एक मां एक और एक बहन ये दोनो चीजे हमारी जिंदगी मैं बोहत ही ज्यादा अहिम्यत रखती है क्युकी हमारे पिताजी का मृत्यु हो जाने के बाद यही दोनो चीजे थी जिन्होंने हमको हमेशा संभाल के रखा और इन्ही के आशीर्वाद से और इन्ही की कृपा से मैं आगे जीता चला गया मेरा नाम भार्गव है यूं तो मैं गुजरात के एक छोटे से शहर सुरत में रेहता हु वैसे केहने को ये शहर छोटा है लेकिन कुछ लोग बिहार और उतर प्रदेश से सिर्फ यहाँ पर काम करने के इरादे से भी आते है और कुछ लोग कमाने के इरादे से भी यहां पर आते है और मैं इस छोटे से शहर मैं अपनी मां के साथ रहता हु और हमारे घर में सिर्फ हम तीन लोग ही रहते है एक मैं और एक मेरी मां और मेरी एक बड़ी बहन बड़ी। बहन तो मेरे साथ स्कूल मैं पढ़ती थी और हमारे घर का सारा बोज मेरी मां के कंधो पर ही था क्युकी पापा थोड़े साल पहले ही कैंसर की वजह से मर गए थे और उसके बाद घर का सारा खर्चा और सारा बोझ मेरी मां के कंधो पर ही आ गया था और और फिर मेरा और मेरी बहन का स्कूल का खर्च भी मेरी मां ही अकेली उठाती थी और फिर मेरा और मेरी बहन का टाइम सुभा स्कूल से शुरू होता था और दोपहर को खतम हो जाता था उसके बाद मैं और मेरी बहन हमदोनो घर पर मां का हाथ बटा दिया करते थे ताकि उनकी भी थोड़ी मदद हो जाए मेरी मां घर पर ही शिलाई मशीन का काम करती थी और उससे मेरी मां लोगो के ब्लाउस और अन्य कही सारी चीज़ें बनाकर महीने के ७ ८००० कमा लेती थी और उससे हमारा घर और मेरे और मेरी बहन का पढ़ाई का खर्चा भी निकल जाता था