shabd-logo

एक दृष्टि 'गरीबी में डॉक्टरी'

4 अप्रैल 2022

55 बार देखा गया 55

दो माह की मेहनत के बाद आखिर पेड पुस्तक लेखन प्रतियोगिता की विजेता बनकर मेरी १० कहानियों का संग्रह पेपर बैक में प्रकाशित होने जा रहा है, तो मन में ख़ुशी है, एक उत्सुकता है। यह प्रतियोगिता यद्यपि सरल तो नहीं थी, क्योंकि इसमें पुस्तक खरीदना का सवाल था, लेकिन मैं शब्द.इन टीम के साथ ही उन सभी पाठकों का जिन्होंने मेरी पुस्तक को ऑनलाइन खरीदकर मुझे विजेता बनाने में अहम् भूमिका निभाई, उन सभी का मैं हृदय से आभारी हूँ। मुझे विश्वास है कि मेरी इस पुस्तक को जो भी पाठकगण ऑनलाइन या ऑफलाइन खरीदेंगे, वे निराश नहीं होंगे, क्योंकि इसमें हमने विविध विषय लेकर कहानियाँ रचाई-बसाई हैं। संक्षेप में सभी कहानियों के बारे में जानकारी प्रस्तुत है।     

पहली कहानी 'शहर का मोहजाल' में आप देखेंगे कि कैसे गाँव का एक गरीब नौनिहाल शहर से लौटे अपने मित्र की शहरी चकाचौंध से प्रभावित होकर शहर का रुख तो कर देता है, लेकिन उसे शहर की हवा रास नहीं आती है और वह अपने गाँव वापस आकर सुकून महसूस करता है।  

दूसरी कहानी ''मान-सम्मान पर बट्टा' में आप बेटी के कारण दुःखी एक प्रतिष्ठित व्यक्ति की मनोदशा का चित्रण देखेंगे, जो आपको समाज की कसौटी पर बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करेगा। 

तीसरी कहानी 'लालच का बीज' में बुरे मित्रों के कारण कैसे एक भोला गरीब बच्चा उनकी बातों में आकर गांव की एक बुढ़िया के घर उसके पैसे हड़पने भेष बदलकर जाता है और फिर बुढ़िया की सूझ-बूझ से जब वह पकड़ा जाता है, तो वह चकमा देकर शहर भाग जाता है, जहाँ उसे अपनी भूल का पछतावा होता है। 

चौथी कहानी 'शहर में मदारी-जंबूरे की जुगलबंदी' का शीर्षक पढ़कर ही आपको बहुत कुछ समझ आ गया होगा। इस व्यंग्यात्मक कहानी में आप हँसेंगे भी और अवसरवादी मुखौटों को भी देख पायेगें।   

पांचवी कहानी 'सरकारी नौकरी का भ्रमजाल' में आप देखेंगे कि कैसे एक प्रायवेट नौकरी वाला सरकारी नौकरी करने वालों की सुख-सुविधाओं से प्रभावित होकर उसे पाने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार बैठा रहता है, लेकिन उसे नहीं मालूम होता है सबकी किस्मत एक जैसे कहाँ होती है?      

छठवीं कहानी 'राजकुमार- तू अपने और मैं अपने घर का ' एक ऐसे सपेरे की कहानी है, जो सांप का खेल दिखाने पर लगे कानूनी प्रतिबंध के कारण काम-धंधा नहीं होने पर अपने पोते और उसके एक कुत्ते के पिल्ले को लेकर यह सोचकर शहर जाता है कि वह शहर जाकर खेल-तमाशा दिखाकर कुछ कमा-धमा लेगा, लेकिन उसे शहर में कैसे-कैसे लोग मिले, यह सब आप स्वयं देखकर बहुत कुछ सोचने पर मजबूर होंगे। 

सातवीं कहानी 'लड़ाकू मैनेजर साहब ' का शीर्षक देखकर ही आप स्वयं समझ गए होंगे कि यहाँ आपको एक ऐसा व्यक्ति मिलने वाला है, जिसका ऑफिस में एक दिन भी बिना लड़ें -झगडे खाना नहीं पचने वाला,अब ऐसे में ऑफिस में उनके मातहतों का क्या हाल होता होगा, इसे जानने के लिए आपको कहानी तक पहुंचने की जरुरत होगी।  

आठवीं कहानी 'जैसे को तैसा' में आप तीन सौतेले भाइयों की कहानी पढ़ेंगे, जिसमें एक माँ के जने दो भाई अपने सौतेले भाई और उसकी माँ पर बहुत चालें चलकर जुल्म ढाते हैं, लेकिन अंत में वे अपनी चालों में कैसे फँस जाते हैं, इसके लिए आपको कहानी तक पहुंचना होगा। 

नौवीं कहानी 'राजपाट का खेल' में आप एक राजा से उसका राजकाज हड़पने के लिए महामंत्री और मुख्यमंत्री की चालें देखेंगे, जहाँ आप आज के समय की सियासी चालें करीब से अनुभव कर सकेंगे।   

अंत में दसवीं कहानी 'गरीबी में डाॅक्टरी ' मेरी मुख्य कहानी है, जिसे मैं इस संग्रह की रीढ़ की हड्डी समझती हूँ। इस कहानी को यदि मैं कहानी के स्थान पर 'संघर्ष गाथा' कहूँ तो अधिक न्याय संगत होगा। क्योंकि यह एक ऐसे फटेहाली में जीते गुदड़ी की लाल की संघर्ष की पराकाष्ठा है, जिसने अपने बचपन से देखते आये 'डॉक्टर बनने के सपने' को अपनी घोर विपन्नता, अधकचरी शिक्षा, रूढ़िवादी सोच, सामाजिक विडंबनाओं और तमाम सांसारिक बुराइयों को ताक में रखकर शासन-प्रशासन तंत्र के व्यूह रचना को भेद कर अपने कठोर परिश्रम, निरंतर अभ्यास, सहनशील प्रवृत्ति और सर्वथा विकट परिस्थितियों में अदम्य साहस व दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर साकार कर दिखाया, ऐसा लाखों में से कोई एक ही देखने को मिलेगा। इसलिए इस 27 वर्ष तक अकल्पनीय, अविश्वसनीय 'मानसिक श्रम' करने वाले गुदड़ी के लाल को यदि मैं 22 वर्ष तक 'शारीरिक श्रम' करने वाले 'दशरथ मांझी' से भी बड़ा मांझी कहूँगी तो कहानी पढ़कर आप स्वयं कहेंगे कि सच में यह कोई अतिश्योक्ति वाली बात नहीं हैं।  

इस पुस्तक के बारे में आपके विचारों की प्रतीक्षा रहेगी। 

गीता भदौरिया

गीता भदौरिया

आपको बहुत शुभकामनाएं कविता जी

4 अप्रैल 2022

15
रचनाएँ
दैनंदिनी (कुछ इधर-उधर की) अप्रैल 2022
5.0
आप इस पुस्तक के माध्यम से मेरे आस-पास की कुछ इधर-उधर की नई-पुरानी घटित घटनाओं से दो-चार होंगे।
1

कुछ ऐसा हो नववर्ष हमारा

2 अप्रैल 2022
5
3
1

आज हमारा नववर्ष है इसलिए सबसे पहले सबको हार्दिक शुभकामनाएं। नए वर्ष के लिए कुछ लिखने की उधेड़बुन में बहुत से ख्याल मन में आये लेकिन कुछ अच्छा नहीं लगा तो फिर सोचा क्यों न कुछ जरुरी सबक लिखती चलूँ-   

2

एक दृष्टि 'गरीबी में डॉक्टरी'

4 अप्रैल 2022
6
1
1

दो माह की मेहनत के बाद आखिर पेड पुस्तक लेखन प्रतियोगिता की विजेता बनकर मेरी १० कहानियों का संग्रह पेपर बैक में प्रकाशित होने जा रहा है, तो मन में ख़ुशी है, एक उत्सुकता है। यह प्रतियोगिता यद्यपि सरल तो

3

पैसे से सुकून नहीं खरीदा जा सकता है

5 अप्रैल 2022
2
1
0

शब्द.इन की पेड पुस्तक लेखन प्रतियोगिता (फरवरी- मार्च २०२२) विजेता बनने पर कई परिचित मुझसे एक ही सवाल पूछते हैं कि पुरस्कार में कितनी राशि मिली है। उनके लिए प्रतियोगिता का मतलब पुरस्कार में अच्छी-खासी

4

शराबबंदी की राजनीति

6 अप्रैल 2022
2
0
0

इन दिनों देश के एक प्रदेश में शराब पर राजनीति का घमासान मचा है। इसके एक छोर पर एक पूर्व मुख्यमंत्री हैं, जिनका मानना है कि शराब गरीबों के घर उजाड़ रहे हैं, इसलिए वर्तमान सरकार को शराब पर पूर्ण प्रतिबंध

5

लापरवाह लोग प्रकृति को भी दुःख देते हैं

8 अप्रैल 2022
3
2
0

गर्मी आती है तो सुबह-सुबह घूमना-फिरना लगभग हर दिन का एक जरुरी काम हो जाता है। हमारा हर दिन घूमना मतलब से सीधे श्यामला हिल्स पर स्थित जलेश्वर मंदिर तक यानि मतलब 'मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक' वाली है। क

6

श्रीराम के आदर्श शाश्वत हैं और जीवन मूल्य आज भी प्रासंगिक हैं

10 अप्रैल 2022
2
1
0

जब मंद-मंद शीतल सुगंधित वायु प्रवाहित हो रही थी, साधुजन प्रसन्नचित्त उत्साहित हो रहे थे, वन प्रफुल्लित हो उठे, पर्वतों में मणि की खदानें उत्पन्न हो गई और नदियों में अमृत तुल्य जल बहने लगा तब- नवमी ति

7

महावीर- आम्बेडकर दिवस विशेष

14 अप्रैल 2022
3
0
0

आज दो पुण्य आत्माओं की जयंती हैं। इसलिए आज की दैनंदिनी उनके नाम है।   डाॅ. आम्बेडकर- एक ऐसे महापुरुष जो दलितों के मसीहा थे जिन्हें सारा संसार डाॅ. आम्बेडकर के नाम से जानता है। जिन्होंने अपने आदर्शो

8

भक्ति और शक्ति के बेजोड़ संगम हैं हनुमान

16 अप्रैल 2022
1
0
0

चैत्रेमासि सिते मक्षे हरिदिन्यां मघाभिधे। नक्षत्रे स समुत्पन्नो हनुमान रिपुसूदनः।। महाचैत्री पूर्णिमायां समुत्पन्नोऽञ्जनीसुतः। वदन्ति कल्पभेदेन बुधा इत्यादि केचन।।  अर्थात्-चैत्र शुक्ल एकादशी के द

9

जितनी ज्यादा अपेक्षा उतना दुःख होता है

20 अप्रैल 2022
2
1
1

आज शाम जैसे ही ऑफिस से घर पहुँची तो आँगन में देखा कि पड़ोस में रहने वाली अम्मा अपने नाती पर बुरी तरह बिगड़ रही थी। मेरे पूछने पर जमीन पर बिखरे मटके के टुकड़ों की ओर इशारा करते हुए बोली कि 'अभी-अभी एक मटक

10

उफ़ ये आजकल के बच्चे भी न

25 अप्रैल 2022
3
1
1

आज सुबह जब उठकर हाथ-मुँह धोकर के बाद चाय पीने जा रही थी तो उसी समय हमारे एक परिचित पति-पत्नी शादी का कार्ड लेकर आये। कहने लगे कि लड़के की शादी का रिसेप्शन है, जरूर आना। मेरे पूछने पर कि शादी में

11

टेढ़ी खीर है हिन्दी ब्लॉगिंग से कमाई करना

26 अप्रैल 2022
3
1
0

मैं वर्ष २००९ से ब्लॉगिंग करती आ रही हूँ। प्रारंभ में हिंदी लिखने में बड़ी कठिनाई आती थी। लेकिन धीरे-धीरे इसके जानकारों से ब्लॉग पर चर्चा और ईमेल द्वारा पूछ-पूछकर सीखते चले गए। हमने अपना ब्लॉग घर

12

शादी और रिश्तेदारी की बातें

27 अप्रैल 2022
0
0
0

आजकल हर एक-दो दिन बाद किसी न किसी के शादी का न्यौता है। अब शादियों की बात निकली है तो बताती चलूँ कि अभी दो दिन पहले मेरी एक सहेली के बेटे की बारात में खूब मौज-मस्ती, नाच-गाना करके फिर अपनी दुनिया में

13

गर्मियों के दिन और बच्चों की परीक्षा

28 अप्रैल 2022
1
0
0

आजकल गर्मी ने घर-बाहर सभी जगह लोगों का हाल-बेहाल कर रखा है। वसंत के बाद गर्मी शुरू होते ही मंद-मंद चलने वाली हवाएं साँय-साँय कर लू का रूप धारण कर तन को झुलसाने बैठ जाती है। गर्मी में मनुष्य तो छोडो, ध

14

हम और हमारा स्वच्छ सर्वेक्षण

29 अप्रैल 2022
1
1
1

हर दिन सुबह-सुबह नगर निगम की कचरे ढ़ोने वाली गाड़ी लोगों के घरों से कचरा उठाने आती है और स्वच्छता के प्रति जागरूक करते हुए यह गाना जरूर सुनाती है कि- झीलों का शहर भोपाल अपना जन्नत की तरह है घर अपना, 

15

हाय ! बुढ़ापा आया पास उसके कोई नहीं फटकते

30 अप्रैल 2022
1
1
1

आज कुछ मन खट्टा हुआ तो दैनंदिनी के लिए इतना ही कि - बचपन में वह कभी रोता-हँसता कभी उछल-कूद करता कभी खेल-खिलौने छोड़ किसी चीज की हठ कर बैठता उछल-उछल कर सबको विचित्र करतब दिखलाता हँस.-हँस, हसाँ-हसा

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए