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ए बदरी

30 मई 2022

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सुखि गइलें पोखरा आ जर गइलें टपरी , ए बदरी ।

कउना बात पे कोहाइ गइलू ए बदरी ।

देखा पेड़वा झुराई गइलें ए बदरी ।


बनरा के पेट पीठ एक भइलें घानी ।

कहा काहें होत बाटे राम मनमानी ।

गोरुअन के बेटवा क पेटवा ह खपरी , ए बदरी ।

कउना बात पे कोहाइ गइलू ए बदरी ।

देखा पेड़वा झुराई गइलें ए बदरी ।


संझवा बिहनवा में कमवा न सपरी ।

होते दुपहरिया भुजाई जालीं मछरी ।

नदिया में अगिया लगाई देलु जबरी , ए बदरी ।

कउना बात पे कोहाइ गइलू ए बदरी ।

देखा पेड़वा झुराई गइलें ए बदरी ।


करकेला मनवा मसकी जाला देहियां ।

रोवलो न जाला की मसान भइल अंखिया ।

लोरवा बहाईं ना सहाई आंख कजरी , ए बदरी ।

कउना बात पे कोहाइ गइलू ए बदरी ।

देखा पेड़वा झुराई गइलें ए बदरी ।


सियरा हथिनिया आ बघवा के बात बा ।

तोहके बोलावे ला ई बनवा छोहात बा ।

मेघवा बोलावें त अमांय जालु गगरी , ए बदरी ।

कउना बात पे कोहाइ गइलू ए बदरी ।

देखा पेड़वा झुराई गइलें ए बदरी ।


बोला काहें भकुआय गइलू ए बदरी ।

देखा पेड़वा झुराई गइलें ए बदरी ।


✍️ धीरेन्द्र पांचाल

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