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दिवाली में जलते हैं पैसे

13 नवम्बर 2023

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होती थी यह वर्षों पहले

जब दिवाली में जलते थे दिये

पर अब चाहे हो जैसे

दिवाली में जलते हैं पैसे

छोड़ते हैं बम-पटाखे

और छोड़ते हैं रॉकेट

फैलाते है प्रदुषण

बढ़ाते हैं बीमारी

चाहे हो जैसे

पर दिवाली में जलते हैं पैसे

दिवाली में दिये अब जलते नहीं

दिये के स्थान पर है अब मोमबत्ती

मोमबत्ती का स्थान भी ले लिया अब बिजली

बिना बिजली के नहीं होता अब दिवाली

पर आपस में खुशियां बाँटने के जगह

खेलकर जुआ करते हैं पैसे की बर्बादी

चाहे हो जैसे

पर दिवाली में जलते हैं पैसे

दिवाली में जलते हैं पैसे

- महेश कुमार वर्मा

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महेश की कविता
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इस पुस्तक में महेश कुमार वर्मा द्वारा लिखित कविताओं का संकलन किया गया है।

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