shabd-logo

डॉ० पवनेश ठकुराठी के बारे में

डॉ. पवनेश ठकुराठी का जन्म देवभूमि उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जनपद में हुआ। आपके पिता का नाम महेंद्र ठकुराठी और माता का नाम नंदेश्वरी ठकुराठी है। डॉ० पवनेश ने अध्ययन में अभिरुचि होने के कारण कुमाऊँ विश्वविद्यालय से हिंदी, इतिहास, राजनीति विज्ञान व संस्कृत सभी विषयों से प्रथम श्रेणी में स्नातकोत्तर की परीक्षाएँ उत्तीर्ण कीं। आपने कुमाऊँ विश्वविद्यालय से ही बी.एड. और पीएच.डी. (हिंदी) की उपाधियाँ भी हासिल की हैं। साथ ही पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा भी उत्तीर्ण किया है। वर्तमान में आप शिक्षण कार्य में संलग्न हैं। डॉ. पवनेश में बचपन से ही साहित्य के प्रति गहन अभिरूचि थी। यही कारण है कि अब तक आपकी हिंदी और कुमाउनी में कुल 25 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। कुमाउनी में साहित्य की नवीन विधाओं में पुस्तकें लिखने के साथ ही आपने हिंदी में कविता और समालोचना विधाओं पर पुस्तकें लिखी हैं। आपकी 500 से अधिक रचनाएँ विशेषकर शोध आलेख, निबंध, कविताएँ, कहानियाँ आदि अनेक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। दूरदर्शन देहरादून व आकाशवाणी अल्मोड़ा से आपकी कविताओं, कहानियों व वार्ताओं का प्रसारण होता रहता है। आपने कुमाउनी मासिक पत्रिका ’पहरू’ के ’युवा विशेषांक’, ’युवा कहानी विशेषांक’, ‘लोकगायक पप्पू कार्की विशेषांक’, प्रसिद्ध लोकगायक प्रहलाद मेहरा के लोकगीतों का ’म्यर सदाबहार लोकगीत’ और हिंदी के कवियों का 'कविता बोलती है' नाम से संपादन किया है। आपने पहली कुमाउनी मासिक ई-पत्रिका ’प्यौलि’ का और देश भर के 100 हिंदी कवियों की पर्यावरण पर केंद्रित कविताओं का ’हरितिमा’ ई-पुस्तक के रूप में संपादन भी किया है। आपको यूजीसी जूनियर रिसर्च फैलोशिप अवार्ड प्राप्त हो चुका है। हिंदी व कुमाउनी में लेखन हेतु अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय, राज्य स्तर पर आपकी 50 से अधिक रचनाएँ

पुरस्कार और सम्मान

prize-icon
दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-06-25

डॉ० पवनेश ठकुराठी की पुस्तकें

एक फौजी की प्रेम कहानी

एक फौजी की प्रेम कहानी

'एक फौजी की प्रेम कहानी' प्रेम कहानी संग्रह है। इस कहानी संग्रह में प्रेम के संयोग और वियोग दोनों पक्षों का मार्मिक चित्रण हुआ है। इस कहानी संग्रह में कुल 10 प्रेम कहानियाँ हैं। ये प्रेम कहानियाँ क्रमशः हमसाया, नीली साड़ी वाला चांद, एक असफल प्रेमी की

20 पाठक
10 रचनाएँ

निःशुल्क

एक फौजी की प्रेम कहानी

एक फौजी की प्रेम कहानी

'एक फौजी की प्रेम कहानी' प्रेम कहानी संग्रह है। इस कहानी संग्रह में प्रेम के संयोग और वियोग दोनों पक्षों का मार्मिक चित्रण हुआ है। इस कहानी संग्रह में कुल 10 प्रेम कहानियाँ हैं। ये प्रेम कहानियाँ क्रमशः हमसाया, नीली साड़ी वाला चांद, एक असफल प्रेमी की

20 पाठक
10 रचनाएँ

निःशुल्क

डॉ० पवनेश ठकुराठी के लेख

10. एक बिल्ले की प्रेमकथा

12 अगस्त 2023
2
2

"म्याऊँ... म्याऊँ.... बिल्लो रानी कहो तो अभी जान दे दूं...."- डब्बू बिल्ला पूसी बिल्ली को मनाने के लिए यह गीत गा रहा था, लेकिन पूसी पर गीत का कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा था...

9. उम्मीद

11 अगस्त 2023
0
1

बरसों से सहेजा ख्वाब,सूखे पत्ते-सा उड़ जायेगा। सोचा नहीं था, इक आंधी के झौंके-से,दो हंसों का जोड़ा बिछुड़ जायेगा...! आह ! इंदु.. तुम भी ना ! ऐसे, ऐसे कौन बिछुड़ता

8. एक पहाड़ी युवक की प्रेमकथा

10 अगस्त 2023
1
1

उसका चेहरा श्यामवर्ण है, लेकिन जब वह आती है; तो उसे लगता है कि वह गौरवर्ण हुआ जा रहा है। उसकी आंखें छोटे आकार की हैं, लेकिन जब वह आती है; तो उसे लगता है कि उसकी आंखें बड़ी ह

7. एक लड़की भीगी-भागी सी

9 अगस्त 2023
0
0

हजारों-लाखों बूंदें नहीं भिगा पाईं मुझे, लेकिन उसके पलकों से गिरी एक बूंद ने पूरी तरह भिगा दिया था मुझे....

6. एक फौजी की प्रेम कहानी

7 अगस्त 2023
0
0

मुझे भरोसा है अपने ईष्ट देव पर। वो एक दिन जरूर वापस आयेंगे। कुमाऊँ रेजिमेंट में भर्ती हुए अभी उनको पूरे ढाई साल भी नहीं हुए हैं और आर्मी वाले कहते हैं कि गायब हो गये...

5. चांद, आकाश और सूरजमुखी

3 जुलाई 2023
0
0

वियोग श्रृंगार की मार्मिक प्रेमकथा....

4. काउंटर नंबर 5

25 जून 2023
2
1

"आप, आप तो पिछली बार भी आये थे।""जी मैंम।""हां,तभी तो। कुछ याद जैसा आ रहा है।"थोड़ी देर चुप्पी...

3.एक असफल प्रेमी की प्रेमकथा

24 जून 2023
0
0

आज मैं पूरे बत्तीस साल का हो गया हूँ। साथ-ही- साथ एक अकलमंद और सयाना लौंडा भी। इसलिए आज मैं पूरे होशो-हवास में यह निर्णय ले रहा हूँ कि आज के बाद मैं किसी कुंवारी लड़की की तरफ आंख उठाकर भी नहीं देखूंग।

2. नीली साड़ी वाला चाँद

24 जून 2023
0
0

जब मैं छोटा बच्चा था तो रात को मां से चांद दिखाने की जिद किया करता था। माँ मना करती तो मैं रोने लगता था। मजबूर होकर माँ को चांद दिखाने मुझे छत पर ले जाना पड़ता था...

1. हमसाया

24 जून 2023
0
0

"तुम ! यहाँ भी।""हाँ, बिल्कुल ! जहाँ तुम, वहाँ मैं।""अच्छा, ऐसा है क्या ?"" बिल्कुल, तुम्हारा हमसाया जो हूँ।""चुप पागल !"और ऐसा कहते ही वह खिल उठी। सूरजमुखी नहीं थी वह और न था वह सूरज...

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए