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मेरे शेर।

28 जनवरी 2022

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1. 

आ चले वहां जहां कोई ना हो जान पहचान में।
थोड़ा सा वक्त बिताते हैं साथ किसी शमशान में।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

2.

मैं दुआए बेचता हूँ इस जहान में।
खुदा ने बड़ी शिफा दी है मेरी ज़बान में।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

3.

तन्हा जीने की सोचता हूं,
तो कौन सा गुनाह करता हूँ।

मत करो बातें मोहब्बत की,
मैं इश्क़ में अकीदा ना रखता हूँ।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

4.

एक बार हमसे मिलने आओ तो सही।
खुद ही बदनाम हो जाओगे चलकर मेरी गली।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

5.

यह उसने क्या कर दिया है।
सुना है बेहिस ने इश्क़ कर लिया है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

6.

यह उसने क्या कर दिया है।
सुना है बेहिस ने इश्क़ कर लिया है।।

मालूम तो है ना उसको इश्क़ का अंजाम।
या उसने यूँ ही इसका आगाज़ कर दिया है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

7.

आ दिल उनसे प्यार करते है।
मोहब्बत में आँखें चार करते है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

8.

यूँ हंसकर तुमनें हमको अदा से मारा।
अब तुम ही बताओ कातिल कौन हुआ हमारा।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

9.

देखो तो हमारा यार चल दिया है
इस ज़माने से।
रोका तो बहुत पर वह ना रुका है
मेरे मनाने से।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

10.

सारी ही उम्र उनकी खुशियां की खातिर जो
जीते है।
वही माँ बाप अपने सीने में औलाद का गम
सीते है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

11.

पीने में तुम क्यों इतना हिसाब लगाते हो।।
ये जाम है जाम में क्यों दिमाग लगाते हो।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

12.

गर मैखाने जाते है तो कुछ ना दिल में रखते है।।
यह तेरी ही मोहब्बत का गम है जो हम पीते है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

13.

अब तुमको क्या बताये यह हाल ए ज़िन्दगी।
कि हम घुट-घुट के उनके बगैर कैसे जीते है।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

14.

क्या कहते हो कि वह मर गया है।
अभी कुछ वक्त पहले ही तो मेरे साथ पी रहा था।।
ज़िंदगी का भरोसा ना रह गया है।
कुछ वक्त पहले ही वह इंसां खुद को जी रहा था।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

15.

वह अब कलमा नही है पड़ता काफ़िर हो गया है।
शायद उसका अकीदा अब शैतान पर हो गया है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

16.

जी भर कर रो भी ना पाए हम उनसे लिपट कर।
देखो जनाजा बन कर मेरा महबूब चल दिया है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

17.

सोचा था मरकर खुदा के घर में हमको सुकून मिलेगा।
पर यहां तो लम्बा हिसाब किताब होता है ज़िन्दगी का।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

18.

उनको हमेशा ही हमसे शिकायत रहती है कि हम जाने क्यों हँसते नहीं है।
पर उन्हें ना पता है क्या होता है जब ज़िन्दगी में मिले जख्म भरते नहीं है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

19.

जा हमनें खुदा से तेरी खैर मांग ली।
यूँ भी किसी से इश्क़ किया जाता है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

20.

दुश्मनी का क्या रखते हम हिसाब किताब।
ज़िन्दगी ने ही हमारी हमको धोखा दे दिया।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

21.

सितारा हमेशा हमारा गर्दिशों में रहा है।
वो बात और है कि हमनें जताया नहीं कभी।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

22.

तुम बात करते हो महरुमियों की अपनी।
यहां तो सारा बचपन ही हमने अनाथों सा गुजारा है।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

23.

कभी तुम मिलो इत्मिनान से हमसे बताएगें सब।
कि किस किस ने कैसे हमको बेवजह ही सताया है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

24.

तुम बात करते हो इन महरुमियों की अपनी।
यहां तो सारा बचपन ही हमने अनाथों सा गुजारा है।।
कभी मिलो इत्मिनान से हमसे बताएगें सब।
कि किस किस ने कैसे हमको बेवजह का सताया है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

25.

जा तेरे ख़ातिर हम सारा इल्ज़ाम अपने सर लेते है।
मोहब्बत में ऐसे भी चाहने वाले बर्बाद हुआ करते है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

26.

माँ जो हमारें बारे में पूंछे तो सबकुछ ही खैरियत है कह देना।
और कुछ बताकर उसकी आंखों में कहीं अश्क़ ना दे देना।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

27.

कुछ सुकून के पल चुराकर लाया हूं
ज़िन्दगी के लिए।
आ कहीं बहुत दूर चले साथ इनको
हम जीने के लिए।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

28.

दुनियां के बाजार में मुकद्दर भी बिकता है।
खरीदने की हैसियत हो तो सब मिलता है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

29.

बड़ी किस्मत से ये मौका मिला है शहीद होने का।
मेरा तो मतलब भी यही था यह ज़िन्दगी जीने का।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

30.

गरीब का मुकद्दर सरे-बाज़ार बिक रहा है।
खरीदने वाले जाने यूँ क्या-क्या खरीदतें है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

31.

वह देखो अपना सब बेचकर लडके को पढ़ा रहा है।
नादान है बड़ा,जो सहारे के लिए बेसहारा हो रहा है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

32.

बच्चे तो होते है माँ-बाप का जहान।
जैसे बसती है जादूगर की तोते में जान।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

33.

दिखने में वह लगता तो दरबान है।
पर यह कोठी असल मे उसी के नाम है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

34.

श्री हरि के अनेकों नाम है।
चारों ओर ही उनके धाम है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

35.

सबने पाया यह वरदान है !!
हर-जन के प्रभु श्रीराम है !!

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

36.

अगर कोई सख्स बीमार है।
तो शिफ़ा के लिए कुर्आन है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

37. 

करने को बड़े नेक काम है।
शवाबों का जन्नत ईनाम है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

38.

वह करता तो यूँ नेक काम है।।
ना जानें क्यूं इतना बदनाम है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

39.

हम पर आपके बड़े ही अहसान है।
तो हाज़िर आपके लिए हमारी भी जान है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

40.

गम की देखो हमारी हर एक शाम है।
पीना हमारा बस इसी का अंजाम है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

41.

वह देखो एक बच्चा वहां कब से रो रहा है।
जा करके देखो शायद वो कुछ कह रहा है।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

42.

तुमको मार देना था हमको जब मौका मिला था।।
पर अब हम नासूर बन जाएंगे तुम्हारे जख्मो का।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

43.

यूँ तो सवाल पूंछना बड़ा ही आसान होता है।
दिक्कतें तो तब है जब खुद ज़वाब देना होता है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

44.

वह दावा करता है इश्क को पहचानने का।
शायद उसने कहीं मोहब्बत का चेहरा देखा है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

45.

जबसे मुकद्दर से मिलना हुआ है।
हमने मुस्कुराना ही छोड़ दिया है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

46.

क्या उम्मीदे वफ़ा करे हम उनसे दिल।
जिसने पल भर में नाता तोड़ लिया है।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

47.

जबसे मुकद्दर से मिलना हुआ है।
हमने मुस्कुराना ही छोड़ दिया है।।

क्या उम्मीदे वफ़ा करे हम उनसे दिल।
जिसने हमसे हर रिश्ता तोड़ लिया है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

48.

खूब रोया दिल उनकी वफात पर।
वह आदमी ही था बड़ा कमाल का।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

49.

जबसे मिले हो बस बताते ही जा रहे हो।
कुछ हमसे भी पूंछो कि कैसे जी रहे हो।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

50.

उसने बाग बेंच दिया कुछ जरूरतों की खातिर।
ऐसे भी उजड़ जाते है देखो यहां परिन्दों के घर।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

51.

उम्मीदों का जलता हुआ चराग है।
क्या हुआ जो ज़िंदगी शिकस्ता हाल है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

52.

यह शुरुआती दौर है तुम्हारे इश्क का।
जी लो हसकर जितना जी सकते हो।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

53.

आज फिर तुम घर ना आये वक्त पर।
कुछ ना बोलना वरना बवाल रखा है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

54.

हर वक्त फिक्रमंद रहते है हम उनके।
पर उनको मेरे एक पल का ना ख्याल है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

55.

खामियों में कौन ना है दुनियां में।
यूँ तो फ़रिश्ते जमीं पर रहते नही है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

56.

मेरे बचपन को मारने वाले।
तेरा कारोबार ज्यादा चलेगा नहीं।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

57.

यूँ बच्चों से कारोबार चलते नहीं है।
नन्हें फरिश्तों से काम लेते नहीं है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

58.

मैं तो अपने दुश्मनों का कायल हूँ।
चलो कुछ लोग तो मिले जो हमसे
रंजिश रखते है।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

59.

हम कायल है अपने दुश्मनों के उनका भी एहतराम करते है।
चलो दुनिया मे कुछ लोग तो मिले जो हमसे रंजिश रखते है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

60.

हमको हमारे ही साये देखो घेरे है।
अबतो खुद से ही कुछ सवाल मेरे है।।

ये कैसी लगजिश है पूरे बदन में।
दो कदम चलना पैरों का मुहाल मेरे है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

61.

सोचते है हम भी मोहब्बत कर ले।
यह बताओ तुम्हारा क्या ख्याल है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

62.

तुम समझ ना पाओगे शिकार कहा से होगा।
शिकारी की आंखे लगी है वही पर शिकार जहाँ पर होगा।।
कुछ वक्त ठहरो खुद ही देख लेना नज़रो से।
उस मासूम का कैसे बिना किसी शोर के ही शिकार होगा।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

63.

कुछ दर्द ऐसे भी है जिनकी कोई दवा नहीं।
गर चाहते हो हमको तो थोड़ी दुआ कर दो।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

64.

हमको राहत मिल जाएगी अगर तुम चाहो।
तुम हमको चाहते हो दिल से इतना कह दो।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

65.

शोले पर जा गिरी शबनम पानी की बूंद बनकर।।
तुम भी समा जाओ मुझमे ऐसे ही रूह बनकर।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

66.

कुछ दर्द दुआओ से ही जाते है दवा से नहीं।
पर कुछ वक्त से मेरा वास्ता रहा खुदा से नहीं।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

67.

कुछ दर्द दुआओ से ही जाते है दवा से नहीं।
पर कुछ वक्त से मेरा वास्ता रहा खुदा से नहीं।।

तुम ही मेरे वास्ते करदो कुछ दुआ जिंदगीं में।
अब तुम्हारे सिवा मेरा कोई रहा सगा भी नहीं।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

68.

नगमा बनकर यूँ लबों पर सँवर जाऊंगा।
सुकूँन बनकर तेरी रूह में उतर जाऊंगा।।

मैं इंसान हूँ ज़िन्दगी में कोई फरिशता नहीं।
जितना भी होगा मुझसे मैं वो कर जाऊंगा।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

69.

जिंदगीं हो गयी है सवाल।
मैं इसका जवाब ढूढता हूँ।।

जो सुकून देदे नजरों को।
मैं वो बस ख़्वाब देखता हूँ।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

70.

फिरते हो क्यों मारे-मारे।
यूँ बन करके तुम बंजारे।।

जी ले आज ज़िंदगी को।
ना होंगें कल यह नज़ारे।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

71.

आ दिल उनसे प्यार करते है।
मोहब्बत में आँखें चार करते है।।

कुछ भी मिले ना मिले इसमें।
चल गमों को ही हज़ार करते है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

72.

हमको राहत मिल जाएगी अगर तुम चाहो।
गर हमको चाहते हो तो दिल से यह कह दो।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

73.

शोले पर गिरी शबनम बूंद ए आब बनकर।
तुम समा जाओ हममें रूह ए सुकूँ बनकर।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

74.

हम उनको पाने की खातिर हद से गुजर गए है,
मौका जब आया मिलने का तो वो मुकर गए है।

ऐसा भी कोई करता है क्या जो वह कर गए है,
ज़िंदगी में हमारी वो अब गुज़रे वक्त बन गए है।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

75.

जो पसन्द है उनको पीना,
तो पीने दो अगर वह यूँ पीते है।

समझेगा उनका खुदा उन्हें,
जी लेने दो अगर वह यूँ जीतें हैं।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

76.

इक वह है कि हमेशा ही गिला करते है।
उनसे कह दो यूँ अजीजे दिल ना मिला करते है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

77.

हम देखते रहे उसे जब तक वह ओझिल ना हो गया है।
ऐ दिल अब चल घर को तू भी काफी बोझिल सा हो गया है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

78.

सुना है ज़न्नत की चाभी तुम्हारे पास है।
क्या ले चलोगे हमें भी अपने साथ हमतो यूँ भी तुम्हारे खास है।।

अहसान मानेंगें तुम्हारा हम तमाम उम्र।
अगर दिखाओगे प्यारा नज़ारा हमको जो फिरदौस ए खास है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

79.

परिन्दें सारे यहाँ से उड़ गए है।
यादों में बस बागों के निशां रह गए है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

80.

जिस्मों से इश्क़ब्ज़ियाँ हो रही है।
मोहब्बत अपनी निशानियां खो रही है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

81.

सबको ही लगी शराब की तिश्नगी है।
पर देगा कौन जब दुकान ही बन्द पड़ी है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

82.

ज़िन्दगी में देखो नवाज़िश सी हो रही है।
दिल पर मेरे इश्क की बारिश सी हो रही है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

83.

गरीब की आह है दूर तक जाएगी।
बचना इससे ज़िन्दगी आफत बन जाएगी।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

84.

आज माँ की याद आ रही है।
मुद्दतों बाद खुशियाँ छा रही है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

85.

चलो उठो अब दीदार कर लो उनका।
ज़िन्दगी भर जिनके लिए तड़पे हो इतना।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

86.

तुम्हारे दिखावे के है ये सदके।
झूठें है तुम्हारे सारे खुदा के सज़दे।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

87.

परेशां ना हो तुम्हारी उधारी चुका के जायेंगें।
गर आ गयी मौत पहले तो उससे भी लड़ जायेंगे।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

88.

सीखा है हमने हंसने का यह हुनर दिक्कतों से।
जो मिलता नहीं कहीं ज़िन्दगी की लज़्ज़तों से।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

89.

लौटकर आएंगे वह परिन्दें जो उड़कर गए है।
बैठते कहाँ दरख्तों पर यूँ पत्ते भी ना रह गए है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

90.

तुमने ही हमको दी है ये नई ज़िन्दगी दोबारा।
हम हो गए है सर से पांव तक तेरे अहसान में।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

91.

हम उनको पाने की खातिर हद से गुजर गए है।
मौका जब आया मिलने का तो वो मुकर गए है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

92.

बड़ी खलिश है हमारी ज़िदगी के हर मौसम में।
हमारा हर मौसम दिल का लूटकर वह ले गए है।।

उनको चाहते चाहते हमने खुदा बना लिया था।
इश्क में पड़कर उनके हम काफ़िर से बन गए है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

93.

लौटकर आएंगे तुम्हारे पास,
जाने दो गर वह जिद करते है।
कहाँ मिलेगा तुमसा महबूब,
छोड़ दो गर मुश्किल करते है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

94.

तुमको ना लेना था यूँ अज्र,
ऐसा तो बस ज़ाहिल करते है।।
उनका मुतकबिल तो देखा,
वो दर्द को सीनों में सिलते है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

95.

मोहतरमा मत करो गुनाह,
वही करो जो खविंद कहते है।।
समझ लेगा उनको खुदा,
पीने दो उनको गर वो पीते हैं।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

96.

घेरे है हमको हमारे ही तन के साये।
अब खुद से ही खुद के कई सवाल है।।

क्या आये हम तुम्हारी मदद को अब।
जब ज़िंदगी खुद में शिकस्ता हाल है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

97.

उनको ये हाल ए ज़िन्दगी बता भी नही सकते।
कमबख्त गमों को उनसे छिपा भी नही सकते।।

अब क्या दर्द दे दे हम उन्हें अपनी जिंदगीं के।
हंसता हुआ है चेहरा उसे रुला भी नही सकते।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

98.

अगर कोई सख्स बीमार है।
तो शिफ़ा के लिए कुर्आन है।।

करने को बड़े नेक काम है।
शवाबों का जन्नत ईनाम है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

99.

सबने पाया यह वरदान है।
हर-जन के प्रभु श्रीराम है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

100.

कहने को वह दर बान है।
पर ये कोठी उसी के नाम है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

                                       शुक्रिया






























































































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ताज के शेर भाग-1
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