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दुर्मिल सवैया

3 अक्टूबर 2021

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मृद मोहक देख छटा हरि की मन मोह गया बन चातक सा
सुध खोय गई रस पान किया जब माधव के उर लोचन का
मन कोकिल कूक पड़ा दधि पीकर कृष्ण मनोहर मानस का 
छवि देख मनोहर पावन की हिय हार गई वृषभान सुता 

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