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दीपिका तिवारी की डायरी

दीपिका तिवारी

6 अध्याय
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deepika tiwari ki dir

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पुस्तक के भाग

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माँ

17 दिसम्बर 2017
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जब हो मन उदास,जवाबों की हो तलाश, बिन पूछे ही प्रश्नो के उत्तर दे जाती है माँ | न जाने कैसे सब ,जान जाती है माँ ?मेरी हर परेशानी,आँखों से ही जान जाती,बस यही एक प्रश्न बेजवाब छोड़ जाती है माँ ,कि क्यों सब कुछपहचान जाती है माँ?भावनाओं पर हो प्रहार,या हो ज

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माँ

17 दिसम्बर 2017
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जब हो मन उदास,जवाबों की हो तलाश, बिन पूछे ही प्रश्नो के उत्तर दे जाती है माँ | न जाने कैसे सब ,जान जाती है माँ ?मेरी हर परेशानी,आँखों से ही जान जातीबस यही एक प्रश्न बेजवाब छोड़ जाती है माँ ,कि क्यों सब कुछपहचान जाती है माँ?भावनाओं पर हो प्रहार,या हो जा

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नव वर्ष की शुभकामना

24 जनवरी 2018
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नए वर्ष का नया ये गीतमिलकर बांटे सबको प्रीत |आपस में अब सौहार्द बढ़ाये गीत सभी अब अमन के गाएँ | जीवन में रस ख़ुशी के घोलें सबसे मीठी बानी बोलें |कष्ट सभी के हो सके दूर मानवता सबमे हो भरपूर |झगड़े झं

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मेरा दोस्त

25 मार्च 2018
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पहले आँगन में रहता था, अब खिड़की पे आता है।मुस्का के अपना उजला मुखड़ा कुछ यूँ दिखलाता है।देख के उसको खुश होती, मैं हौले से मुस्काती हूँ।झटपट सीढ़ी चढ़कर छत पर मैं आ जाती हूँ।प्यारी प्यारी बातें करता, कितना मुझे हँसाता है।परेशानी में देख मुझे वह अच्छे से समझाता है।।अपने मन की सारी दुविधा मैं उससे साझा कर

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माँ भारती की आरती

15 अगस्त 2018
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माँ भारती की आरती, हम यूँ सदा गाते रहे।चरणों में अपनी माँ के, हम शीश झुकाते रहे।।है मन में इक आस, कि बढ़ता रहे विश्वासप्रेम की धारा दिलों में, हम सदा बहाते रहे।माँ भारती की आरती, हम यूँ सदा गाते रहे।।खेतों में हो हरियाली, चहुँओर हो खुशहाली फूल खुशियों के हम, सदा ही उगाते रहे।माँ भारती की आरती, हम यूँ

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वीरों का बसंत

19 फरवरी 2019
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वीरों का कैसा हो बसंत, कभी किसी ने बतलाया था।पर ऐसा भी बसंत क्या कभी सामने आया था?फूली सरसों मुरझाई है, मौन हुआ हिमाचल है।धरा-व्योम सब पूछ रहे, ये कैसी हलचल है?माँ भारती हुई आतंकित, कुत्सित कुटिल प्रहारो से।स्वर्ग भूमि है नर्क बनी अब, विस्फोटों से अंगारों से।।युद्ध भूमि में नहीं थे वे, जब मौत सामने

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