नंदू की चाय टपरी पर सोनू के आने का इंतजार कर रहे थे,  कुछ समय बीतने के बाद  सोनू वँहा कार ले कर पहोच जाता है, वो तीनों कार में बैठ कर सोनू के साथ वहाँ जाने के लिए निकल जातें है, जहा से उन्हे जमीन को खोद कर सोना खजाना निकालना था, कुछ दूर जा कर सोनू अपनी कार रोक देता है, और वँहा से वो एक आदमी को अपने साथ ले लेता है, ये तीनों दोस्त सोनू से पूछते है, सोनू भाई अब ये कौन है, जो हमारे साथ चल रहा है, सोनू कहता है, ये मंत्र तंत्र   से जमीन से सोना निकालने में हमारी मदद करेंगे, ये अघोर है, और वो सब नागपुर से निकल जाते हैं,

सोनू से तीनों दोस्त पूछतें है, सोनू भाई, आखिर हम लोग सोना निकालने  जा कहाँ रहे हैं, सोनू कहता है, माहूर गढ़ से ५ किलोमीटर पर एक गाँव है हम लोग वहीं जा रहें है, हितेन कहता है, सोनू भाई आप कहीं वोही माहुर गढ़ तो नहीं कहे रहे हो जहाँ, माता जी का मंदिर है, शक्ति पीठ है, सोनू कहता है हाँ, हम लोग वहीं जा रहें है, माहुर से लग कर जो गाँव है, वो मेरे दोस्त सागर का गाँव है,सागर बॉम्बे में जॉब करता है, कुछ दिनो के लिए वो गाँव आया है, उसी ने मुझे कहा  सोनू गाँव में एक पहाड़ के नीचे एक सुरंग है, जिसमें बेश कीमती खजाना छुपा हुआ है, पर गाँव का कोई भी इंसान उस खजाने को निकालने से डरता है, और उसके नजदीक भी नहीं जाता!

तब बिट्टू कहता है, मुझे नहीं चलना मुझे ऐसी जगाओ से डर लगता है, की उतने में अघोर कहता है, में हुना तुम डरो मत में तुम लोगों का बाल भी बाका नहीं होने दूंगा!

उन लोगोँ मे यूँही बातें चलती रही, सफर कटता , और पता ही नहीं चला कब माहुर गढ़ आके चला गया और कब वो गाँव पहोच गए!

गाँव के अंदर जाते ही सोनू को सागर दिखाई देता है, सोनू कार की ब्रेक लगाकर कार से उतर कर सागर से गले मिलकर कहता है, और कैसे हो सागर, सागर कहता है, सोनू भाई सब बड़िया है, तुम  बताओ कैसे हो, सोनू कहता है, मस्त हूँ सागर,
अब सब एक कर कार से उतरतें हैं और सोनू उन सबको सागर से मिलाता है, सागर उन सब से कहता है, की उसके मा बाबा और उसके गाँव वालों को वो सब यें बताए की वो सब सागर के साथ बॉम्बे में काम करते हैं, और फिर सागर उन सब को अपने घर ले जाता है, अपने घर वोलों से उनका परिचय करवा के, उनको खाना खिलाता है, और फिर गाँव दिखाने के बहाने वो उन्हे वो पहाड़ दिखाता, और उनसे कहता है, रात होते ही हम सबको यहाँ आकर अपना काम करना है, इस काम को रात में ही अंजाम दिया जा सकता है, और वो सब वहाँ से वापस चले जातें है,

रात होती है, सब रात का खाना खाकर सागर के घरवालों के सोने का इंतजार कर रहे थे, उनके सोने के बाद, ये सब रात के अंधेरे में, छुपते छुपाते हुए उस पहाड़ तक पहोच जातें है, और अपने काम को अंजाम देने के लिए पहाड़ की सुरंग के अंदर दाखिल होना शुरू करते हैं

सब लोग अपने अपने मोबाइल फोन की टॉर्च चालू कर के उस सुरंग को देख रहे थे सुरंग में काफी पुरानी शिल्प की कला कृतियाँ बनी हुई थी जैसे पुराने काल में राजा महाराजा पत्थर पर चट्टानों पर बनवाया करते थे, ये देख सागर और सोनू बड़े ही खुश हो जातें हैं, और एक दूसरे से कहतें है, ये वो सुरंग है, जिसमे राजा अपने काल में अपना खजाना छुपा कर रखा करता था, लगता है, आज हमारा काम बन जाएगा, आज के बाद से इस घिसी पीटी जिंदगी से छुटकारा मिल जाएगा और हम भी राजाओं की तरह अपनी जिंदगी जियेंगे!

बिट्टू ,रमन और हितेन का तो सुरंग के अंदर जाने के बाद हाल ऐसा था की, वो वँहा से जितना जल्दी हो सकें निकलना चाहते थे, डर के मारे उन तीनों का पसीना छुट रहा था, और अघोर अपनी मंत्र शक्ति से सुरंग में खजाना कहाँ दफनाया गया है, उसे खोज रहा था!

वो लोग धीरे धीरे उस सुरंग के भीतर और भीतर जाते जा रहे थे, जैसे जैसे वो भीतर जा रहे थे, वैसे वैसे वो सुरंग और भी गहरी और दरवानी होती जा रही थी, बिट्टू, रमन और हितेन,, सागर, अघोर और सोनू से डरते हुए कहतें है, हमें बहोत डर लग रहा है, और एक अजीब सी घुटन भी हो रही है, हम तीनों वापस जा रहें है! तब अघोर कहता है, डरने की कोई बात नहीं है, मैं तुम लोगों को कुछ नहीं होने दूँगा, कोई बुरी शक्ति या विशेले सर्प तुम्हारे रास्ते में आये तो में, उन्हे अपनी मंत्र शक्ति से अपना बंधक बना दूँगा, फिर सोनू उन तीनों से कहता है, क्या तुम लोगों को रातों रात अमीर नहीं होना है, क्या तुम लोग तुम्हारे घरवालों के जिंदगी भर ताने ही सुनना चाहते हो, अगर सुनना चाहते हो तो बेशक वापस चले जाओ, हम तो आज यहाँ से खजाना लेकर ही जाएंगे!

कई बार ईश्वर हमें संकेत देते हैं, पर हम  लालच में, उनके संकेत को भी अंदेखा कर लेतें है, ऐसा ही कुछ, हितेन, बिट्टू और रमन भी करने जा रहे थे,

सोनू और अघोर की बातों में आकर उन्होंने भी उनके साथ आगे बड़ने का फैसला ले लिया और ईश्वर की आवाज को दर्किनार करके वो लालच की तरफ अपने कदम बढ़ाते चलते चले गए!

अब तक तो सुरंग में शिल्प करो की कलाओं के चित्र दिखाई दे रहे थे, लेकिन अब जैसे जैसे ये लोग भीतर प्रवेश कर रहे थे वैसे वैसे शिल्प कलाओं के चित्रण कम होते जा रहे थे, या ऐसा कहें गुम होते जा रहे थे, थोड़ा और अंदर जाने के बाद बिट्टू के गले में आकर कोई चीज गिरती है, और वो डर के मारे चिल्लाने लगता है, तब अघोर की नजर  बिट्टू  पर पड़ती है, और वो देखता है, की बिट्टू के गले में अजगर साप अपनी पकड़ बना रहा है, तो अघोर अपनी मंत्र शक्ति से उस साप को अपने वश में कर उसे वहाँ से भगा देता है, अब हितेन और उसके दोनों दोस्त काफी घबरा गए थे, और फिरसे वापस जाने की बात कर रहे थे, पर सोनू ने उन्हे फिरसे लालच के जाल में फ़ास कर उन्हे रोक लिया और कहा अघोर हैना कुछ नहीं होगा तुम सब को इन सब की बातें चल ही रही थी की सागर की नजरों ने जमीन पर कुछ ऐसा नजारा देख लिया जिससे उसके भी अब होश उड़ गए, हर तरफ साप ही साप थे जमीन पर सुरंग की चट्टान से बनी दीवालों पर छत पर साप ही साप थे!

सागर जोर से चिल्लाता है, सोनू ये देखो यहाँ हर जगह साप ही साप है, इस जगह से होकर आगे जाना मतलब अपनी मौत को न्यौता देना होगा लगता है, हमें यहाँ से खाली हाथ वापस जाना पड़ेगा, तब अघोर सामने आता है, और अपने मंत्र शक्ति से उन  सापों को शिला बना देता है, अघोर की शक्ति देख कर अब सबका डर निकल जाता है, और उनकी आँखों के सामने खजाने की चमक दिखाई देने लगती है, और वो अब और भी जादा तेजी से सुरंग के अंदर जाने लगते ते हैं,

बस अब इन लोगों की मंजिल ज्यादा दूर नहीं थी पर मंजिल के साथ साथ उनकी मौत भी दूर नहीं थी, देखतें है क्या होता है,

सोनू सागर और हितेन अब सबसे आगे चले रहे थे, और सागर को वो निशानी दिख रही थी जो उसने अपने पूर्वजों के मुख से कहानी में सुनी थी, तब वो रुक कर सबसे कहता है, वो देखो, शिला पर मोर का चित्र बस अब यहाँ से थोड़ा चलने के बाद वो जगाह अजायेगी जहाँ हम सब की किस्मत बदलने वाली है,

वो लोग पहोचने तो वाले थे, पर वहाँ उनका एक और चुनोती इंतजार कर रही थी, वो थी सुरंग में दो राहें, अब वो सब इस विचार में पड़ गए की अब कहाँ जाए दाएं को या बाएँ को तब अघोर अपनी आँखे बंद कर अपनी शक्ति से देखता है की किस  तरफ खजाना है, तक्रिबंन २ मिनट बाद अघोर हस्ते हुए अपनी आँखे खोलता है और कहता है, दोनों ही तरफ खजाना ही खजाना है, दाएँ तरफ जमीन में दबा खजाना है, और बाएँ तरफ एक सोने से बना दरवाजा है, और उसके पास एक संदूक  पढ़ा है, और उसपर एक सोने की हांडी दिखाई दे रही है, तो हम सब पहले बाएँ उस सोने की हांडी को हासिल कर उस सोने के दरवाजे को खोल कर वहाँ का खजाना पहले उठा कर निकल जाएंगे उसके बाद फिर कभी वापस आकर दाएँ तरफ का खजाना जमीन खोद कर निकाल लेंगे!

अघोर की बात सुनने के बाद सब लोग खुशी से नाचने लगतें है, और फिर बाएँ तरफ जाने लगतें है, तो वो देखतें हैं, सचमे सामने सोने का दरवाजा चमक रहा था उसकी चमक से सुरंग का वो हिस्सा चमक रहा था, और वहाँ एक संदूक भी था, जिसके उपर सोने की हांडी पड़ी थी, सागर ये सब देख उस हांडी की तरफ उसे पाने के लिए दौड़ते हुए उसके पास जाता है, पर अघोर उससे  आवाज लगा कर कहता है, रुको सोनू मुझे देखने दो इस हांडी पर कोई शक्ति तो नहीं लगी है, तब तक उसे छूना मत, सोनू हांडी को पाने की चाह में इतना गुम था, की उसे अघोर की बात सुनाई ही नहीं दे रही थी, अघोर अपनी आखे बंद कर अपनी शक्ति से देखता है और जोर से चिल्लाता है, नहीं नहीं नहीं, उसे छूना मत सोनू ये सब छल है, उस छलिया का, सोनू सोने की चमक में और छलिया के छल में आगया था, उसे अघोर की कोई भी बात सुनाई नहीं दे रही थी! और वो उस हांडी को छू कर उसका मुह खोल देता है!

जैसे ही सोनू हांडी का मुह खोलता है, पूरी सुरंग में, कंपन होने लगता है, और चारों तरफ बस धुंध सी सा जाती है, और जैसे ही धुंध हटती है, तो अघोर और सोनू के साथियों को, सोनू की लाश तड़पते हुए जमीन पर दिखाई देती है, और सामने से एक बला की सुंदर लड़की आते हुए उन्हे दिखाई देती है, जिसके हाथ में सोनू का कटा हुआ सर था, और वो जोरों से हस्ते हुए कहती है, कई दिनों बाद आज आजाद होते ही इंसानों का खून पीने का मौका मिला है! छलिया, छलिया आज आजाद हो गई!
अब में किसी को नहीं छोड़ूंगी इस गाँव में, सबका शिकार करूँगी,article-image

छलिया को सोनू की लालच ने आजाद कर अपनी मौत को न्यौता दिया था , और अपने साथियों और गाँव वालों को भी खतरे में डाल दिया था! ,

उधर गाँव में छलिया के आजाद हो जाने के बाद से उठी कंपन और उसकी आवाज की गूंज से डर का माहौल हो गया था! और वो लोग डर के मारे इकट्ठा हो कर चर्चा कर रहे थे, आखिर ये कैसे हो गया, छलिया चुड़ेल कैसे आजाद हो गई उसे तो , माता जी के मंदिर वाले स्वामी  महाराज  ने आज से ५ साल पहले  एक हांडी में कैद कर मंत्रो से बांध दिया था, इस गुफा  के आखरी छोड़ में, आखिर वो आजाद कैसे हुई , किसने इस गाँव के काल को आजाद कर दिया! छलिया अब फिरसे जाग गई है, और उनके सामने वो ५ साल पहले के दृश्य आने लगे, जब छलिया ने पुरे गाँव में अपना आतंक मचा रखा था, अपनी खूबसूरती का जाल  बिछाकर उसने कई गाँव के नवजवानो को अपना शिकार बनाया था, यहाँ तक उसने ,बच्चे, बूढ़े, महिलाओं, अथवा जानवरों का भी बढ़ी बेरहमी से शिकार किया था! किसीको नहीं छोड़ा था, काल बनकर आई थी, वो हमारे गाँव में, वोतो अच्छा था की तब स्वामी महाराज जी स्वयं थे, पर अब ५ साल बाद फिर वो दरिंदि जाग गई है, और अब स्वामी जी भी जीवित नहीं है, अब उसे कौन बांधेगा ! गाँव वालों में चर्चा चल  ही रही थी , की पीछे से एक आवाज आती है, मैं, मैं रोकूंगा इस छलिया चुड़ेल को मैं बांधूगा उसे इस पर्वत की सुरंग के अंदर हमेशा हमेशा के लिए, ये सुनकर सारे गाँव वाले उस आवाज की तरफ आश्चर्य से देखतें हैं, तो उन्हे दिखाई देता है की ये आवाज किसी और की नहीं, स्वामी महाराज के पुत्र की थी, जो अब उनकी जगाह पर मंदिर की सेवा में रहते थे!

और उधर सुरंग के अंदर, छलिया चुड़ेल को देख कर, सागर, हितेन ,बिट्टू , और रमन का हाल बुरा हो गया था, वो अघोर से कह रहे थे, अघोर अब इस छलिया से तुम हमें बचाओ, इसे अपने मंत्रो से अपने वश में लेलो और हमारी जान बचाओ, अघोर के खुद के हाथ पाव छलिया चुड़ेल को देख कर काप रहे थे, और वो उनसे कापते हुए कहता है, ये छलिया चुड़ेल हजारों साल पुरानी चुड़ेल है, इसका मेरे पास कोई तोड़ नहीं है, बस हम एक काम कर सकतें है, सब अघोर से पूछने लगते हैं, क्या? अपनी जान बचाकर यहाँ से भागो, इतना कहते ही अघोर सुरंग से गाँव की तरफ जाने के लिए भागने लगता है, उसे देख कर, सागर, हितेन और उसके दोनों दोस्त भी अपनी जान बचाने के लिए अघोर के पीछे पीछे भागने लगतें है, सोनू का खून पीने के बाद छलिया एक एक कर सबका शिकार करने के लिए उनके पीछे लगजाति है, सोनू के बाद अघोर उसके हाथ लगता है, वो उसका पेट अपने लंबे लंबे नाखूनों से फाड़ कर उसका भी खून पीने लग जाती है, और जोरों से चिल्लाती है, ५ सालों से प्यासी हूँ में भूखी हूँ में, आज सबका खून पी कर में अपनी प्यास बुझाऊँगी! एक एक कर वो सुरंग के अंदर फसे लोगों को मार रही थी, सागर, बिट्टू ,रमन भी उसका शिकार बन गए थे, बस बचा था तो, हितेन जो छलिया से छुपते छुपाते अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहा था!

और उधर स्वामी जी के पुत्र और गाँव वाले छलिया चुड़ेल को बांधने के लिए तैयारियां कर रहे थे, की सागर के बाबा रोते हुए आकर स्वामी जी के पुत्र के चरणों में गीर जातें है, और कहते है, स्वामी जी सागर, और उसके बॉम्बे से आये हुए दोस्त कहीं दिखाई नहीं दे रहें है, मुझे लगता है, कहीं उन्होंने ही तो नहीं इस सुरंग में जाने की गलती की है, और उस छलिया चुड़ेल को जगा दिया है, स्वामी जी कुछ भी करके आप मेरे बच्चे और उनके दोस्तों को उस छलिया चुड़ेल से बचाए, स्वामी जी सागर के बाबा से कहतें है, अब तक तो छलिया ने उनको मौत के घाट उतार दिया होगा, अगर नहीं तो में पूरी कोशिश करूँगा उन्हे बचाने की!

और इधर हितेन छुपते छुपाते भागते भागते थक गया था, उसने अपने बचने की उम्मीद ही छोड़ दी थी, फिर भी वो खुद को बचाने के लिए भागते जा रहा था, की उसकी नजर सामने से आते शोर और रोशनी पर पड़ी, गाँव वालों की आवाज आरही थी , और उनके हाथों में मशाल थी, जिसकी रोशनी हितेन को भागकर कर अपनी जिंदगी बचाने की शक्ति देने लगी थी! एक उम्मीद सी जगा रही थी! हितेन भागते भागते सुरंग के छोड़ तक पहोचने ही वाला था की अचनाक से उसके उपर खून की कुछ बूंद गिरने लगती है, तो वो घबराते हुए अपने सर को उपर की तरफ उठाता है, तो उसे उसकी मौत उसके करीब आते दिखाई देती है, और आगे देखता है, तो गाँव वाले दिखाई देतें है, उठो भागो यहाँ आओ वर्ना, छलिया तुम्हे मार डालेगी, स्वामी जी भी ये नजारा अपनी आँखों से देख रहे थे, हितेन को समझ नहीं आरहा था वो क्या करे उसके होश उड़ गए थे, फिर भी वो उठ कर बाहर भागने की कोशिश करता ही है, की छलिया चुड़ेल उपर शत से रेंगते हुए , सुरंग के मुह के सामने आकर खड़ी हो जाती है, और गाँव वालों से कहती है, सब को मार डाला मैंने, बस ये आखरी बचा है, इसके बाद में पूरे गाँव को निगल जाऊंगी, और मूढ़ कर हितेन की तरफ बड़ने लगती है, हितेन हार मान के नीचे गिर जाता है, और अपने आप को छलिया को सौप देता है, छलिया उसके सामने आकर जैसे ही उसका खून पीने के लिए उसे काटने जाती है, की स्वामी जी सुरंग के अंदर aajate है, और मंदिर की पवित्र धुनि को अभिमंत्र कर उस छलिया पर डाल देते हैं, छलिया दूर जाकर गिर जाती है, और हितेन को गाँव वाले आकर बाहर ले जाते है, छलिया स्वामी जी से कहती है, चले जा यहाँ से वर्ना तुझे भी खाजाऊंगी, और वो भी वार करती है, उन दोनों में काफी देर तक लढाई होती है, आखिर में जीत अच्छाई की होती है, स्वामी जी उसे फिरसे उसी हांडी में बांध देतें है, और सुरंग की आखरी छोड़ उसी जगाह पर रख आते हैं, जहाँ उनके पिताजी ने छलिया को बांध कर रखा था, बाहर आने के बाद स्वामी जी गाँव वालों से उस सुरंग को हमेशा हमेशा के लिए बंद करने के लिए कहतें है, सारे गाँव वाले साथ मिलकर उस सुरंग को रातों रात बंद कर देते हैं,!

लालच, ने हितेन से उसके दोस्त छीन लिए, और वो खुद मौत के मुह से वापस आया सागर के मा बाबा ने अपना इक्लोता बेटा खो दिया , सोनू  बे मौत मारा गया!

, शोर्ट कट से पैसा बनाने की चाह में, रातों रात अमीर बनने के ख्वाब ने जाने कितने घर उजाड़ दिए हैं, 🙏🏻


14 जून 2022

Sunny Mhadhwani

Sunny Mhadhwani

14 जून 2022

Thanks काव्या mam 🙏🏻

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रचनाएँ
छलिया चुड़ेल
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ये कहानी है एक ऐसी चुड़ेल की जो बला की खूबसूरत दिखाई देती थी उसकी आँखे काली काली जिसको देख कर लोग उसकी आँखों में डूब जाया करते थे ,सुंदरता ऐसी थी की जो उसे देखकता था ,उसके हुस्न का कायल हो जाता दीवाना हो जाता उसपर मर मिटने को उतारू हो जाया करता था, अपने हुस्न के जाल में उसने कई लोगों फसाकर कर उनका शिकार किया था, थी तो वो हजारों वर्ष पुरानी चुड़ेल उसका हुस्न उसका रूप रंग सब एक छलावा था, उसका असली रूप तो बेहद घिनोना और डरावना था, जिसको देख सांस तक हलक में अटक जाती थी, उस चुड़ेल के अपने हुस्न की सुंदरता में फसाके लोगों का शिकार करने प्रकार को जान कर देख कर गाँव के लोगों ने उस चुड़ेल का नाम( छलिया)  छलिया चुड़ेल रख दिया था! छलिया मौत का दूसरा नाम! आइये कहानी को आगे ले चलते हैं
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छलिया चुड़ेल

10 जून 2022
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ये कहानी है एक ऐसी चुड़ेल की जो बला की खूबसूरत दिखाई देती थी उसकी आँखे काली काली जिसको देख कर लोग उसकी आँखों में डूब जाया करते थे ,सुंदरता ऐसी थी की जो उसे देखकता था ,उसके हुस्न का कायल हो जाता दीवाना

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आंवस्या वो काली अंधेरी रात १

15 जून 2022
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शहर से बाहर जाने वाले रास्ते पर एक ढाबा था। शहर से अच्छी खासी दूरी पर वो ढाबा था, तक्रिबंन १५ किलोमीटर की दूरी पर था , विक्रांत - विक्रांत ढाबा, ढाबे का नाम था। आने जाने वाले वाहन ट्रक आदि

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अमावस्या वो काली अंधेरी रात २

15 जून 2022
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आखिर मुरलीधर जी अचानक कहाँ गायब हो गए। आइये आगे कि रचना में देखतें हैं अब आगे,,,,,,,, अमर मुरलीधर जी को वहाँ ना पाकर और भी ज्यादा घबरा गया था। और इधर उधर मुरलीधर जी को खोजते हुए आवाज लगा रहा

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