दीवानगी इश्क की इस कदर छाई ,
ख़ुद ही ख़ुद से बेख़बर हो गए.
बेख्याली में भी ख्याल उनका रहा,
ख़्याल ख़ुद के से बेख़्याल हो गए.
ख़ुद की जिंदगी भी उनकी हो गई,
जिस्म तो है पर रूह नदारद हो गई.
दिल धड़कता तो है मेरे सीने में मगर ,
दिल की धड़कने उनके नाम हो गई.(आलिम)